ऋण और जमा संतुलन का समाधान वास्तविक अर्थव्यवस्था में, मिंट स्ट्रीट पर नहीं
बाजार की स्मृति अल्पकालिक हो सकती है। गत वर्ष लगभग इसी समय हम कमजोर जमा वृद्धि को लेकर बातें कर रहे थे। आज, हम कमजोर ऋण वृद्धि को लेकर चिंतित हैं। हमारा मानना कि इन दोनों अवधियों में एक बात समान है। एक ओर जहां मदद के लिए सभी की निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक की […]
Budget 2025-26: बजट में दिख पाएगा कुछ अलग करने का साहस?
साल का यह बहुत अहम समय है। फरवरी की पहली तारीख को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जाएगा और उसके हफ्ते भर के भीतर 7 फरवरी को भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत बैठक शुरू हो जाएगी। नीति निर्माताओं के सामने बेहद पेचीदा स्थिति आ गई है। सार्वजनिक पूंजीगत व्यय को फिर शुरू करना, […]
100 संकेतकों के आधार पर वृद्धि की पड़ताल
शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय वृद्धि के बाद हालात अपेक्षाकृत शांत नजर आ रहे हैं। हाल के दिनों में सामने आए आंकड़े मिलाजुला संदेश दे रहे हैं- कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक। कुछ में सुधार होता नजर आता है और कुछ में गिरावट। इस बीच सभी आंकड़ों में […]
भारत को निर्यात से मिलती राहत की गुंजाइश
भारत की सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था में कुछ सार्थक बदलाव हुए हैं। महामारी से पहले की अवधि की तुलना में शुद्ध आधार पर, सेवा निर्यात से राजस्व में प्रति वर्ष 60 अरब डॉलर से अधिक रकम मिल रही है। इससे भुगतान संतुलन के मोर्चे पर काफी राहत मिली है। सिर्फ मुद्रास्फीति ही इन आंकड़ों को […]