पिछले साल के बजट से पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को हलवा बांटती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फोटो: PTI
Union Budget 2025: भारत में हर साल केंद्रीय बजट पेश करने से पहले एक अनोखी और दिलचस्प परंपरा का आयोजन किया जाता है, जिसे ‘हलवा सेरेमनी’ का नाम दिया गया है। हलवा सेरेमनी बजट से पहले वित्त मंत्रालय, बजट प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और अन्य लोगों की टीम के लिए यह एक अहम और खास मौका होता है। हलवा सेरेमनी को भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिक प्रशासनिक प्रक्रिया का अनोखा संगम कहा जा सकता है। बता दें कि इस साल का हलवा सेरेमनी आज यानि शुक्रवार (24 जनवरी) को शाम 5 बजे होगा।
हलवा सेरेमनी की परंपरा दशकों पुरानी है। यह परंपरा भारतीय प्रशासन में गोपनीयता और अनुशासन का प्रतीक मानी जाती है। हालांकि, यह वास्तव में कब शुरू हुआ था इसका कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं मिलता है, लेकिन माना जाता है कि यह परंपरा 1950 के दशक में शुरू हुई थी, जब आजाद भारत का पहला बजट पेश किया गया था। उस समय बजट की गोपनीयता को बनाए रखने और इसमें शामिल लोगों के योगदान की तारीफ के लिए इसकी शुरुआत हुई थी। हलवा सेरेमनी का नाम भारतीय व्यंजन ‘हलवा’ पर आधारित है, जिसे इस समारोह में खासतौर पर अलग से बनाया जाता है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को यह परोसा जाता है, जो इस बात को दर्शाता है कि बजट की तैयारियां अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इस समारोह का आयोजन वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में किया जाता है।
हालांकि, 2022 में कोरोना महामारी के चलते इस परंपरा में थोड़ा बदलाव किया गया था। उस साल, हलवा की जगह मिठाई बांटी गई थी, और बजट को डिजिटल रूप से पेश किया गया था। यह पहला मौका था जब बजट की छपाई नहीं हुई थी, और उसे डिजिटल फॉर्म में पेश किया गया था।
हलवा सेरेमनी का मुख्य उद्देश्य बजट की गोपनीयता को सुनिश्चित करना और एक मैसेज देना है कि बजट पर काम अपने अंतिम समय में है। पहले जब हलवा सेरेमनी का आयोजन होता था, तो उसके बाद बजट की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती थी। इस दौरान वित्त मंत्रालय के कर्मचारी और जो भी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं, नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में रहकर ही काम करते हैं। यह फैसला बजट की जानकारी को किसी भी प्रकार से लीक होने से रोकने के लिए उठाया जाता है।
इस प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मचारी और अधिकारी 10 दिनों तक बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क नहीं कर सकते और उन्हें मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती। बजट दस्तावेजों की छपाई पूरी होने के बाद ही अधिकारी और कर्मचारी बाहर निकल सकते थे। यह प्रक्रिया वित्त मंत्रालय की ईमानदारी और पारदर्शिता को भी दर्शाती है।
हलवा सेरेमनी के दौरान, एक बड़े कढ़ाई में पारंपरिक रूप से हलवा बनाया जाता है। इसे वित्त मंत्रालय के अधिकारी, कर्मचारी को वित्त मंत्री द्वारा परोसा जाता है। इस हलवे को बजट प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मचारियों के बीच बांटी की जाती है। हालांकि, यह बस एक प्रतीकात्मक आयोजन है, जो टीम की भावना और सामूहिक प्रयास का दिखाता है।
इसके बाद, बजट दस्तावेजों की छपाई शुरू होती थी। प्रिंटिंग प्रेस के सभी कर्मचारी अगले कुछ दिनों के लिए नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में रहना शुरू कर देते हैं। यहां तक कि उनके लिए भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध भी वहीं किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि बजट की कोई भी जानकारी बाहरी दुनिया तक न पहुंचे।
डिजिटलीकरण के इस युग में, बजट प्रक्रिया में कई बदलाव हुए हैं, लेकिन हलवा सेरेमनी की परंपरा आज भी कायम है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान इसमें बदलाव देखे गए, लेकिन यह परंपरा अभी भी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है। 2022 और 2023 में, बजट को डिजिटल रूप से पेश किया गया, जिससे बजट प्रक्रिया और अधिक आसान हो गई है। हालांकि, हलवा सेरेमनी आज भी एक संदेश है कि प्रशासनिक प्रक्रिया भले ही समय के साथ बदल रही हैं, लेकिन पारंपरिक मूल्य अभी भी संरक्षित हैं।