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Economic Survey 2025: बजट से ठीक एक दिन पहले यानी 31 जनवरी (शुक्रवार) को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा। लोकसभा में यह दस्तावेज दोपहर 12 बजे और राज्यसभा में दोपहर 2 बजे पेश किया जाएगा। यह रिपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और विकास की संभावनाओं को समझने के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे संसद में पेश करेंगी और देश की आर्थिक सेहत के बारे में जानकारी देंगी। आमतौर पर यह रिपोर्ट बजट से ठीक पहले हर साल वित्त मंत्रालय की ओर से पेश की जाती है।
इकोनॉमिक सर्वे में देश के विकास दर (GDP Growth), महंगाई (Inflation), निवेश के मौके और राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) जैसे अहम बिंदुओं पर खास जानकारी दी जाती है। इसके जरिए यह भी पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के सामने क्या चुनौतियां हैं और आगे का रास्ता क्या हो सकता है।
इस साल की रिपोर्ट में बड़े आर्थिक जोखिमों, महंगाई को काबू में रखने के उपायों, और निवेश बढ़ाने की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है।
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संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। हर साल की परंपरा के अनुसार, केंद्रीय बजट से ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। इस साल भी 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया जाएगा, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति और विकास के संभावित रुझानों पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
हर साल बजट पेश होने से एक दिन पहले संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का व्यापक विश्लेषण करता है। यह रिपोर्ट देश की आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा पेश करती है और यह समझने में मदद करती है कि अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ रही है।
इकोनॉमिक सर्वे सरकार की नीतियों और योजनाओं के असर का विस्तृत विवरण देता है। इसमें बीते वित्त वर्ष की प्रमुख उपलब्धियों के साथ-साथ आने वाले वर्षों की चुनौतियों और संभावनाओं पर भी रोशनी डाली जाती है। यह रिपोर्ट सरकार को न सिर्फ मौजूदा हालात की सही तस्वीर दिखाती है, बल्कि भावी नीतियों की योजना बनाने में भी अहम भूमिका निभाती है।
इस सर्वे को तैयार करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार की होती है। वे विभिन्न आर्थिक आंकड़ों और नीतिगत विश्लेषण के आधार पर इसे तैयार करते हैं, ताकि देश की आर्थिक दिशा और प्राथमिकताओं को सही रूप से प्रस्तुत किया जा सके।
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यह दस्तावेज न केवल सरकार के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है, बल्कि जनता और निवेशकों को भी देश की आर्थिक स्थिति और भविष्य की योजनाओं की स्पष्ट जानकारी देता है। इससे उन्हें सही फैसले लेने में मदद मिलती है।
भारत में पिछले वित्त वर्ष की विकास दर और आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए, यह सामने आया है कि FY24 में देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण कंजम्पशन डिमांड में स्थिरता और निवेश मांग में बढ़ोतरी रहा।
वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा घटकर GDP का 5.6% रह गया, जिसका श्रेय डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स में वृद्धि और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से प्राप्त उच्च लाभांश के रूप में मिले कर राजस्व को दिया जा सकता है।
FY 2023-24 के दौरान भारत का पूंजीगत व्यय (Capex) ₹9.5 लाख करोड़ रहा। वहीं, ब्याज भुगतान पर बजट एक्सपेंडिचर कुल राजस्व एक्सपेंडिचर का 30.4% दर्ज किया गया।
भारत में, औसत खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत पर रही, जो कोविड-19 महामारी के बाद सबसे कम है। हालांकि, खाद्य महंगाई में तेज उछाल देखा गया और यह वित्त वर्ष 2023-24 में 7.5% पर पहुंच गई, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 3.8% थी।
हर साल बजट से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। अगर आप इसे लाइव देखना चाहते हैं, तो संसद टीवी और पीआईबी इंडिया के आधिकारिक चैनल्स पर इसका सीधा प्रसारण होगा।
इसके अलावा, वित्त मंत्रालय के फेसबुक पेज और उनके आधिकारिक एक्स हैंडल (@FinMinIndia) पर भी इससे जुड़े सभी अपडेट्स आपको मिलेंगे। सर्वे जारी होने के बाद, इसे इंडिया बजट वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछला इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई, 2024 को पेश किया था। इस बार भी उम्मीद है कि सर्वेक्षण देश की आर्थिक स्थिति और विकास के अहम आंकड़े पेश करेगा।