उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके से संबंध रखने वाले प्रवीण ने जुलाई 2021 में छह महीने के बाद अपना बैंक खाता जांचा तो गहरे आश्चर्य में पड़ गए। कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन और महामारी के भय से वह इतने महीने बैंक नहीं जा पाए थे। उन्हें उम्मीद थी कि साल भर से उन्होंने जितने रसोई गैस (एलपीजी) सिलिंडर खरीदे हैं उसकी सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में लगभग 500 रुपये से 700 रुपये तक आए होंगे।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लग रहा था कि हमें खरीदे गए प्रत्येक सिलिंडर पर 150 रुपये के करीब सब्सिडी के रूप में बैंक खाते में वापस किया जाता है। लेकिन इस बार मेरे खाते में पैसे नहीं आए। मैं इस बात को लेकर चकित था कि पैसे आखिर कहां गए।’ आधिकारिक रूप से प्रवीण और हजारों की संख्या में एलपीजी कनेक्शन धारकों को यह नहीं पता कि वे खरीदे गए प्रत्येक सिलिंडर पर कितनी सब्सिडी मिलने की उम्मीद कर सकते हैं।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘रसोई गैस के लिए यदि लक्षित सब्सिडी को जारी रखा जाता है तो यह पिरामिड के आधार पर मौजूद लोगों के लिए प्रत्यक्ष आय अंतरण की तरह काम कर सकता है।’
2021 में रसोई गैस की कीमतें बढऩे से प्रवीण उन उपभोक्ताओं में से एक है जिन्हें मुश्किल हो रही है। दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कीमत 1 जुलाई, 2021 को 140 रुपये बढ़कर 834 रुपये प्रति सिलिंडर हो गया जो 1 जनवरी, 2021 को 694 रुपये प्रति सिलिंडर था।
पिछले वर्ष की स्थिति अलग थी। दिल्ली में 1 जुलाई, 2020 को रसोई गैस की कीमतें गैर-सब्सिडी वाले सिलिंडर के लिए 594 रुपये थी। 1 जरवरी, 2020 को कीमत प्रति सिलिंडर 714 रुपये थी। इस प्रकार जुलाई में इसमें 120 रुपये की कमी की गई थी। जनवरी, 2020 में सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कीमत 560 रुपये प्रति सिलिंडर था। 1 जुलाई, 2020 को यह कीमत बढ़कर 594 रुपये प्रति सिलिंडर हो गई थी। हालांकि, उपभोक्ताओं को इस वृद्घि का बुरा नहीं लगा क्योंकि कीमत बहुत ज्यादा नहीं थी।
कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण वैश्विक मांग में कमी आई है जिससे कच्चा तेल और उत्पाद कीमतों दोनों के दाम कम हो गए। इस अवसर का फायदा उठाते हुए केंद्र सरकार ने एलपीजी सब्सिडी को समाप्त कर दिया जो गरीब वर्ग की वहनीयता को सुनिश्चित करने के लिए पिछली सरकारें देती आ रही थीं।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पास भेजे गए एक प्रश्नावली का अब तक जवाब नहीं आया।
2021 में जब एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढऩे लगीं तो तेल विपणन कंपनियों ने भी उसी अनुपात में सब्सिडीयुक्त कीमतों में इजाफा कर दिया। अधिक दबाव उपभोक्ताओं पर डाल दिया।