वित्त मंत्री ने ऐलान किया है कि 5जी मोबाइल सेवा शुरू करने की खातिर निजी कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी 2022 में होगी, लेकिन इसके बाद भी दूरसंचार क्षेत्र से वित्त वर्ष 23 में सालाना आधार पर करीब 27 फीसदी कम राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया है।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश में कमी के कारण भी साल 2022-23 में गैर-कर राजस्व 14 फीसदी घटकर 2.7 लाख करोड़ रुपये रह जाएगा, जो मौजूदा वित्त वर्ष में संशोधित अनुमान के तहत 3.1 लाख करोड़ रुपये है।
स्पेक्ट्रम की नीलामी और दूरसंचार कंपनियों से लाइसेंस शुल्क के जरिए सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में 72,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है, जो 54,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 33 फीसदी ज्यादा है।
हालांकि 2022-23 के लिए यह 53,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जो मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 27 फीसदी कम है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री आदिति नायर ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने मौजूदा वित्त वर्ष में अपनी टाली हुई कुछ देनदारी का भुगतान कर दिया है। अक्टूबर 2021 से सरकार ने समायोजित सकल राजस्व के भुगतान पर चार साल की मोहलत का ऐलान किया था। यह मोहलत स्वैच्छित योजना है और कंपनियां इसका लाभ लेने का फैसला करे या सीमांत उधारी लागत के साथ दो फीसदी ज्यादा की दर से ब्याज का भुगतान करे।
भुगतान टालने का मामला मूल रूप से पिछली नीलामियों में खरीदे गए स्पेक्ट्रम (2021 की नीलामी को छोड़कर) के भुगतान पर है।
नायर ने कहा, स्पेक्ट्रम व एजीआर के भुगतान पर मोहलत को देखते हुए संभावना है कि वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान में प्रस्तावित 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के कुछ अग्रिम भुगतान को शामिल किया जा सकता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने इस वित्त वर्ष में अपने बकाए का भुगतान किया, जिसके चलते सरकार का राजस्व बढ़ा। हालांकि एजीआर के आकलन के कारण अगले वित्त वर्ष से यह भुगतान कम रहेगा।
उदाहरण के लिए भारती एयरटेल ने दिसंबर 2021 में अपनी पूरी देनदारी 15,519 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया, जो 2014 में 128.4 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के अधिग्रहण का था। इस कदम से कंपनी को ब्याज खर्च के तौर पर करीब 3,400 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है।
मौजूदा वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को करीब 99,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह लाभांश वित्त्त वर्ष 2020-21 के लिए था, जिसे मई 2022 में चुकाया गया। आरबीआई, राष्ट्रीयकृत बैंकों और वित्तीय संस्थानों से सरकार को कुल मिलाकर 1.01 लाख करोड़ रुपये मिले।
