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किसान क्रेडिट कार्ड पर 5 लाख रुपये तक मिलेगा उधार! बजट में बड़ा ऐलान संभव

किसान क्रेडिट कार्ड योजना 1998 में शुरू की गई थी। इसके तहत खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालिक फसल ऋण दिया जाता है।

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हर्ष कुमार   
Last Updated- January 10, 2025 | 11:20 PM IST

किसान क्रेडिट कार्ड के तहत उधार की सीमा जल्द ही 5 लाख रुपये की जा सकती है। एक सूत्र ने बताया कि आगामी बजट में सरकार 3 लाख रुपये की मौजूदा सीमा यानी क्रेडिट लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की योजना बना रही है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट 1 फरवरी को लोक सभा में पेश किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा, ‘किसान क्रेडिट कार्ड पर उधारी की सीमा पिछली बार काफी पहले बढ़ाई गई थी। सरकार के पास सीमा बढ़ाने की मांग लगातार आती रही है। किसानों की मदद करने और ग्रामीण मांग को बढ़ावा देने के इरादे से सरकार इस बजट में सीमा बढ़ाने की सोच रही है। इसलिए किसान क्रेडिट कार्ड पर उधारी की सीमा 3 लाख से बढ़कर 5 लाख रुपये हो सकती है।’

किसान क्रेडिट कार्ड योजना 1998 में शुरू की गई थी। इसके तहत खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालिक फसल ऋण दिया जाता है। सरकार किसानों को ब्याज पर 2 फीसदी छूट देती है और समय से अदायगी करने वाले किसानों के ब्याज में बतौर प्रोत्साहन 3 फीसदी कमी और कर दी जाती है। इस तरह किसानों को सालाना 4 फीसदी दर पर कर्ज मिल जाता है। इस योजना के तहत सक्रिय क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या 30 जून, 2023 तक 7.4 करोड़ से अधिक थी और उन पर 8.9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था।

आईसीआईसीआई बैंक और राष्ट्रीय कृ​षि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के निवेश वाली फिनटेक फर्म एडवारिस्क के सह-संस्थापक एवं सीईओ विशाल शर्मा ने कहा, ‘खेती की लागत बहुत बढ़ी है मगर किसान क्रेडिट कार्ड पर उधारी की सीमा कई साल से बढ़ाई नहीं गई। इस इजाफे से कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और कृ​षि आय बढ़ाने में मदद भी होगी। किसानों की आय बढ़ने से उनकी जीवनशैली में ही सुधार नहीं होगा, बल्कि बैंकिंग प्रणाली का जोखिम भी घटेगा क्योंकि किसान समय पर कर्ज चुका देंगे।’

नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड का उद्देश्य बड़ी जमीन वाले किसानों को ही नहीं बल्कि छोटी जोत वाले किसानों और पशुपालन एवं मत्स्यपालन जैसी गतिविधियों में लगे लोगों को भी अपने दायरे में लाना है।

उन्होंने कहा, ‘कृषि का मतलब फसल उगाना भर नहीं है। इसलिए कृ​षि से जुड़ी दूसरी गतिवि​धियों में लगे लोगों को भी सब्सिडी वाला कर्ज मिलना चाहिए ताकि उनकी प्रति व्यक्ति आय बढ़ सके। इसलिए हम वित्तीय सेवा विभाग के साथ मिलकर अभियान चला रहे हैं ताकि पशुपालन और मत्स्यपालन क्षेत्रों को भी पर्याप्त ऋण सुनिश्चित हो सके। इसमें सभी बैंक और ग्रामीण वित्तीय संस्थान शामिल हैं। हम राज्य सरकारों को मत्स्यपालकों के पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं क्योंकि पंजीकरण बढ़ाना जरूरी है। किसानों का पंजीकरण हो जाए तो हम बैंकों को उन्हें कर्ज देने के लिए कह सकते हैं।’

नाबार्ड के आकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2024 तक सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 167.53 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे, जिनकी कुल क्रेडिट लिमिट 1.73 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें डेरी किसानों के लिए 10,453.71 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 11.24 लाख कार्ड और मत्स्यपालकों के लिए 341.70 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 65,000 किसान क्रेडिट कार्ड शामिल हैं।

अ​धिकारी ने बताया कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी किसानों के लिए अधिक कारगर बनाने की संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने कहा कि फसल को नुकसान होने पर मुआवजे की प्रक्रिया में राज्य सरकारों की भूमिका कम करने पर विचार किया जा रहा है।

(साथ में संजीव मुखर्जी)

First Published : January 10, 2025 | 11:09 PM IST