मुकेश अंबानी की फर्म रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की टेलीकॉम कंपनी की लिस्टिंग का ऐलान एक महीने पहले हुआ था। अब वैश्विक बैंक जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने इसका वैल्यूएशन आंका है। जेपी मॉर्गन ने रिलायंस रिटेल की वैल्यू 121 अरब डॉलर बताई है। रिलायंस जियो इंफोकॉम का मूल्यांकन 92 अरब डॉलर किया गया है।
जेपी मॉर्गन के अनुसार, आने वाले सालों में रिलायंस की कमाई में सबसे बड़ा योगदान कंज्यूमर बिजनेस का होगा। वित्त वर्ष 2024-25 में रिलायंस की कुल एबिट्डा में रिटेल और टेलीकॉम का हिस्सा 54 फीसदी है। अगले तीन सालों में एबिट्डा में होने वाली लगभग पूरी ग्रोथ इन्हीं दो सेगमेंट से आएगी।
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रिलायंस रिटेल का वैल्यूएशन 10.5 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है। यह प्रति शेयर 776 रुपये के हिसाब से है। यह अनुमान वित्त वर्ष 2027-28 की एबिट्डा पर आधारित है। वित्त वर्ष 2027 में कमाई 344 अरब रुपये और वित्त वर्ष 2027-28 में 390 अरब रुपये रहने का अनुमान है।
यह वैल्यूएशन एवेन्यू सुपरमार्ट्स के 42x मल्टीपल से कम है। जेपी मॉर्गन का मानना है कि अगर आईपीओ या स्टेक सेल होती है, तो स्टॉक और ऊपर जा सकता है।
रिलायंस जियो इंफोकॉम का वैल्यूएशन 8 लाख करोड़ रुपये किया गया है। यह प्रति शेयर ₹592 के हिसाब से है। यह 13x एबिट्डा मल्टीपल पर आधारित है। FY27 में जियो की एबिट्डा ₹864 अरब रुपये रहने की उम्मीद है। FY28 में यह बढ़कर ₹976 अरब रुपये तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 की लिस्टिंग से पहले टैरिफ बढ़ सकते हैं। इससे कंपनी का मुनाफा और बढ़ सकता है।
रिलायंस के ऑयल-टू-केमिकल्स सेगमेंट का वैल्यूएशन 4.85 लाख करोड़ रुपये है। यह प्रति शेयर ₹358 के हिसाब से है। इससे साफ है कि कंपनी का फोकस अब उपभोक्ता कारोबार की ओर बढ़ रहा है। रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स की भूमिका कम होती जा रही है। अन्य सेगमेंट जैसे एक्सप्लोरेशन, रियल एस्टेट और सेमीकंडक्टर/रिन्यूएबल्स को कम वैल्यूएशन मिला है।
जेपी मॉर्गन ने रिलायंस पर ‘ओवरवेट’ रेटिंग बरकरार रखी है। कंपनी के लिए ₹1,695 का टारगेट प्राइस (सितंबर 2026 तक) दिया गया है। ब्रोकरेज का मानना है कि टेलीकॉम खर्च घटने से फ्री कैश फ्लो पॉजिटिव हो सकता है। मैनेजमेंट का लक्ष्य है कि नेट डेब्ट को EBITDA के मुकाबले 1x से नीचे रखा जाए।
कंपनी की सालाना EBITDA लगभग $20 अरब है। कैपिटल खर्च के बावजूद रिलायंस कैश-पॉजिटिव हो सकती है।
हालांकि, कुछ जोखिम भी बने हुए हैं। जैसे ऑयल-टू-केमिकल्स मार्जिन में गिरावट हो सकती है। टेलीकॉम में टैरिफ न बढ़ने का खतरा है। नई एनर्जी प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है। कमजोर आय के कारण कर्ज बढ़ सकता है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल सेगमेंट की मजबूत ग्रोथ से वैल्यूएशन को सपोर्ट मिलेगा।