आज का अखबार

झींगा कारोबार में Trump Tariff की मार भारत-अमेरिका पर बराबर

भारत ने 2023-24 के दौरान 4.88 अरब डॉलर मूल्य के 7,16,004 टन फ्रोजन झींगे का निर्यात किया।  इसमें से 2,97,571 टन अमेरिका भेजा गया।

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- August 26, 2025 | 10:17 PM IST

भारत से अमेरिका में आयात होने वाली वस्तुओं पर बुधवार से लागू होने वाले 50 प्रतिशत शुल्क का दोनों देशों के झींगा बाजार पर एक बराबर असर पड़ने की संभावना है। शुल्क के बारे में कार्यकारी आदेश अगस्त की शुरुआत में आया, जिसके बाद भारत में झींगा उत्पादकों को मिलने वाली कीमतें करीब 30 प्रतिशत घट गई हैं।

व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारत से आयातित झींगे की कीमत बढ़ने के अनुमान में पिछले अमेरिका में बड़े आकार के प्रीमियम झींगे का दाम 10 दिन में ही करीब 50 प्रतिशत बढ़ गया। अमेरिका के झींगा बाजार में भारत की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। इनक्रेड इक्विटीज के नितिन अवस्थी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मोटे तौर पर झींगा कारोबार के दोनों छोर यानी भारत में झींगा उत्पादक और अमेरिका में इसके उपभोक्ता ही ऊंचे शुल्कों की तपिश झेल रहे हैं।’

व्यापारियों का कहना है कि इस समय अमेरिका में बड़े आकार का प्रीमियम झींगा 15-16 डॉलर प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहा है। केवल एक पखवाड़ा पहले इसका भाव 10-11 डॉलर प्रति किलो था। भारत पर पहले से लगे 25 प्रतिशत शुल्क के ऊपर 25 प्रतिशत शुल्क और लगाने के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 6 अगस्त के आदेश के फौरन बाद भारत में 50 से कम काउंट वाले झींगों की कीमत उत्पादकों के लिए करीब 20 प्रतिशत गिर गई। उसके बाद 10-20 फीसदी की गिरावट और आई, जिसके बाद कीमतें ठहर गईं। भारत के मछली उत्पादकों की स्थिति इसके कारण बिगड़ी हुई है।

लेकिन भारतीय झींगा की सभी किस्मों का औसत निर्यात मूल्य लगभग 7 डॉलर प्रति किलो पर ही बना हुआ है, क्योंकि अधिकतर वैश्विक खरीदार ऊंची लागत का बोझ शुरुआती हफ्तों में ही उपभोक्ताओं पर डाल देने का इरादा रखते हैं।  अवस्थी ने कहा कि बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि बदलते माहौल के साथ बाजार तालमेल कैसे बिठाता है। मगर बाजार से जुड़े कुछ हिस्सेदारों का कहना है कि भारत के झींगा उत्पादकों के लिए सब कुछ खत्म नहीं हुआ है।  किसानों के झींगा उत्पादन केंद्र पर कीमत इसलिए भी कम हुई है कि यह झींगा निर्यात कारोबार का मुख्य सीजन नहीं है।  

भारत के पशु आहार क्षेत्र में कारोबार करने वाले उद्योगों के संगठन कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए)  के चेयरमैन दिव्य कुमार गुलाटी ने कहा, ‘ज्यादातर झींगा उत्पादक इस समय इसका भंडारण कर रहे हैं और वे अब तालाबों में बढ़ रही हैं। झींगे की बड़ी खेप  नवंबर और दिसंबर महीने में क्रिसमस के आसपास भेजी जाएगी। उस समय तक उत्पादकों पर पड़ने वाला असर कुछ हद तक कम हो जाएगा।’

उन्होंने कहा कि इस बीच भारत मुक्त व्यापार समझौते भी कर रहा है, साथ ही घरेलू बाजार में बढ़ती मांग से भी उत्पादकों को कुछ राहत मिलेगी।  गुलाटी ने कहा, ‘एक हिसाब से अमेरिकी शुल्क मुसीबतों में एक वरदान भी है, जिससे नए बाजार मिलेंगे और सिर्फ अमेरिका पर निर्भरता नहीं रह जाएगी।’ भारत के झींगा निर्यातकों ने शून्य ब्याज पर कर्ज दिए जाने की मांग की है, जिससे उत्पादकों से झींगा खरीदी जा सके और झींगा उत्पादकों के मुनाफे पर असर न पड़े। 

भारत हर साल दुनिया को 60,000 से 62,000 करोड़ रुपये के समुद्री उत्पादों का निर्यात करता है, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। भारत के कुल समुद्री उत्पादों के निर्यात में झींगा की हिस्सेदारी मात्रा के हिसाब से 41 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 66 प्रतिशत है। मैरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) के मुताबिक भारत ने 2023-24 के दौरान 4.88 अरब डॉलर मूल्य के 7,16,004 टन फ्रोजन झींगे का निर्यात किया।  इसमें से 2,97,571 टन अमेरिका भेजा गया।

First Published : August 26, 2025 | 10:07 PM IST