बजट में 1 लाख करोड़ रुपये की कर बचत की घोषणा निश्चित तौर पर स्वागत योग्य खबर है। लेकिन कार्नेलियन ऐसेट मैनेजमेंट ऐंड एडवायजर्स के संस्थापक विकास खेमानी के अनुसार उपभोक्ता शेयरों में तेजी प्रतिकूल मूल्यांकन और बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव की वजह से जल्द फीकी पड़ सकती है। समी मोडक के साथ ईमेल साक्षात्कार में खेमानी ने इस बात पर जोर दिया कि 2025 उम्मीदों को सतर्कता के साथ पूरा करने और दीर्घावधि निवेश रणनीतियों के प्रति अनुशासित और प्रतिबद्ध रहने का वर्ष है। बातचीत के मुख्य अंश:
बाजार और आर्थिक परिदृश्य के पहलू से बजट पर आपकी क्या राय है?
यह बजट, खासकर व्यक्तिगत आयकर कटौती के साथ अच्छा और प्रगतिशील है। इसमें मध्य वर्ग के लिए राहत दी गई है क्योंकि उसके पास अब खर्च करने के लिए करीब 1 लाख करोड़ रुपये और उपलब्ध होंगे। सरकार ने राजकोषीय विवेक का रास्ता चुना है जो अच्छा ही है। हालांकि बाजार को राजकोषीय लिहाज से थोड़ी और ढील की उम्मीद थी। कुल मिलाकर, यह एक ठोस बजट है जिसमें कोई नकारात्मक आश्चर्य नहीं है। इसमें कृषि आय बढ़ाने और किसानों को समर्थन देने के उद्देश्य से कई सुधार शामिल किए गए हैं। इसमें सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की मदद और निर्यात बढ़ाने के लिए भी खासे उपाय किए गए हैं।
इक्विटी के प्रति बजट का दृष्टिकोण कैसे बदला है?
बाजार पर हमारा दृष्टिकोण मध्यावधि से दीर्घावधि तक तेजी का बना हुआ है। कैलेंडर वर्ष 2025 कम उम्मीदें रखने और अनुशासित रहने तथा निवेशित बने रहने का साल है। इस बजट के साथ, विनिर्माण क्षेत्र लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहेगा। सही मूल्य पर खास अवसरों में निवेश करने के लिए घट-बढ़ वाला समय सबसे अच्छा है।
खपत थीम से संबंधित शेयरों में तेजी आई है। क्या यह एकबारगी प्रतिक्रिया थी या दोबारा रेटिंग की संभावना है?
बजट घोषणाओं के बाद एफएमसीजी शेयरों में तेजी अल्पावधि प्रतिक्रिया लग रही है। खपत से जुड़े कई शेयरों ने पिछले पांच साल में कमजोर प्रदर्शन किया और प्रतिकूल मूल्यांकन तथा संभावित बाजार दिक्कतों की वजह से उन पर आगे भी दबाव बना रह सकता है। हालांकि दीर्घावधि निवेश के लिए खपत आकर्षक विकल्प बना हुआ है।
पूंजीगत खर्च से जुड़े शेयरों में निराशा रही। इस पर आपकी क्या विचार हैं?
कुल पूंजीगत खर्च 11.2 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर रहने के बावजूद इस आंकड़े को सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए क्योंकि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बहुत सारा पूंजीगत खर्च हो सकता है। सरकार का इरादा स्पष्ट रूप से विश्वस्तरीय इन्फ्रा का निर्माण करना है। पूंजीगत खर्च और इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरों के बारे में बाजार की मौजूदा निराशा अतिशयोक्ति भरी है। निवेशकों के लिए ये एक बेहतर खरीदारी का अवसर हो सकते हैं।
क्या सितंबर की ऊंचाई से बाजार में आई बड़ी गिरावट के कारण अब मूल्यांकन आकर्षक हो गए हैं? मध्यावधि और दीर्घावधि परिदृश्य कैसा है?
बाजार की ताजा गिरावट ने वाकई मूल्यांकन को ज्यादा आकर्षक बना दिया है। इससे मध्यावधि से दीर्घावधि के लिए भारत पर हमारे तेजी के नजरिये को बल मिला है। विनिर्माण, वित्तीय, दवा और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) जैसे प्रमुख क्षेत्र विशेष रूप से आकर्षक हैं और इनके अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। निवेशकों को बिना जल्दबाजी के इन अवसरों को पहचानने और उनका लाभ उठाने की रणनीति बनानी चाहिए।
क्या आप मान रहे हैं कि एफपीआई की बिकवाली जारी रहेगी? ऐसे कौन से कारक हैं जिनसे विदेशी निवेश प्रवाह की चाल तय होगी?
हालांकि एफपीआई की बिकवाली में कुछ कमी आई है। लेकिन अमेरिकी डॉलर में हाल में हुई बढ़ोतरी के कारण इसमें और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। हमारा अनुमान है कि दरों में कटौती शुरू होने के बाद इस रुझान में बदलाव आएगा, जिससे एफपीआई भारतीय बाजारों की ओर आकर्षित होंगे।