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ग्रामीण बुनियादी ढांचे व डिजिटलीकरण पर जोर

Last Updated- December 11, 2022 | 9:29 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ग्रामीण क्षेत्र के लिए बजट में गांवों में सड़कों और आवास जैसी मूर्त संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ ही वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान की तुलना में मनरेगा के बजट में वित्त वर्ष 23 में 25.51 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है।
मांग से संचालित योजना होने के कारण इस बात की पूरी संभावना है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान मनरेगा का बजट बढ़ जाए, जैसा कि चालू वित्त वर्ष में हुआ है। काम की मांग ज्यादा होने के कारण चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में मनरेगा पर खर्च बढ़कर 98,000 करोड़ रुपये हो गया, जो बजट में 73,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।
कृषि क्षेत्र के लिए प्रमुख योजनाओं में धन के आवंटन को लेकर बहुत ज्यादा नियम नहीं हैं, लेकिन कृषि में डिजिटल इकोसिस्टम के सृजन के लिए कुछ ध्यान दिया गया है और साथ ही किसानों को तिलहन और दलहन की ओर आकर्षित करने पर जोर है। किसानों के लिए बड़ी निराशा है कि प्रत्यक्ष नकदी अंतरण योजना पीएम-किसान के बजट में बढ़ोतरी नहीं की गई है, जिसके लिए वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान में केंद्र ने 68,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान से मामूली ज्यादा है।
कृषि के हिसाब से अहम राज्यों पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और हाल के दिनों में 3 कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिसे सरकार को वापस लेना पड़ा। ऐसे में सरकार से उम्मीद थी कि किसानों को 6,000 रुपये सालाना देने वाली योजना में कुछ राशि बढ़ाई जाएगी, लेकिन वित्त मंत्री ने ऐसा नहीं किया।
कृषि क्षेत्र की अन्य योजनाओं मेंं फसल बीमा योजना और कम अवधि के कर्ज पर ब्याज छूट योजना का आवंटन कमोबेश पहले के स्तर पर बरकरार रखा गया है।
तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 23 में 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत होगा।
बजट दस्तावेजों के मुताबिक इस कार्यक्रम का मकसद 2020-21 से शुरू होकर अगले 5 साल में 2024-25 तक तिलहन का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाना और इसका उत्पादन 361 लाख टन से बढ़ाकर 541 लाख टन करना है। वहीं उत्पादकता 1,254 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,676 किलो करने का लक्ष्य है।
बजट दस्तावेज में कहा गया है, ‘तिलहन की खेती में 35 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र लाया जाएगा (287.9 लाख हेक्टेयर से 323.1 लाख हेक्टेयर) और यह धान की परती, इंटर क्रॉपिंग, ज्यादा क्षमता वाले जिलों औ्र गैर परंपरागत राज्यों के माध्यम से किया जाएगा। इससे आयात पर निर्भरता 52 प्रतिशत से घटकर 36 प्रतिशत रह जाएगी।’
कुल मिलाकर वित्त वर्ष 23 में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के लिए वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान की तुलना में 2.5 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की गई है और यह 1,47,764 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,51,521 करोड़ रुपये हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र के बजट में दरअसल मामूली कमी आई है और यह वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान 2,06,948 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान में 2,06,293 करोड़ रुपये हो गया है।
किसानों के अधिकारों की लड़ाई लडऩे वाले समूह जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अवीक साहा ने कहा, ‘सरकार ने अभी भी किसानों को लिखित रूप से दिए गए आश्वासनों को पूरा नहीं किया है, जिससे कृषक संगठन कृषि आंदोलन स्थगित करने को सहमत हुए थे। अब किसानों के समक्ष आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।’ वहीं स्मॉल होल्डर्स फार्मिंग के वैश्विक प्रमुख डी नारायण ने कृषि तकनीक नवोन्मेषों को बढ़ावा देने सहित बजट के विभिन्न पहलों का स्वागत किया है।

First Published - February 1, 2022 | 11:15 PM IST

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