facebookmetapixel
ETF Top Picks: मिरे असेट शेयरखान की पसंद बने ये 10 ईटीएफ, 3 साल में 25% तक की कमाई कराईH-1B Visa: इंटरव्यू रद्द होने पर भारत ने अमेरिका के सामने जताई चिंता, मई 2026 तक टले हजारों अपॉइंटमेंटYear Ender 2025: इक्विटी म्युचुअल फंड्स का कैसा रहा हाल? इन 3 कैटेगरी ने निवेशकों को किया मालामालYear Ender 2025: NFOs आए… लेकिन निवेशकों ने क्यों पीछे खींचे हाथ?Tata Steel पर नीदरलैंड्स में $1.4 अरब का मुकदमा दायर, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोपRevised vs Updated ITR: दोनों में क्या है अंतर और किस टैक्सपेयर्स को क्या भरना जरूरी, आसान भाषा में समझेंNational Pension Scheme में हुए कई बदलाव, निवेशकों को जानना जरूरी!कोरोना के बाद वायु प्रदूषण सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट! डॉक्टरों का दावा: फेफड़ा-दिल को हो रहा बड़ा नुकसान2026 में कैसी रहेगी बाजार की चाल, निवेशक किन सेक्टर्स पर रखें नजर? मोतीलाल ओसवाल ने दिया न्यू ईयर आउटलुकYear Ender: ग्लोबल बैंक के लिए बैंकिंग सेक्टर में फिर बड़ा मर्जर? क्या और घटेगी सरकारी बैंकों की संख्या

तंगहाल पंजाब…पर देखो सरकार की दरियादिली!

Last Updated- December 05, 2022 | 4:39 PM IST


आर्थिक तंगी के बावजूद पंजाब सरकार ने सोमवार को पेश किए गए बजट में कोई नया कर नहीं लगाया है।


पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2008-09 के लिए 1,000.18 करोड़ रुपये घाटे का बजट पेश किया। इससे पहले पेश अन्य राज्यों के बजट में भी नए करों से गुरेज किया गया है।


 


पिछले कुछ सालों से पंजाब लगातार राजकोषीय घाटे से जूझ रहा है। राजकोषीय घाटे के बढ़ने का प्रमुख कारण राजस्व प्राप्ति के मुकाबले व्यय का बढ़ना है। इस कारण राज्य में राजस्व और राजकोषीय घाटा तेजी से बढ़ा है और नकदी की समस्या उपजी है। मनप्रीत सिंह ने बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि मार्च 2007 में जब हमारी सरकार सत्ता में आई तो उस समय राजकोष की स्थिति काफी खराब थी। राजस्व घाटा लगभग 1748.69 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा लगभग 4383.58 करोड़ रुपये था।


 


राज्य में राजस्व घाटा , कुल राजकोषीय घाटे का लगभग 40 प्रतिशत हो गया है। राजस्व में आई यह कमी 923 करोड़ रुपये के गैरयोजनागत व्यय के अतिरिक्त है। राजस्व में कमी निश्चित तौर राजकोष पर दबाव को बढ़ाने के साथसाथ सरकार के राजकोषीय प्रंबधन को भी पेचीदा बना रही है। राज्य सरकार इस दौरान वेतन, पेंशन और ब्याज के भुगतान पर किया जाने वाला खर्च 2006-07 की कुल राजस्व प्राप्तियों के 80 प्रतिशत से अधिक हो गया है। अन्य गैर योजनागत खर्च को जोड़ने पर राज्य सरकार का घाटा और बढ़ जाता है। इसके कारण सरकार पर कर्ज का भार भी बढ़ा है।


 


राज्य का कुल ऋण फरवरी 2002 में 32,496 करोड़ रुपये था। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2006-07 के अंत में बढ़कर 48,344 करोड़ रुपये हो गया। ऋण के बढ़ने के साथ ही ब्याज का दबाव भी बढ़ा है। वर्ष 2006-07 के दौरान ब्याज के भुगतान पर 4,151 करोड़ रुपये खर्च किए गए जो कुल राजस्व प्राप्तियों का 22.43 प्रतिशत है।


 


वित्त मंत्री ने बताया कि राजस्व प्राप्तियों के 2006-07 के 1748.69 करोड़ रुपये के मुकाबले 2007-08 में 1280.57 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि सरकार ऋण को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया गया है।


वर्ष 2008-09 के दौरान राजकोषीय घाटा 2.88 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जानकारों का मानना है कि आगामी पंचायत और जिला परिषद के चुनावों को देखते हुए सत्ताधारी अकालीभाजपा सरकार ने कोई नया कर लगाने से गुरेज किया है। हालांकि अनुमान है कि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुछ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

First Published - March 18, 2008 | 12:34 AM IST

संबंधित पोस्ट