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नवंबर में इक्विटी म्युचुअल फंड निवेश 21% बढ़ा, तीन माह की गिरावट थमी

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के कार्यकारी निदेशक और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, नवंबर में म्युचुअल फंड उद्योग में धीमी लेकिन स्पष्ट रिकवरी देखने को मिली।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- December 12, 2025 | 8:59 AM IST

नवंबर में म्युचुअल फंडों (MF) की इक्विटी योजनाओं के शुद्ध निवेश में मासिक आधार पर 21 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 29,911 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस तरह से निवेश में लगातार तीन महीनों से जारी गिरावट का सिलसिला टूट गया। यह सुधार मुख्य रूप से निवेश निकासी (रीडम्पशन) में नरमी आने से हुआ। इस महीने निकासी 11 फीसदी घटी जबकि कुल निवेश में 1.4 फीसदी की मामूली बढ़त दर्ज की गई।

म्युचुअल फंड अधिकारियों के अनुसार, हालांकि शुद्ध निवेश के ताजा आंकड़े जुलाई 2025 के रिकॉर्ड 42,700 करोड़ रुपये की तुलना में कम हैं। लेकिन अगर नए फंड ऑफर (एनएफओ) संग्रह को समायोजित करके देखें तो अंतर्निहित रुझान मजबूत बना हुआ है।

मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (भारत) की वितरण और रणनीतिक गठबंधन प्रमुख सुरंजना बड़ठाकुर ने कहा, यह सकारात्मक रुझान है, खासकर इसलिए कि साल की शुरुआत में निवेश में तेजी का मुख्य कारण एनएफओ गतिविधियां थीं। इक्विटी श्रेणियों में एक साल के रिटर्न में नरमी आने से अब निवेश ज्यादा संतुलित और सेंटिमेंट से कम प्रभावित दिखाई देता है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि सभी श्रेणियों में स्थिर योगदान से संकेत मिलता है कि बाजार में उतारचढ़ाव के बावजूद निवेशकों में दृढ़ता है।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के कार्यकारी निदेशक और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, नवंबर में म्युचुअल फंड उद्योग में धीमी लेकिन स्पष्ट रिकवरी देखने को मिली। इक्विटी फंडों की कुल बिक्री बढ़कर 64,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जिससे अक्टूबर की गिरावट पलट गई। यह रुझान जोखिम लेने के स्थिर रुझान और इक्विटी की प्रमुख श्रेणियों में मजबूत, व्यापक आधार वाले शुद्ध निवेश को दर्शाता है।

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से इक्विटी जुटाने में लगातार मदद मिली और इनसे 29,445 करोड़ रुपये का निवेश आया जो अक्टूबर के रिकॉर्ड 29,529 करोड़ रुपये से थोड़ा सा कम है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के अनुसार मामूली गिरावट इसलिए आई क्योंकि महीने के अंत में एसआईपी की किस्तों की तारीख सप्ताह के अंत वाली थीं।

फ्लेक्सीकैप फंडों ने सबसे पसंदीदा ऐक्टिव इक्विटी श्रेणी के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा है और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है, जिसे विभिन्न बाजार पूंजीकरणों में निवेश करने की उनकी क्षमता और लार्जकैप की ओर उनके वर्तमान झुकाव का समर्थन है। मिडकैप, स्मॉलकैप और लार्ज ऐंड मिडकैप फंड भी नवंबर में काफी आकर्षक बने रहे और हरेक ने 4,400–4,500 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया। कोटक महिंद्रा एएमसी के रिटेल सेल्स हेड ओवास बख्शी ने कहा कि व्यापक बाजार में लचीलेपन और प्रदर्शन की गतिशीलता ने निवेशकों की रुचि बनाए रखने में मदद की।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रधान शोधकर्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, निवेशकों ने मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों को प्राथमिकता देना जारी रखा। इन दोनों में पिछले मजबूत रिटर्न, व्यापक आय प्रदर्शन और इन उच्च वृद्धि वाले क्षेत्रों में बेहतर दीर्घकालिक चक्रवृद्धि संभावना की धारणा के कारण भारी निवेश हुआ। इन क्षेत्रों में समय-समय पर होने वाली गिरावट ने भी निवेश के आकर्षक अवसर मुहैया कराए।

मल्टी ऐसेट फंड और कमोडिटी लिंक्ड स्कीमों खासकर सोने और चांदी में भी निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी देखी गई। इसका कारण प्रदर्शन चार्ट में उनकी अग्रणी स्थिति थी। मल्टी ऐसेट फंडों में शुद्ध निवेश 5,300 करोड़ रुपये रहा जो सभी ऐक्टिव इक्विटी और हाइब्रिड श्रेणियों में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

कमोडिटी ईटीएफ में मासिक आधार पर भारी गिरावट के बावजूद नवंबर में 5,896 करोड़ रुपये का निवेश आया जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा 11,156 करोड़ रुपये था। यह निवेश हाइब्रिड और डेट श्रेणियों के ईटीएफ से कहीं ज्यादा रहा। व्यापक निवेश के कारण म्युचुअल फंड उद्योग की कुल परिसंपत्तियां (एयूएम) पहली बार 80 लाख करोड़ रुपये (लगभग 9 अरब डॉलर) के आंकड़े को पार कर गईं।

एम्फी के मुख्य कार्य अधिकारी वेंकट चालसानी ने कहा, नवंबर में एयूएम 80 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई, जिससे निवेशकों के स्थिर विश्वास का पता चलता है। एसआईपी परिसंपत्तियां बढ़कर 16.53 लाख करोड़ रुपये हो गईं जिनका अब उद्योग के कुल एयूएम में 5वें हिस्से का योगदान है और इससे संकेत मिलता है कि निवेशक अनुशासित और दीर्घकालिक निवेश को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

इसके विपरीत, ऋण आधारित योजनाओं से 25,693 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई। निकासी मुख्य रूप से तरलता के प्रति सबसे संवेदनशील श्रेणियों ओवरनाइट और लिक्विड फंड में केंद्रित थी क्योंकि संस्थागत ट्रेजरी ने तरलता की कमी के माहौल में तिमाही के मध्य में भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त रकम निकाली।

First Published : December 12, 2025 | 8:59 AM IST