कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि चीनी मिलों को निर्यात के लिए माल भाड़े में मिलने वाली रियायत को सरकार सितंबर के बाद जारी नहीं रखेगी।
29 अगस्त को वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि सरकार को चीनी निर्यात के लिए सहायता उपलब्ध कराना समाप्त करना चाहिए क्योंकि देश से पर्याप्त चीनी का निर्यात हो चुका है। तटीय मिलों को माल भाड़े में प्रति टन 1,350 रुपये और गैर-तटीय मिलों को 1,450 रुपये की मिलने वाली सहायता 30 सितंबर को समाप्त होने वाली है।
इस सहायता की घोषणा उद्योग को सहारा देने के लिए की गई थी। उल्लेखनीय है कि उस समय रेकॉर्ड उत्पादन से मूल्यों में 35 से 40 प्रतिशत की कमी आई थी और चीनी उद्योग भारी दबाव के दौर से गुजर रहा था। इस कारण चीनी मिलों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा था। चीनी कंपनियों के शेयरों की कीमतों में आज बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर गिरावट देखी गई।
बजाज हिंदुस्तान के शेयर की कीमतों में 7 प्रतिशत की कमी आई और यह 162.80 रुपये पर बंद हुआ जबकि रेणुका शुगर्स के शेयर की कीमतों में 5.68 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 117.15 रुपये पर बंद हुआ। 2007-08 के चीनी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश से रेकॉर्ड 45 लाख टन चीनी की लदाई होने का आकलन किया गया है।
खाद्य मंत्रालय ने प्रमुख उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों के साथ परामर्श कर वर्ष 2008-09 सीजन में (अक्टूबर से सितंबर) 220 लाख टन चीनी के उत्पादन का अस्थायी आकलन किया है। साल 2007-08 के उत्पादन की तुलना में यह 17 प्रतिशत कम है। इससे चीनी की कीमतों में मजबूती आई है। जुलाई महीने से कीमतों में लगभग 25 प्रतिशत की वृध्दि हुई है और फिलहाल यह 1,800 रुपये प्रति क्विंटल है।