सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों की 3,000 से ज्यादा सदस्य कंपनियों के कैलिफोर्निया मुख्यालय वाले वैश्विक उद्योग संघ सेमीकंडक्टर इक्विपमेंट ऐंड मटीरियल्स इंटरनैशनल (SEMI) के अध्यक्ष और मुख्य कार्य अधिकारी अजीत मनोचा ने सुरजीत दास गुप्ता के साथ ईमेल पर बातचीत में वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत द्वारा खुद को प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने की नई रणनीति के संबंध में जानकारी साझा की। प्रमुख अंश…
दुनिया भर में बड़ी संख्या में फैब (निर्माण इकाइयां) निर्मित की जा रही हैं। सेमी का साल 2030 तक भारत की हिस्सेदारी के संबंध में क्या अनुमान है?
सितंबर 2024 की सेमी वर्ल्ड फैब फोरकास्ट रिपोर्ट के अनुसार साल 2027 तक 108 वेफर फैब ऑनलाइन आने वाले हैं। इनमें से 87 कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। सेमी का अनुमान है कि दशक के अंत तक अनुमानित एक लाख करोड़ डॉलर वार्षिक सेमीकंडक्टर राजस्व का समर्थन करने के लिए साल 2027 और साल 2030 के बीच अतिरिक्त 50 से ज्यादा फैब की जरूरत होगी।
मेरे विचार से भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य साल 2030 तक 10 से ज्यादा फैब होना चाहिए। लेकिन यह पहले से घोषित पांच से अधिक विनिर्माण इकाइयों के सफल निष्पादन और भारत के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने पर निर्भर करता है।
सरकार ने पांच साल में वैश्विक आउटसोर्सड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग/असेंबली टेस्टिंग मार्किंग ऐंड पैकिंग (ओएसएटी/एटीएमपी) क्षेत्र में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसका उद्देश्य साल 2030 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना है। क्या इसे हासिल किया जा सकता है?
हां, यह संभव है और भारत पहले ही अच्छी शुरुआत कर चुका है। वेफर फैब की तुलना में ओएसएटी/एटीएमपी में निवेश कम है और जटिलता भी कम है। प्रवेश के लिए ये कम बाधाएं तीव्र वृद्धि के लिए दमदार अवसर देती हैं। सेमी कंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण से वेफर फैब्स में अतिरिक्त निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
भारत में मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं द्वारा चिप की ज्यादातर मांग क्वालकॉम जैसी फैबलेस कंपनियां पूरी करती हैं जो ताइवान के विनिर्माताओं पर निर्भर हैं। भारतीय वेफर विनिर्माता किसे बेचेंगे या निर्यात कर सकते हैं?
भारत की शुरुआती चुनौती प्रतिस्पर्धी लागत पर चिप का उत्पादन करना होगी जो बड़े स्तर और अबाध निष्पादन पर निर्भर करता है। कामयाब चिप विनिर्माता शून्य त्रुटि और अधिक लाभ के लिए प्रयास करते हैं, खास तौर पर मोबाइल उपकरण जैसे अधिक वॉल्यूम वाले बाजारों में, जहां हर रुपया मायने रखता है।
भारत अपने इंजीनियरिंग कौशल के लिए जाना जाता है। लेकिन कार्यबल में सेमीकंडक्टर विनिर्माण में प्रशिक्षण की कमी है। यह चुनौती कितनी बड़ी है?
कौशल की कमी दुनिया भर में गंभीर मसला है। लेकिन कामयाब होने के लिए भारत में सही सामग्री और अप्रशिक्षित कौशल है। इस कार्यबल को प्रशिक्षित करने में सेमी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अगर अप्रशिक्षित कौशल उपलब्ध नहीं होता तो भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को जमने के लिए संघर्ष करना पड़ता।
ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, यूनाइटेड माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन और इंटेल कॉर्पोरेशन जैसी बड़ी कंपनियां भारत से दूर क्यों रही हैं?
सेमी एकल आधार पर सदस्य कंपनियों पर टिप्पणी नहीं करता। हालांकि सेमीकॉन इंडिया से पहले हाल ही में सेमीकंडक्टर कार्यकारी शिखर सम्मेलन में मूल्य श्रृंखला के 100 से अधिक मुख्य कार्य अधिकारी और मुख्य अनुभव अधिकारी इससे प्रभावित और आश्वस्त थे कि भारत अगले बड़े सेमीकंडक्टर हब के रूप में पेश करेगा।