मूंगफली की मजबूत निर्यात मांग की वजह से कीमतें लगातार बढ़ रही है। देश में बंपर पैदावार होने के बावजूद मूंगफली तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए कारोबारी मूंगफली के निर्यात पर रोक लगाने की मांग करना शुरु कर दिया हैं। इन दिनों मूंगफली तेल ही एकमात्र खाद्य तेल है, जो मजबूती की ओर अग्रसर है। आगे भी इसमें बड़ी गिरावट की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
इंदौर स्थानीय खाद्य तेल बाजार में सोमवार को मूंगफली तेल के भाव में बढ़कर प्रति 10 किलोग्राम 1730 से 1750 पहुंच गए। जबकि मुंबई में 15 किलो के कैन की कीमत बढ़कर 3,050 रुपये पहुंच गई।
कारोबारियों का कहना है कि विदेशी मांग अधिक होने और कच्चे माल की तंग आपूर्ति से गुजरात के ज्यादातर मूंगफली तेल के प्लांट कम दामों पर बिकवाली से पीछे हट रहे हैं। इससे मूंगफली तेल के दामों को सपोर्ट मिल रहा है। जिसके कारण हर दिन मूंगफल तेल महंगा हो रहा है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया पिछले दिनों पेट्रोल, डीजल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इस बीच गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई की मार झेल रहा है, उसी आग में घी डालने का काम मूंगफली तेल के दामों ने कर दिया है।
मूंगफली तेल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से लोग विरोध कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में बाजार में भाव में 90 रुपये की तेजी आई है। 15 किलो के कैन की कीमत बढ़कर रु 3,050 तक बोली जा रही है। आने वाले दिनों में सरकार ने यदि काबू नहीं किया तो दाम 3,200 तक जाने की संभावना है।
कैट के महामंत्री तरुण जैन ने कहा सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर मूंगफली की निर्यात पर रोक लगानी चाहिए ताकि देश के लोगों को देसी तेल जोकि सेहत के लिए फायदेमंद है खाने मिले और अन्य तेलों के दाम भी इससे काबू में रह पाएंगे। इस वर्ष मूंगफली के सबसे बड़े उत्पादक राज्य गुजरात में लगभग 42.64 लाख टन मूंगफली की बंपर फसल हुई है।
यानी इसमें से 15 किलो के तेल के लगभग 6.65 करोड़ केन का उत्पादन अनुमानित है और इस प्रचुर उत्पादन के बावजूद बाजार में हो रहे खेलें एवं विदेशों में मूंगफली की बंपर निर्यात के चलते के दाम काबू के बाहर है। जिसके चलते गरीब और मध्यम वर्ग को एक और महंगाई का झटका झेलना पड़ रहा है।