वैश्विक अर्थव्यवस्था अगर रफ्तार नहीं पकड़ पाती है तो अगले वित्त वर्ष में भारत की निर्यात वृद्धि सपाट रहने की संभावना है। आर्थिक समीक्षा (Economic Survey) में मंगलवार को यह कहा गया।
समीक्षा में कहा गया कि वैसे तो भारत का व्यापारिक निर्यात 2021-22 में 422 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया, लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था के समक्ष प्रतिकूल परिस्थितियां हैं और वैश्विक व्यापार में सुस्ती का असर भारत की निर्यात वृद्धि पर पड़ेगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक मांग में नरमी के कारण दिसंबर, 2022 में भारत का निर्यात 12.2 फीसदी घटकर 34.48 अरब डॉलर रह गया और इसी अवधि के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 23.76 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का कुल निर्यात नौ फीसदी बढ़कर 332.76 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 24.96 फीसदी बढ़कर 551.7 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 218.94 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल-दिसंबर 2021 में 136.45 अरब डॉलर था।
समीक्षा में कहा गया, ‘वैश्विक वृद्धि की रफ्तार 2023 में यदि नहीं बढ़ती है, जैसा कि कई पूर्वानुमानों में कहा गया है, तो आगामी वर्ष में निर्यात परिदृश्य सपाट बना रह सकता है।’ ऐसी स्थिति में मुक्त व्यापार समझौतों के रास्ते निर्यात स्थलों और उत्पादों में विविधीकरण व्यापार अवसर बढ़ने में मददगार होगा।
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विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने 2023 में वैश्विक व्यापार में महज एक फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया है। दिसंबर 2022 में अहम निर्यात क्षेत्रों मसलन इंजीनियरिंग सामान, रत्न एवं आभूषण, चमड़े की वस्तुएं, दवा, गलीचा और पेट्रोलियम उत्पाद ने नकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। समीक्षा में कहा गया, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी आने और उससे वैश्विक व्यापार घटने से भारतीय निर्यात में कमी से बचना मुश्किल है।’