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इस्पात कीमतों में स्थिरता के लिए राष्ट्रीय खनिज सूचकांक जरूरी

Last Updated- December 12, 2022 | 12:37 AM IST

इस्पात बनाने के लिए प्रमुख कच्चा माल लौह अयस्क के लिए नैशनल मिनरल इंडेक्स यानी राष्ट्रीय खनिज सूचकांक को घरेलू बाजार में इस्पात कीमतों को उचित स्तर पर बनाए रखने के लिए एक व्यावहारिक समाधान के तौर पर देखा जा रहा है। सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में इस्पात की खपत बढऩे के कारण उसकी मांग बढ़ रही है। ऐसे में कीमतों को उचित स्तर पर बनाए रखना आवश्यक है। अप्रैल से जून 2020 तिमाही के बाद से ही घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
क्रिसिल रिसर्च द्वारा तैयार हॉट-रोल्ड कॉइल की घरेलू कीमतों के त्रैमासिक सूचकांक के अनुसार, सूचकांक कैलेंडर वर्ष 2020 के अप्रैल से जून की अवधि में 106 के स्तर से बढ़कर कैलेंडर वर्ष 2021 के जुलाई से सितंबर की अवधि में 186 के स्तर पर पहुंच गया। यह सूचकांक कैलेंडर वर्ष 2019 से शुरू समय-सीमा के साथ 100 पर आधारित है। हालांकि लौह अयस्क की कीमतों का रुझान घरेलू बाजार में इस्पात कीमतों को प्रभावित करने वाला एकमात्र कारक नहीं है। यह कोकिंग कोल के साथ प्रमुख इनपुट सामग्रियों में शामिल है जो मिश्र धातु के उत्पादन की कुल लागत का करीब 40 से 50 फीसदी होता है।
इंडियन स्टील एसोसिएशन के उप महासचिव अर्णव कुमार हाजरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘लौह अयस्क की मौजूदा मूल्य निर्धारण प्रणाली में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। फिलहाल आईबीएम (भारतीय मानक ब्यूरो) रॉयल्टी भुगतान के साथ अस्यक की कीमतों की गणना करता है। यह पूरी मूल्य शृंखला में अयस्क के मूल्य निर्धारण में कीमतों को बढ़ाता है। यहां तक कि अयस्क की अधिक कीमतों पर नीलामी होने से भी उपभोक्ता प्रभावित होते हैं।’
घरेलू इस्पात उद्योग के लगभग 50 फीसदी हिस्से में द्वितीयक इस्पात उत्पादक शामिल हैं जिनके पास निजी अयस्क की आपूर्ति नहीं है और वे नीलामी वाले अयस्क पर निर्भर हैं। हालांकि, राष्ट्रीय खनिज सूचकांक से भी कैप्टिव उत्पादकों को लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि बाजार में एक बेंचमार्क मूल्य उपलब्ध होगा।

First Published - September 30, 2021 | 11:35 PM IST

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