केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज कहा कि ई20 ईंधन, जिसमें 80 प्रतिशत पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता है, की सोशल मीडिया पर हालिया आलोचना ‘पेट्रोल लॉबी’ द्वारा प्रायोजित ‘दुष्प्रचार’ है। यह लॉबी ‘अमीर और मजबूत’ है। वह फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) की ओर से आयोजित वार्षिक ऑटो रिटेल कॉन्क्लेव कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
हाल के सप्ताहों में सोशल मीडिया पर इस चिंता पर बहस छिड़ी हुई है कि ई20 ईंधन वाहनों के माइलेज और इंजन की दक्षता पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। इस मसले पर गडकरी ने कहा, ‘हर जगह लॉबी होती हैं। हित होते हैं। आप (फाडा) भी उन लॉबी में से एक हैं। हम आपसे समर्थन की उम्मीद कर रहे है। सोशल मीडिया पर कुछ दुष्प्रचार चल रहा है। यह कुछ लोगों द्वारा प्रायोजित है। पेट्रोल लॉबी बहुत अमीर और मजबूत है।’
12 अगस्त को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा था कि ईंधन दक्षता में कमी संबंधी चिंताएं ‘निराधार’ हैं और ई-0 ईंधन पर वापसी का विकल्प प्रदूषण और ऊर्जा परिवर्तन के संबंध में ‘कड़ी मेहनत से हासिल की गई उपलब्धियों को गंवाना’ होगा। गडकरी ने बुधवार को भारतीय वाहन उद्योग में हाल ही में दुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी और कुछ साल पहले सेमीकंडक्टर चिप की कमी को लेकर भी बात की। ये दोनों ही कमियां मुख्य रूप से इन सामग्रियों के लिए भारत की चीन पर निर्भरता के कारण पैदा हुई थीं।
मंत्री ने कहा, ‘पहले स्थिति अच्छी नहीं थी (भारत में सेमीकंडक्टर चिप के उत्पादन के संबंध में)। आज हमने भारत में सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन शुरू कर दिया है। इसी तरह हमारी स्टार्टअप अब बैटरी केमिस्ट्री – सोडियम आयन बैटरी, लीथियम आयन बैटरी, जिंक आयन बैटरी, एल्युमीनियम आयन बैटरी आदि पर काम कर रहीं हैं। ये स्टार्टअप अच्छा अनुसंधान कर रही हैं।’गडकरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग से बड़ी मात्रा में दुर्लभ खनिज धातुएं मिल सकती हैं। सरकार अब ऐसी पहलों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन दे रही है।
वैकल्पिक ईंधन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर सरकार के जोर दिए जाने के बीच पेट्रोल और डीजल वाहनों के भविष्य के संबंध में गडकरी ने कहा, ‘लोग मुझसे पूछते रहते हैं कि आप सभी वैकल्पिक ईंधनों और जैव ईंधनों का समर्थन करते रहते हैं। लोगों के मन में इस बात का भ्रम है कि अब सभी प्रकार के विकल्प मौजूद हैं, तो (पेट्रोल या डीजल वाहनों का) क्या होने वाला है? आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। पेट्रोल और डीज़ल वाहनों की मांग अब भी बढ़ने वाली है, क्योंकि वाहन विनिर्माण में लगभग 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार भी बहुत बड़ा है।’
भारत के वाहन क्षेत्र के विकास के संबंध में उन्होंने कहा, ‘जब मैंने मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, तब भारतीय वाहन उद्योग का आकार 14 लाख करोड़ रुपये था और हमारा सातवां स्थान था। केवल छह महीने पहले ही हमने जापान को (वॉल्यूम के लिहाज से) पीछे छोड़ दिया। अब दुनिया में हमारा स्थान तीसरा पर है।’