facebookmetapixel
MCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असरIPO Alert: PhysicsWallah जल्द लाएगा ₹3,820 करोड़ का आईपीओ, SEBI के पास दाखिल हुआ DRHPShare Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदेंWeather Update: बिहार-यूपी में बाढ़ का कहर जारी, दिल्ली को मिली थोड़ी राहत; जानें कैसा रहेगा आज मौसमपांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौका

मात्रा आधारित छूट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अब कंपनियां पूरे आत्मविश्वास से कर सकेंगी मूल्य निर्धारण

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्न भालचंद्र वराले के पीठ ने अब बंद हो चुके प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉमपैट) के फैसले को बरकरार रखा।

Last Updated- May 13, 2025 | 11:13 PM IST
Supreme Court of India
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक अहम फैसले में कहा कि मात्रा आधारित छूट की पेशकश प्रतिस्पर्धा कानून 2022 के तहत भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण नहीं है बशर्ते ऐसी छूट को बराबर लेनदेन के लिए अलग तरीके से लागू न किया जाए।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्न भालचंद्र वराले के पीठ ने अब बंद हो चुके प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉमपैट) के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा, ‘कॉमपैट के आदेश को बरकरार रखा जाता है। लंबी मुकदमेबाजी के लिए कपूर ग्लास पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।’

मात्रा आधारित छूट को मात्रात्मक छूट अथवा थोक छूट के रूप में भी जाना जाता है। यह मूल्य निर्धारण की एक रणनीति है। इसके तहत कुल खरीद की मात्रा बढ़ने पर किसी उत्पाद या सेवा की प्रति इकाई कीमत कम हो जाती है। इस प्रकार यह बड़े ऑर्डर के लिए कम कीमत की पेशकश के जरिये ग्राहकों को अधिक खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा कानून और बाजार परिस्थितियों पर इसका काफी प्रभाव पड़ेगा।

पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा, ‘इस निर्णय से कंपनियां ऐसा मूल्य निर्धारण मॉडल तैयार करने के लिए प्रेरित होंगे जो भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच के जोखिम के बिना थोक खरीदारों को लाभ पहुंचाएगा। यह फार्मास्युटिकल्स, एफएमसीजी और औद्योगिक आपूर्ति जैसे उद्योगों के लिए काफी मायने रखता है जहां मात्रात्मक छूट आम बात है।’

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला 2014 में दायर की गई अपील याचिका के संदर्भ में आया है। कांच की शीशियां बनाने वाली कंपनी कपूर ग्लास ने यह कहते हुए शिकायत की थी कि न्यूट्रल बोरोसिलिकेट ग्लास ट्यूबों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण में शामिल है। उसने आरोप लगाया था कि आपूर्तिकर्ता ने अपनी संयुक्त उद्यम इकाई को तरजीही छूट दी जो बाजार के अन्य खरीदारों के लिए नुकसानदेह है।

आयोग ने आपूर्तिकर्ता शॉट ग्लास को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत बाजार में अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने का दोषी पाया और उस पर 5.66 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए परिचालन बंद करने का आदेश दिया। शॉट ग्लास ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ कॉमपैट में अपील दायर की। कॉमपैट ने आयोग के आदेश को यह कहते हुए पलट दिया कि अगर मात्रा आधारित छूट को लेनदेन में समान स्थिति वाले खरीदारों पर अलग तरीके से लागू न किया जाए तो उसे भेदभावपूर्ण नहीं माना जा सकता है।

कॉमपैट ने कपूर ग्लास पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसे अब सर्वोच्च न्यायालय ने बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है।

लॉ फर्म एकॉर्ड ज्यूरिस के मैनेजिंग पार्टनर अलय रजवी ने कहा, ‘अब कंपनियां थोक छूट, स्तरीय मूल्य निर्धारण और लॉयल्टी योजना जैसे प्रोत्साह को पूरे आत्मविश्वास के साथ उपयोग कर सकती हैं, बशर्ते वे निष्पक्ष हों और समान स्थिति वाले खरीदारों के लिए सुलभ हों।’ जैन ने कहा कि यह फैसला प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच के दायरे को मजबूत करेगा जिससे उपभोक्ताओं को फायदा हो सकता है।

First Published - May 13, 2025 | 10:57 PM IST

संबंधित पोस्ट