प्रतीकात्मक तस्वीर
स्कोडा ऑटो फोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड साल 2030 तक नए मॉडलों की पेशकश के साथ अपने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पोर्टफोलियो को 17 फीसदी तक बढ़ाने चाह रही है। दिल्ली में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी पीयूष अरोड़ा ने यह जानकारी दी है। फिलहाल, भारत में स्कोडा के पांच ब्रांड हैं, जिनमें फोक्सवैगन, स्कोडा ऑटो, ऑडी, पोर्शा और लम्बरगिनी शामिल हैं।
यह भारतीय वाहन बाजार में स्कोडा ऑटो की 5 फीसदी की समग्र वृद्धि का हिस्सा होगा। फिलहाल 130 साल पुरानी यह कार कंपनी भारत में बीते 25 वर्षों से है और इसकी भारतीय वाहन बाजार में 3 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। इसमें पारंपरिक वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन दोनों शामिल हैं।
अरोड़ा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘तेजी से बदल रही व्यापार की स्थिति और भू-राजनीतिक बदलावों के साथ मुझे लगता है कि हमारी वृद्धि के लिए भारतीय बाजार सही है। हम मध्यम अवधि में भारतीय वाहन बाजार में पांच फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और इसमें पारंपरिक और इलेक्ट्रिक दोनों वाहन शामिल हैं। हमारी रणनीति के एक हिस्से के तहत, हमें उम्मीद है कि साल 2030 तक हमारे पूरे पोर्टफोलियो में इलेक्ट्रिक वाहन का करीब 17 से 20 फीसदी योगदान रहेगा।’
अरोड़ा ने कहा, ‘इस दशक के अंत तक हमारे पास भारतीय बाजार में स्कोडा और फोक्सवैगन ब्रांडों के लिए पूरी तरह से स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन उत्पाद मौजूद रहेंगे।’
कंपनी का मानना है कि आने वाले समय में शून्य उत्सर्जन वाले वाहन और इलेक्ट्रिक वाहनों का ही दबदबा रहेगा। इस तरह वे वैश्विक स्तर पर सभी ब्रांडों में ई-मोबिलिटी की पैठ बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं और इसमें भारत भी शामिल है। अरोड़ा ने कहा कि प्रत्येक ब्रांडों के किए एक से अधिक उत्पादों की घोषणाएं की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘अगले दो से चार वर्षों में ये उत्पाद न केवल भारतीय बाजार में पेश किए जाएंगे, बल्कि हम अपनी मूल्य श्रृंखला को भी उनके साथ मिलाएंगे।’
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