राज्य के ज्यादात्तर हिस्सों में अच्छी बारिश का असर खरीफ सीजन के फसलों की बुआई पर भी देखने को मिला है। फसल बुआई के ताजा आंकड़ों में चालू सीजन में फसलों की बुआई पिछले साल से बेहतर दिख रही है। हालांकि देर से मॉनसून आने और कई इलाकों में बाढ़ के हालात बनने की वजह से फसलों के खराब होने और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। आशंका की वजह से महाराष्ट्र सरकार ने आपातकालीन फसल योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य में 23 जुलाई तक 114.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हो चुकी है, जो औसत का 80 फीसदी है। पिछले वर्ष समान अवधि में 127.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। खरीफ सीजन के फसलों का औसत रकबा 142.02 लाख हेक्टेयर है। हालांकि मराठवाडा में फसलों की बुआई पिछले साल की अपेक्षा अभी भी कम है।
मराठवाडा का खरीफ सीजन का औसत बुआई क्षेत्र 48.57 लाख हेक्टेयर है। 23 जुलाई तक तक मराठवाडा में 42.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 45.33 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। 23 जुलाई तक राज्य में सोयाबीन की फसल 43.87 लाख हेक्टेयर (106 प्रतिशत), कपास की फसल 39.79 लाख हेक्टेयर (95 प्रतिशत), अरहर की फसल 9.67 लाख हेक्टेयर (75 प्रतिशत), मक्का की फसल 6.64 लाख हेक्टेयर (75 प्रतिशत), उड़द की फसल 1.62 लाख हेक्टेयर (44 प्रतिशत), 1.39 लाख हेक्टेयर (35 प्रतिशत) मूंग की फसल व अन्य फसलों की बुआई हुई है।
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मराठवाड़ा में बुआई के लिए उपयुक्त बारिश नहीं होने के कारण 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई नहीं हो पाई है। मराठवाडा में कम बुआई और किसानों के नुकसान का मुद्दा आज विधान परिषद में उठा। जिसके जवाब में कृषि मंत्री धनजंय मुंडे ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) से मिली जानकारी के मुताबिक जुलाई महीने के बाकी दिनों में बारिश की उम्मीद है।
इसलिए भविष्य में मराठवाड़ा में बुआई में तेजी आएगी और प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए एक रुपये की फसल बीमा योजना लागू की जा रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 24 जुलाई तक 1 करोड़ 4 लाख 68 हजार 349 किसानों ने फसल बीमा योजना में भाग लिया है और बीमा कवरेज का दायरा बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं ।
मंत्री मुंडे ने कहा कि चूंकि महाराष्ट्र में जून और अक्टूबर के बीच बारिश होती है, इसलिए इस अवधि के दौरान खरीफ और रबी फसलों की बुआई की जाती है। IMD की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मॉनसून का आगमन आमतौर पर 7 जून के बीच होता है। इस वर्ष कोंकण क्षेत्र में 11 जून को मॉनसून आ गया है। 25 जून से पूरे महाराष्ट्र में मॉनसूनी बारिश हो रही है। राज्य में जून माह में औसत वर्षा 27.6 मिमी एवं वास्तविक वर्षा 111.3 मिमी (औसत का 54 प्रतिशत) है। 01 जून से 23 जुलाई तक राज्य में औसत वर्षा 453.1 मिमी एवं वास्तविक वर्षा 441.5 मिमी (औसत का 27.4 प्रतिशत) है।
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महाराष्ट्र में जून और अक्टूबर के बीच बारिश होती है, इसलिए इस अवधि में खरीफ और रबी की फसलें बोई जाती हैं। कृषि योग्य किसानों को अक्सर वर्षा की अनियमितता का सामना करना पड़ता है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में बारिश अक्सर देर से शुरू होती है। खरीफ मौसम के दौरान देर से बुआई के लिए फसल योजना बनाना आवश्यक है।
फसल उत्पादन को स्थिर करने के लिए, महाराष्ट्र के कृषि विश्वविद्यालयों ने अपने अधिकार क्षेत्र में आपातकालीन स्थितियों में वैकल्पिक फसल योजना के बारे में सिफारिशें की हैं। यदि नियमित मॉनसूनी बारिश देर से शुरू होती है, तो फसल योजना, फसल की किस्मों, उर्वरक प्रबंधन के साथ-साथ प्रति हेक्टेयर पौधों की संख्या में बदलाव करना पड़ता है, अन्यथा प्रति हेक्टेयर उपज घट जाती है। इसके लिए जिला स्तर पर कृषि विश्वविद्यालय, कृषि अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्रों की सलाह से जिले की आपातकालीन फसल योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।