मौजूदा संवत 2080 कीमती धातुओं सोने और चांदी के निवेशकों के लिए अच्छा साल साबित हुआ है। इस दौरान सोने और चांदी में क्रमश: 39.7 फीसदी और 44.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसकी तुलना में शेयर बाजार के सूचकांकों बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी-50 ने 18 अक्टूबर तक क्रमश: 25.1 फीसदी और 27.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है।
कीमती धातुओं खास तौर से सोने की कीमतों में बढ़ोतरी विशेष रूप से चीन में वृद्धि को लेकर चिंता, पश्चिम एशिया में बढ़ते भूराजनीतिक तनाव और ज्यादातर वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दरों को जस का तस बनाए रखने के कारण हुई।
विश्लेषकों के मुताबिक आपूर्ति की किल्लत और बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण संवत 2080 में चांदी की कीमतों में इजाफा हुआ। उनका मानना है कि वैश्विक स्तर पर मौद्रिक नीतियों में सहजता, मौजूदा भूराजनीतिक विवाद और आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव आने वाले समय में सोने की कीमतों पर
असर डालेंगे।
करीब 12 अरब डॉलर की परिसंपत्तियां संभाल रही वैश्विक कंसल्टिंग फर्म डीवेरे ग्रुप के मुख्य कार्याधिकारी नाइजल ग्रीन ने कहा, चूंकि केंद्रीय बैंक लगातार आक्रामक खरीदारी कर रहे हैं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की है और भूराजनीतिक तनाव बरकरार है, ऐसे में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और यह पिछले रिकॉर्ड को तोड़ सकती है।
ऊंची ब्याज दरें सोने को कम आकर्षक बना रही है क्योंकि इससे यील्ड नहीं मिलता। हालांकि, चूंकि दरें घटने वाली हैं, ऐसे में सोने को लेकर उम्मीदें बन रही हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल में नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की है और नवंबर और दिसंबर की बैठक में दरें 25-25 आधार अंक और घट सकती हैं। यूरोपीय केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंगलैंड, बैंक ऑफ कोरिया और पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भी साल 2024 में कम से कम एक बार दरें घटाई हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक सोने की कीमतों में फेड की पहली कटौती के छह महीने के भीतर 10 फीसदी तक का इजाफा हुआ। विश्लेषकों ने कहा कि कम ब्याज दरें अक्सर यील्ड देने वाली परिसंपत्तियों का आकर्षण घटाती हैं और खुदरा और संस्थागत निवेशकों को सोने के बाजार में खींच लाती हैं। इस पृष्ठभूमि में उन्हें सोने की कीमतें कैलेंडर वर्ष 2025 की शुरुआत में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के कमोडिटी शोध विश्लेषक मानव मोदी ने कहा कि अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 10 फीसदी सोने और चांदी में निवेश किया जाना चाहिए। हम हालांकि सोने में 5 से 10 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं लेकिन मध्यम अवधि के लिए इसे 81,000 रुपये (कॉमेक्स गोल्ड : 2,830 डॉलर) के लक्ष्य के लिए और खरीद के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए जबकि लंबी अवधि के लिए इसका लक्ष्य 86,000 रुपये (3,000 डॉलर) है।
मोदी ने कहा, चांदी की खरीद निवेशक 86,000-86,500 के समर्थन स्तर पर देसी बाजार में 1 लाख रुपये से 1.15 लाख रुपये के लक्ष्य के लिए कर सकते हैं जिसकी अवधि 12 से 15 महीने होगी। सैमको सिक्योरिटीज के प्रमुख (शोध) अपूर्व सेठ ने कहा कि 28-28 महीने ग्रीड ऐंड फियर के चरण से गुजरने के बाद चांदी दोबारा ग्रीड के दौर में है जिसकी शुरुआत दिसंबर 2022 में हुई थी।
उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर चांदी ने इस अवधि में 108 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की। इस चरण की शुरुआत के समय चांदी 67,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। ऐसे में अगर यह थ्योरी सही साबित होती है तो चांदी अप्रैल 2025 में 1.35 लाख रुपये प्रति किलो पर जा सकती है। उसके बाद यह फियर के चरण में दा सकती है और 3 फीसदी तक गिर सकती है।
विश्लेषकों ने कहा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ऐसी रफ्तार से सोने की खरीद कर रहे हैं जो पहले के दशकों में नहीं देखी गई है जिसकी मुख्य वजह भूराजनीतिक चिंता है। उनका मानना है कि यह रुझान रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद तेज हुआ जो अब व्यापक हो गया है क्योंकि कई देश अमेरिकी डॉलर वाली परिसंपत्तियों को छेड़ रहे हैं।
डब्ल्यूजीसी के मुताबिक वैश्विक केंद्रीय बैंकों की अप्रैल-जून 2024 में सोने की शुद्ध खरीद सालाना आधार पर 6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 183 टन रही। सोने की कुल मांग हालांकि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही और कैलेंडर वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 6 फीसदी घटकर 929 टन रही क्योंकि बढ़ती कीमतों के कारण आभूषण उपभोग में तीव्र गिरावट आई।
भूराजनीतिक संकट हालांकि मध्यम अवधि में सोने और चांदी की कीमतों को सहारा दे सकते हैं। विश्लेषक निवेशकों को अपने इक्विटी पोर्टफोलियो को कीमती धातुओं के साथ हेज करने की सलाह दे रहे हैं और कह रहे हैं कि संवत 2081 में गिरावट का इस्तेमाल खरीदारी के लिए किया जाना चाहिए।