वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) आज आम बजट 2023 (Union Budget 2023) पेश करेंगी। वित्त मंत्री का ये पांचवा बजट हैं वहीं मौजूदा सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। बजट पर आम से लेकर खास की निगाहें रहती हैं क्योंकि यह पूरे वित्त वर्ष में कमाई-खर्च को प्रभावित करता है और इसमें कई अहम योजनाओं से जुड़ा ऐलान भी होता है। अब बजट इतना अहम है तो इसे पूरा समझना भी जरूरी हो जाता है तो इसे समझने के लिए इसमें इस्तेमाल होने वाले टर्म्स यानी शब्दों का अर्थ जानना चाहिए। आइए डालते हैं एक नजर-
आसान भाषा में बताये तो बजट एस्टीमेट सरकार की इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता हैं। बजट एस्टीमेट में कई कार्यों समेत अलग-अलग मंत्रालयों के लिए आवंटित की जाने वाली धनराशि तय की जाती है। इन नंबरों को बजट अनुमान कहा जाता है।
उदाहरण के तौर पर यदि सरकार डिफेंस सेक्टर के लिए 1,000 करोड़ रुपये अलग रखती है, तो उस फाइनेंशियल ईयर में डिफेन्स सेक्टर के लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान होगा।
Revised Estimates
अब बात करते है रिवाइज्ड एस्टीमेट की। फाइनेंशियल ईयर में संभावित खर्च के अनुमान की मिड ईयर में समीक्षा की जाती है। इस दौरान सरकारी खर्च के ट्रेंड, नयी सर्विस का आकलन किया जाता है जिसके बाद रिवाइज एस्टीमेट तैयार किया जाता है।
Repo Rate
रेपो दर वह रेट है जिस पर किसी देश का सेन्ट्रल बैंक पैसे की कमी की स्थिति में कमर्शल बैंकों को धन उधार देता है। रेपो दर बढ़ने के साथ नागरिकों को आम बैंकों से मिलना वाला पर्सनल लोन, होम लोन भी महंगा हो जाता है। रेपो दर का इस्तेमाल महंगाई को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।
Consolidated Fund
भारत सरकार को इनकम टैक्स, कस्टम ड्यूटी, सेन्ट्रल एक्साइज और नॉन-टैक्स रेवेन्यू से मिलने वाले पैसे को कंसॉलिडेटेड फंड कहा जाता है। सरकार द्वारा ट्रेजरी बिल, विदेशी सरकारों या अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से जुटाया या हासिल किया गया कोई भी धन हमेशा इस फंड में जमा किया जाता है।
इसी तरह, भारत सरकार जो भी पैसा खर्च करती है, वो इसी फंड से किया जाता है।
Finance Bill
एक फाइनेंस बिल देश के फाइनेंस से जुड़ा होता है। यह टैक्स, सरकारी खर्च, सरकारी उधारी, रेवन्यू के बारे में होता है और क्योंकि केंद्रीय बजट इन चीजों से संबंधित है, इसलिए इसे फाइनेंशियल बिल के रूप में पास किया जाता है।
Direct and Indirect Taxes
भारत में पैसे कमाने वाले हर व्यक्ति को अपनी इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। भारत में दो प्रकार के कर लगाए जाते हैं: डाइरेक्ट और इनडाइरेक्ट टैक्स।
डायरेक्ट टैक्स को टैक्स पेयर द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है। यह टैक्स सीधा व्यक्ति की इनकम पर लगता है। वहीं, इनडाइरेक्ट टैक्स वह कर है जो गुड्स और सर्विस का इस्तेमाल करने पर लगाया जाता है। यह सीधे किसी व्यक्ति की आय पर नहीं लगाया जाता है।
Customs duty
कस्टम ड्यूटी आसान शब्दों में वह टैक्स है जो माल के इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट पर लगाया जाता है। सरकार इस टैक्स का इस्तेमाल अपना रेवेन्यू बढ़ाने के साथ, घरेलू इंडस्ट्रीज को विदेशों के सस्ते माल से बचाने और माल की आवाजाही को कण्ट्रोल करने के लिए करती है।
Blue Sheet
ब्लू शीट एक तरह का सीक्रेट दस्तावेज है। इसमें बजट से जुड़े जरूरी कागजात और आंकड़ों होते हैं जो कि एक नीले रंग की शीट में होते है। इसे ही Blue Sheet कहा जाता है। इस सीक्रेट डॉक्यूमेंट को बजट के पूरे प्रोसेस का बैकबोन भी कहा जाता है।
Zero Budget
जीरो बजट में बीते वित्त वर्ष में हुए खर्चे और बाकी बचे बैलेंस को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए- अगर किसी योजना के तहत सरकार ने करोड़ों रुपये की राशि आवंटित की है और इसका महज कुछ हिस्सा ही खर्च हुआ है, तो इस स्थिति में बचे हुए पैसे दोबारा से आवंटित नहीं किए जाते। इसे ही Zero Budget कहते हैं।