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पंजाब और हरियाणा के मिल नहीं देंगे केंद्रीय पूल में चावल

Last Updated- December 07, 2022 | 7:48 PM IST

परिवहन शुल्क को लेकर हुए मतभेद से पैदा हुए तनाव के बाद हरियाणा और पंजाब के चावल मिलों ने तय किया है कि वे इस सीजन में केंद्रीय पूल के कस्टम मिलिंग राइस (सीएमआर) धान की कूटाई नहीं करेंगे।


इससे आशंका जतायी जा रही है कि मौजूदा सीजन में देश की जनवितरण प्रणाली को चावल की कमी का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि हरियाणा के चावल मिल राज्य सरकार के उस निर्णय के विरोध में बीते 24 अगस्त से हड़ताल पर हैं जिसमें सरकार ने तय किया था कि चावल मिलों से पिछले 4 साल का परिवहन शुल्क वसूल किया जाएगा।

हरियाणा राइस मिलर्स असोसिएशन के अध्यक्ष आजाद सिंह राठी के मुताबिक हाफेड, हरियाणा वेयरहाउस, हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज जैसी एजेंसियों ने मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के एक प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है।

बकौल राठी हुड्डा ने इन एजेंसियों से कहा था कि वे चावल मिलों से परिवहन शुल्क के मद में पिछले 4 सालों का बकाया 36 करोड़ रुपये न वसूलें, लेकिन एजेंसियों ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। मालूम हो कि चावल मिलों के लिए केंद्रीय पूल से कूटाई के लिए उठाए गए गैर-बासमती श्रेणी के धान का 75 फीसदी लौटाना अनिवार्य है।

उधर ऑल इंडिया राइस मिलर्स असोसिएशन (एआईआरएमए) के अध्यक्ष टी. सैनी ने घोषणा की है कि इस मुद्दे को लेकर आगामी 7 सितंबर को पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हरियाणा के चावल मिल करनाल में इकट्ठा होगें और अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे।

सैनी ने बताया कि यदि हरियाणा के चावल मिलों की समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढा जाता तो इन राज्यों के मिल सरकार के लिए कस्टम मिलिंग राइस धान की कूटाई नहीं कर सकते हैं।

First Published - September 4, 2008 | 10:34 PM IST

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