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तिल बाजार में अब कमजोर हुआ भारत

Last Updated- December 10, 2022 | 7:07 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय तिल अपना आधार खो रहा है। दरअसल इथियोपिया और सूडान की कम कीमतों और बेहतर गुणवत्ता वाले तिल बीज से भारतीय निर्यात बाजार को कड़ी टक्कर मिल रही है।
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक कोरिया ने 6,000 टन की निविदा जारी की और इसमें भारत को 4,200 टन निर्यात का आदेश मिला है। इससे घरेलू बाजार में अस्थायी रूप से कीमतों में उछाल आने की संभावना बन सकती है। तिल की कीमतों में प्रति 20 किलोग्राम पर 100 रुपये की तेजी आई है।
गुजरात में  991 तिल की कीमतें 1,280 रुपये से 1,300 रुपये और  992 तिल की कीमतें 1,250 रुपये से 1,280 रुपये हो गई है। छिलके वाले सूखे हुए तिल की कीमतें फिलहाल 8,100-8,200 रुपये प्रति क्विंटल और सन सॉटर्ेक्स का 7,900-8,000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कारोबार किया जा रहा है।
भारत ने जब निविदा हासिल की तो छिलके वाले तिल की कीमतों में 300-400 रुपये बढ़ गई हैं। छिलके वाले तिल को सबसे ज्यादा पोषक तत्व वाला माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन और खनिज के तत्व पाया जाता है।  वैश्विक स्तर पर भारतीय तिल का बीज को 1,300-1,325 डॉलर मिलता है तो इथियोपिया तिल को 1,370-1,400 प्रति टन मिलता है।
कारोबारियों के पास मौजूद एक आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस साल 2.5 लाख से 2.75 लाख टन तिल का उत्पादन हुआ। पिछले साल यह 3.50 लाख टन था। भारत से पिछले साल 2.25 लाख टन का तिल का निर्यात किया गया और इस साल निर्यात 1.60-1.75 लाख टन से ज्यादा नहीं होगा। एक अनुमान के मुताबिक इस साल इथियोपिया में तिल का उत्पादन 1.12 से 1.30 लाख टन होगा।
अमरेली गुजरात के सोनपाल एग्री एक्सपोर्ट के मनोज सोनपाल का कहना है, ‘पिछले साल भारत से तिल खरीदने वालों में से कोरिया के बाद सबसे बड़ा खरीदार चीन था। यूरोप  कम मात्रा में छिलके वाले बीज खरीदता है। चीन अब इथियोपिया और सूडान से तिल खरीद रहा है क्योंकि वहां भारत से कम कीमतें हैं।’
सोनपाल एग्री एक्सपोर्ट को कोरिया से 1,800 टन निर्यात का ऑर्डर मिला है। सोनपाल का कहना है, ‘कीमतों में जल्द ही गिरावट आएगी क्योंकि निर्यात की मांग में भी कमी आई है साथ ही घरेलू बाजार में भी मांग बहुत ज्यादा नहीं है। सभी लोग गर्मी के मौसम की फसल का इंतजार कर रहे हैं जो अप्रैल के मध्य में आएगी। फिलहाल तो कीमतों में बढ़ोतरी की बहुत कम उम्मीदें हैं।’
कोटक एग्री इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के सूत्रों का कहना है, ‘तिल के लिए यह कोई उपयुक्त समय नहीं है क्योंकि ज्यादातर कमोडिटी मंदी की मार झेल रही हैं। निर्यात के लिए कोई मांग नहीं है और घरेलू बाजार में भी केवल दक्षिण भारत से ही खरीदारों की मांग देखी जा रही है। ऐसे हालात में कीमतें बिल्कुल नहीं बढ़ सकती।’

First Published - March 6, 2009 | 1:28 PM IST

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