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कपास के बढ़े एमएसपी से किसानों को मिलेगी राहत

Last Updated- December 07, 2022 | 8:01 PM IST

विश्व के दूसरे सबसे बड़े कपास उत्पादक भारत ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 48 फीसदी की बढ़ोतरी कर किसानों को राहत दी है। नई दरें बाजार की दरों को ध्यान में रखते हुए तय की गई है।


कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (कॉटन कॉर्प) के प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर ने कहा कि लंबे रेशे वाले प्रत्येक बेल के  लिए सरकार 3,000 रुपये का भुगतान करेगी जबकि एक साल पहले इसके लिए 2,030 रुपये का भुगतान किया जाता था। कॉटन कॉर्प देश में कपास का सबसे बड़ा खरीदार है।

उन्होंने कहा कि मध्यम रेशे वाले कपास की कीमतों में 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है और यह 2,500 रुपये प्रति बेल कर दिया गया है। भारत में कपास के एक बेल का वजन 170 किलो होता है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अनुसार पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में कपास की कीमतों में 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है क्योंकि किसान और कारोबारी कम आपूर्ति करते हुए निर्यात अधिक कर रहे थे। ग्रोवर ने कहा कि 1 अक्टबर से शुरू होने वाले सीजन में उत्पादन 325 लाख बेल तक पहुंच सकता है। यह कॉटन कॉर्प द्वारा अगस्त में की गई भविष्यवाणी से 10 लाख टन अधिक है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार, 29 अगस्त तक किसानों ने 220 लाख एकड़ में कपास की खेती की है जो एक साल पहले की अपेक्षा 2 प्रतिशत अधिक है। सस्ते कपास के आयात में हो सकती है वृध्दि एक वरिष्ठ औद्योगिक अधिकारी ने कहा कि नए वर्ष के लिए सरकार द्वारा तय किए गए कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों को नुकसान हो सकता है और संभव है कि इससे सस्ते कपास के आयात में बढ़ोतरी हो।

एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए निश्चित रुप से देय होता है। टेक्सटाइल मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे एन सिंह ने गुरुवार को कहा था, ‘एक सितंबर को एमएसपी में बढ़ोतरी से संबंधित अधिसूचना जारी की गई थी। बढ़ती उत्पादन लागत और कपास के मूल्यों में होती बढ़ोतरी के कारण यह आवश्यक हो गया था।’

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पी डी पटौदिया ने कहा, ‘एमएसपी में हुई वृध्दि से निश्चित ही टेक्सटाइल कंपनियों की प्रतिस्पध्र्दात्मकता में कमी आएगी और कुछ कंपनियां घाटे में भी जा सकती हैं। ‘ उन्होंने कहा कि कीमतें पहले ही एमएसपी से अधिक थीं लेकिन इस बढ़ोतरी से कीमतें और बढ सकती हैं जिससे अच्छी आपूर्ति के बावजूद आयात में इजाफा हो सकता है।

गुजरात के एक कारोबारी ने कहा कि हाजिर में फिर से कीमतें बढ़ेंगी और इससे कीमतों को कम करने की सरकार की कोशिश धर की धरी रह जाएंगी। आर्वी डेनिम्स ऐंड एक्सपोर्ट्स लिमिटेड केमुख्य वित्तीय अधिकारी ने कहा, ‘एमएसपी में हुई बढ़ोतरी से लागत में बढ़ोतरी होगी और इससे टेक्सटाइल कंपनियों के मुनाफों पर दबाव बनेगा। कपास के एमएसपी में बढ़ोतरी का निर्णय से टेक्सटाइल कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

हालांकि कुछ कंपनियों ने कहा कि पहले ही बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक था और इस बढोतरी से उद्योग पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। आलोक इंडस्ट्रीज के मुख्य वित्तीय अधिकारी सुनील खंडेलवाल ने कहा, ‘मैं नही समझता कि इससे कपास की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी होगी क्योंकि पहले ही कपास की कीमतें उच्च स्तर पर थीं।’

First Published - September 5, 2008 | 11:34 PM IST

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