facebookmetapixel
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!Editorial: आरबीआई बॉन्ड यील्ड को लेकर सतर्कनिर्यातकों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने ₹45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरीसीतारमण का आठवां बजट राजकोषीय अनुशासन से समझौता नहीं कर सकताटाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल कंपनी की बीएसई पर हुई लिस्टिंग, न्यू एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकसग्लोबल एआई और सेमीकंडक्टर शेयरों में बुलबुले का खतरा, निवेशकों की नजर अब भारत परसेबी की चेतावनी का असर: डिजिटल गोल्ड बेचने वाले प्लेटफॉर्मों से निवेशकों की बड़ी निकासी, 3 गुना बढ़ी रिडेम्पशन रेटप्रदूषण से बचाव के लिए नए दिशानिर्देश, राज्यों में चेस्ट क्लीनिक स्थापित करने के निर्देश

दशहरी के पेटेंट आवेदन पर आज होगा विचार

Last Updated- December 07, 2022 | 8:41 AM IST

अपनी मिठास के लिए मशहूर दशहरी आम को और मीठा बनाने की कोशिशें की जा रही है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (नैशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड) आम की इस मशहूर किस्म को भौगोलिक संकेतक अधिनियम (ज्योग्रॉफिक इंडिकेशन एक्ट; जीआईए) के तहत पेटेंट कराने के लिए आवेदन दिया है।


एनएचबी का यह भी कहना है कि वह जल्द ही इलाहाबाद के अमरुद और प्रतापगढ़ के आंवला के पेटेंट के लिए आवेदन देने जा रहा है। एनएचबी का मानना है कि दशहरी आम को पेटेंट करा लेने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मार्केटिंग और बेहतर हो सकेगी। बताया गया है कि इसने हाल ही में जीआई रजिस्ट्रार के समक्ष पेटेंट का आवेदन दिया है और अब इस बारे में जरूरी कार्रवाई की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि दशहरी आम मुख्यत: लखनऊ जिले के मलिहाबाद इलाके में बड़े पैमाने पर पैदा किया जाता है। वास्तव में मलिहाबाद दशहरी आम और आम के बगीचे के लिए ही मशहूर हुआ है। एनएचबी के उपनिदेशके ब्रजेंद्र सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जीआई एक्ट के तहत इस किस्म को पेटेंट कराने के लिए इस आम के इतिहास और तकनीकी मसले पर खूब शोध किए गए हैं। हमने इस मामले से संबंधित तमाम बुनियादी काम निपटा लिए हैं और इसके लिए एक डाटाबेस भी तैयार कर लिया है।

अब इस मामले को विशेषज्ञों से लैस एक उच्चस्तरीय सलाहकार समूह के समक्ष पेश किया जाएगा, जो एनएचबी के तर्कों पर विचार करेगा कि क्यों उसे दशहरी आम का पेटेंट दिया जाए। सिंह ने बताया कि कल इस समूह की लखनऊ में बैठक होनी है। यदि यह समूह एनएचबी के तर्कों से संतुष्ट हो गया तो इस मामले से संबंधित सूचनाओं को वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। यदि किसी को इस मामले से नाइत्तेफाकी होगी तो उसे तय समय के भीतर समूह के सामने अपनी आपत्ति दर्ज करानी होगी।

वैसे इस सलाहकार समूह की अध्यक्षता जीआई रजिस्ट्रार वी. रवि कर रहे हैं, जबकि समिति के दूसरे सदस्यों में तमिलनाडु वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एन. बालाराम, सुशीला तिरुमारन और जीआई के सहायक रजिस्ट्रार वी. नटराजन शामिल हैं। अखिल भारतीय आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंशराम अली और आम के कई बड़े उत्पादक इस महत्वपूर्ण सुनवाई के समय मंगलवार को इस समूह के सामने उपस्थित रहेंगे।

जानकारों की राय में दशहरी के पेटेंट करवा लेने के बाद इसके  पाइरेसी पर रोक तो लगेगी ही, इसकी बेहतर मार्केटिंग के लिए दशहरी को मशहूर ब्रांड के रूप में विकसित करना आसान भी हो जाएगा। सिंह ने बताया कि पेटेंट मिल जाने के बाद किसानों को इसकी बेहतर कीमत मिल सकेगी। साथ ही, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मार्केटिंग भी आसान हो जाएगी। गौरतलब है कि ज्यादातर दशहरी आम का निर्यात खाड़ी के देशों सहित दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को किया जाता है।

अरब के बाजार से निकटता के चलते पाकिस्तान के आमों से भारतीय आमों को तगड़ी चुनौती मिलती रही है। जीआई पेटेंट किसी भी उत्पाद के भौगोलिक मूल, जिसका विकास कई सदियों में हो पाता है, के अद्वितीयता का सबूत देती है। यह सामान के प्रमाणिकता का सबूत है। इसे ज्योग्रॉफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 1999 के तहत निर्देशित किया जाता है।

First Published - June 30, 2008 | 10:47 PM IST

संबंधित पोस्ट