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Fuel Excise Duty Hike: सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इन दोनों पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। अतिरिक्त शुल्क का बोझ तेल विपणन कंपनियां उठाएंगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा जवाबी शुल्क लागू किए जाने के बाद कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में भारी गिरावट आई है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी बरकरार रही तो ईंधन के खुदरा मूल्य में भी कटौती की जा सकती है।
हालांकि सब्सिडी वाले और सब्सिडी रहित यानी दोनों तरह के उपभोक्ताओं को घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलिंडर के लिए अब अधिक खर्च करना पड़ेगा क्योंकि कीमतों में 50 रुपये प्रति सिलिंडर का इजाफा किया गया है। पेट्रोलियम मंत्री ने आज इसकी घोषणा की। यह बढ़ोतरी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों पर भी पर लागू होगी।
पेट्रोल और डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) में वृद्धि के जरिये इसे लागू किया जाएगा जो 8 अप्रैल से प्रभावी होगा। इस प्रकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क प्रभावी तौर पर बढ़कर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकारें भी पेट्रोल एवं डीजल पर अपने कर लगाती हैं।
अधिकारियों ने बताया कि उत्पाद शुल्क में 34 महीनों के बाद यह बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए ऐसा किया गया है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में पेट्रोलियम क्षेत्र ने उत्पाद शुल्क के जरिये सरकारी खजाने में 1.22 लाख करोड़ रुपये का योगदान किया। यह एक साल पहले के कुल 2.74 लाख करोड़ रुपये के योगदान का 48 फीसदी है।
तेल विपणन कंपनियां ईंधन की खुदरा कीमतों को बढ़ाए बिना अतिरिक्त कर का बोझ आसानी से वहन कर लेंगी क्योंकि फिलहाल वे कम कीमतों पर खरीदे गए कच्चे तेल के भंडार का इस्तेमाल कर रही हैं।
इस साल 2 अप्रैल के बाद वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड के साथ-साथ अमेरिकी बेंचमार्क डब्ल्यूटीआई की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। औद्योगिक मांग में नरमी और अधिक आपूर्ति की चिंताओं के कारण कीमतों में गिरावट आई है। सोमवार को खबर लिखे जाने तक ब्रेंट क्रूड वायदा भाव 64.53 डॉलर प्रति बैरल था।
पुरी ने कहा, ‘तेल विपणन कंपनियों का स्टॉक 45 दिन पहले का है। जाहिर तौर पर वे काफी अधिक कीमत पर खरीदे गए हैं। मुझे लगता है कि कच्चे तेल की कीमतें भले ही 60 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ जाएं लेकिन 75 डॉलर प्रति बैरल के पार जाने के आसार नहीं है। कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने पर भी तेल विपणन कंपनियों के पास खुदरा मूल्य में कटौती के लिए गुंजाइश होगी।’
इससे पहले सरकार ने मार्च, 2024 में लोक सभा चुनाव से ठीक पहले ईंधन कीमतों में बदलाव किया था। उस समय तेल विपणन कंपनियों ने रिकॉर्ड 22 महीने के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 2-2 रुपये की कमी की थी।