Fiscal Deficit: रोजगार योजनाओं पर खर्च बढ़ाने, बिहार और आंध्र प्रदेश को वित्तीय पैकेज देने तथा नई आयकर व्यवस्था (new tax regime) के तहत राहत देने के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को कम करने का लक्ष्य रखा है। बजट में चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.9 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है जबकि अंतरिम बजट में इसके 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
सीतारमण ने यह संकल्प जताया कि अगले वित्त वर्ष में केंद्र का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 फीसदी से कम किया जाएगा और आगे इसमें और कमी आएगी। इससे केंद्र सरकार का कर्ज जीडीपी के अनुपात में घटेगा।
हालांकि संरचनात्मक आधार पर केंद्र और राज्यों का सामान्य कर्ज 7 फीसदी से नीचे लाने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा और ऐसा होने पर स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स सॉवरिन रेटिंग को बढ़ा सकता है। राज्यों के राजकोषीय घाटे की सीमा वर्तमान में 3.5 से 4 फीसदी है।
सीतारमण वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट की तुलना में कम राजकोषीय घाटे का अनुमान व्यक्त करने में इसलिए सक्षम हुईं क्योंकि केंद्र को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से 1.09 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम अधिशेष (surplus) हस्तांतरित हुआ है जबकि अंतरिम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) के बैंकों और RBI से लाभांश के तौर पर 1.02 लाख करोड़ रुपये अ मिलने का अनुमान लगाया गया था।
इसके अलावा सरकार को भारतीय स्टेट बैंक (SBI), केनरा बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और एक्जिम बैंक (Exim Bank) से 13,440 करोड़ रुपये का लाभांश भी मिला है।
इसकी बदौलत सरकार को वित्त वर्ष 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व ( non-tax revenue/NTR) मिलने का अनुमान लगाने में मदद मिली है। गैर-कर राजस्व बढ़ने से सरकार को वित्त वर्ष 2025 में राजस्व खर्च अंतरिम बजट की तुलना में 60,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने में सहूलियत हुई है। सरकार ने बिहार, आंध्र प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है और रोजगार संबंधित कई योजनाएं भी शुरू करने का ऐलान किया है।
पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) को अंतरिम बजट जितना ही रखा गया है। हालांकि वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र (Infrastructure sector) के लिए वाइबिलिटी गैप फंडिंग (viability gap funding) और बाजार आधारित फाइनैंसिंग ढांचे का प्रस्ताव किया है।
चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने अपना राजस्व खर्च (revenue expenditure) बढ़ाया है मगर राजस्व घाटा जीडीपी के 1.8 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। अंतरिम बजट में इसके 2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा (fiscal deficit and revenue deficit) दोनों अंतरिम बजट के अनुमान की तुलना में कम रहने की उम्मीद जताई गई है मगर बजट में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि (nominal GDP growth) 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी 1 लाख करोड़ रुपये कम होकर 326.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। अंतरिम बजट में इसके 327.7 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।
सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मूल रूप से राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था जिसे बाद में संशोधित कर 5.8 फीसदी कर दिया गया।
हालांकि राजकोषीय घाटे को कम करने पर सरकार के ज्यादा जोर देने को लेकर एक वर्ग आलोचना भी कर रहा है। उदाहरण के लिए इंस्ट्टीयूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन कॉम्प्लेक्स च्वॉइसेस के सह-संस्थापक (को-फाउंडर) अनिल के सूद ने कहा कि सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और राजस्व खर्च सालाना आधार पर (YoY) 6.2 फीसदी बढ़ा है जबकि कर राजस्व में 11 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है। इससे लगता है कि सरकार कम वास्तविक जीडीपी वृद्धि (real GDP growth) और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि (nominal GDP growth) के साथ संतुष्ट दिखती है और वृद्धि को रफ्तार देने का लक्ष्य नहीं है।