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मूल्यांकन की ​फिक्र से नकदी बाजार में कारोबार घटा, लेकिन डेरिवेटिव ट्रेडिंग टर्नओवर में दिख रही बढ़ोतरी

नकदी सेगमेंट में भी टर्नओवर प्रभावित हो सकता है क्योंकि शून्य लागत वाली ब्रोकरेज फर्में बाजार नियामक के निर्देश के बाद ब्रोकिंग शुल्क बढ़ा सकती हैं।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- September 01, 2024 | 9:47 PM IST

इक्विटी में नकदी कारोबार अगस्त में लगातार दूसरे महीने घटा। इससे कीमतों की चिंता को लेकर निवेशकों का संशय जाहिर होता है। इसके उलट डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग टर्नओवर (जहां निवेशक अल्पावधि के दांव लगा रहे) बढ़ रहा है, जो बाजार के आशावाद से उछल रहा है। नकदी सेगमेंट में रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम (एडीटीवी) 13 फीसदी घटकर 1.31 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह मई के बाद का निचला स्तर है। इसके विपरीत वायदा और विकल्प (एफऐंडओ) में एडीटीवी 1 फीसदी बढ़कर 502 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।

ट्रेडिंग और शेयर चयन के सख्त नियम प्रभावी होने से एफऐंडओ ट्रेडिंग का वॉल्यूम भी घटने की आशंका है। नकदी सेगमेंट में भी टर्नओवर प्रभावित हो सकता है क्योंकि शून्य लागत वाली ब्रोकरेज फर्में बाजार नियामक के निर्देश के बाद ब्रोकिंग शुल्क बढ़ा सकती हैं। नियमक ने इन फर्मों से स्लैब आधारित शुल्क ढांचा खत्म करने को कहा है।

1 अक्टूबर से प्रभावी होने वाले नए नियमों से डिस्काउंट ब्रोकरों के राजस्व पर असर पड़ेगा। वे ग्राहकों से जो वसूलते हैं और एक्सचेंजों को जो चुकाते हैं, उसके बीच अंतर है। इसी से उनको लाभ हो रहा है। नकदी सेगमेंट का इस्तेमाल मोटे तौर पर लंबी अवधि के निवेश के लिए किया जाता है और इसमें टर्नओवर में गिरावट की वजह बाजार के रिटर्न में नरमी और ऊंचे भावों को माना जा सकता है। इससे भी खुदरा निवेशक अधिक सतर्क हैं।

अगस्त में निफ्टी में 1.1 फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद स्मॉल व मिडकैप सूचकांकों ने सुस्त वृद्धि दर्ज की। इसके अतिरिक्त निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 ऊंचे पीई अनुपात पर कारोबार कर रहे हैं, जो उनके पांच साल के औसत से ज्यादा है। बाजार के विशेषज्ञ नकदी सेगमेंट में लेनदेन घटने की वजह जरूरत से ज्यादा ऊंची कीमतों को लेकर चिंता ​और बाजार में संभावित गिरावट को बता रहे हैं।

टॉरस फाइनैंशियल मार्केट्स के मुख्य कार्याधिकारी प्रकाश गगडानी ने कहा कि यह धारणा है कि बाजार का मूल्यांकन जरूरत से ज्यादा है और किसी भी समय वह धराशायी हो सकता है जिससे नकदी के वॉल्यूम पर असर हो रहा है। हालांकि घरेलू संस्थानों के मजबूत निवेश से गिरावट को कम करने में मदद मिली है। इन संस्थानों ने अगस्त में 48,347 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीद की और बाजार को फिसलने से रोकने में मदद की।

आने वाले समय में विश्लेषकों का अनुमान है कि बाजार तब तक एक दायरे में रहेगा जब तक कि बहुत बड़ा झटका न लगे, मसलन कंपनियों के निराशाजनक नतीजे या भूराजनीतिक तनाव के कारण तेल की कीमतों में बढ़ोतरी। एक विश्लेषक के मुताबिक ऐसे हालात में सबसे खराब परिदृश्य के तहत बाजार दाएं-बाएं घूमता रह सकता है।

First Published : September 1, 2024 | 9:47 PM IST