आज का अखबार

Clean Energy : सौदों की लहर में स्वच्छ ऊर्जा के दो पहर..

माइक्रोसॉफ्ट और एमेजॉन जैसी तकनीकी कंपनियां धातु और खनन कंपनियों की तरह ही बड़ी खरीदार हैं।

Published by
वंदना गोम्बर   
Last Updated- October 22, 2023 | 5:23 PM IST

भारतीय कंपनियां रिकॉर्ड रफ्तार से सस्ती हरित बिजली (green electricity) खरीद रही हैं। उन्होंने 2023 के पहले छह महीनों में 2.6 गीगावॉट के स्वच्छ बिजली खरीद के सौदे किए हैं।

ब्लूमबर्गएनईएफ (बीएनईएफ) के अनुसार इस तरह उन्होंने पिछले सभी छमाही सौदों को पीछे छोड़ दिया है। इस साल के सौदों से भारत एक और शानदार वर्ष में पहुंच रहा है।

रीन्यू एनर्जी ग्लोबल के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी सुमंत सिन्हा ने पिछले महीने न्यू यॉर्क में बीएनईएफ को एक इंटरव्यू में बताया कि लगभग हर कंपनी को यह अहसास हो गया है कि स्वच्छ ऊर्जा खरीदना ज्यादा सस्ता है। उनकी कंपनी कम कार्बन वाली बिजली की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ताओं में एक है।

माइक्रोसॉफ्ट और एमेजॉन जैसी तकनीकी कंपनियां धातु और खनन कंपनियों की तरह ही बड़ी खरीदार हैं। खरीदी गई बिजली की वास्तविक कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे, यह पवन संयंत्रों से है या सौर ऊर्जा से, इसकी अवधि और यह केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी से मिलेगी या राज्य की यूटिलिटी से।

उदाहरण के लिए विप्रो का लक्ष्य है, 2025 तक अक्षय ऊर्जा से अपनी जरूरत की 75 फीसदी बिजली हासिल करना। कंपनी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 में उसने 60 फीसदी बिजली इस तरह के स्रोतों से हासिल की जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 47 फीसदी था।

बीएनईएफ ने साल के पहले छह महीनों में दुनिया भर में हुए कॉरपोरेट बिजली खरीद समझौतों का जायजा लिया। एशिया–प्रशांत क्षेत्र में हुए सभी सौदों में करीब 80 फीसदी भारत से जुड़े थे। सबसे बड़े सौदे उन ऊर्जा उत्पादकों ने किए जिनको अपने समूह की कंपनियों की मांग पूरी करनी थी।

उदाहरण के लिए टाटा पावर ने टाटा स्टील के लिए 966 मेगावॉट का हाईब्रिड संयंत्र लगाने का समझौता किया जिसमें 379 मेगावॉट सौर बिजली और 587 मेगावॉट पवन ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं।

कंपनियों की हरित ऊर्जा खरीद एक दशक पहले महज 1 गीगावॉट थी जो पिछले साल तक दुनिया भर में 38 गीगावॉट तक पहुंच गई। अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। इसके बाद यूरोप और एशिया है। वर्ष 2023 के सबसे बड़े कॉरपोरेट सौदों में मेटा, टाटा स्टील, एमेजॉन, गूगल, आर्सेलरमित्तल, माइक्रोसॉफ्ट और वेदांत शामिल हैं।

आर्थिक वजहों के अलावा स्वच्छ ऊर्जा खरीद का एक बड़ा कारण कंपनियों की शून्य कार्बन प्रतिबद्धता या नीतिगत अनिवार्यता है। कैलिफोर्निया ने इस महीने के शुरू में नये कानून लागू किए जिसके तहत राज्य में सक्रिय कंपनियों को उत्सर्जन और जलवायु से जुड़े वित्तीय जोखिमों के बारे में जानकारी देना होगा।

इसके दायरे में ऐसी हजारों कंपनियां आएंगी जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सक्रिय हैं। साथ ही, ये कानून अमेरिका के अन्य राज्यों के लिए भी नजीर बन सकते हैं। संघीय स्तर के क्लाइमेट डिसक्लोजर रेग्युलेशन को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। पिछले साल अमेरिकी सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन ने इसका प्रस्ताव किया था।

इस तरह के अन्य घटनाक्रम हैं:

हाइड्रोजन: बाइडन प्रशासन ने उन सात हाइड्रोजन हब के नामों की घोषणा की जिन्हें स्वच्छ हाइड्रोजन के लिए घोषित 7 अरब डॉलर की सहायता मिलेगी। इनमें से एक कैलिफोर्निया हाइड्रोजन हब है जिसे 1.2 अरब डॉलर की रकम दी गई है। यह हब अक्षय ऊर्जा और बायोमास से खासतौर पर हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक परिवहन और भारी माल वाहनों जैसे उन क्षेत्रों में किया जाएगा जिनको कार्बन मुक्त करना सबसे मुश्किल भरा काम है।

हब कार्यक्रम सरकार की उन बहु-पहल में एक है जिनका मकसद वर्ष 2030 तक स्वच्छ हाइड्रोजन की लागत घटाकर 1 डॉलर प्रति किलोग्राम करना है। इस परियोजना के साझेदारों में एमेजॉन और एअर प्रोडक्ट्स शामिल हैं।

एक हाइड्रोजन हब वेस्ट वर्जीनिया, ओहायो और पेनसिल्वेनिया तक है जो प्राकृतिक गैस की उत्पादक ईक्यूटी के साथ साझेदारी कर रहा है, उसे 92.5 करोड़ डॉलर तक मिलेंगे और वह प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करके हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। ब्लूमबर्ग न्यूज ने यह जानकारी दी। एक हब ऐसा बनाने का प्रस्ताव है जो इस्पात और ग्लास उत्पादन समेत अन्य उपयोग के लिए हाइड्रोजन उपलब्ध कराएगा। यह हब आंशिक तौर पर नाभिकीय ऊर्जा से संचालित होगा।

विद्युत एअर टैक्सी: चीन की ईहैंग होल्डिंग्स को अपने स्वचालित दो यात्री विमान का परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिल गई है। यह 25 मिनट तक 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। कंपनी ने कहा कि उसे स्थानीय के अलावा जापान, मलेशिया और इंडोनेशिया सहित विभिन्न देशों से विमान के लिए पहले ही ऑर्डर मिल गए हैं।

ये कथित ईवीटोल्स या आसमान में उड़ने और सड़क पर चलने वाले वाहन ज्यादातर सरकारों के प्राथमिकता क्षेत्र में है। जोबी एविएशन ने हाल में अपना पहला ईवीटोल एडवर्ड्स एअर फोर्स बेस को समय से पहले सौंपा और दूसरा अगले वर्ष के शुरू में सौंपे जाने की योजना है।

इसका उपयोग कार्गो और यात्री परिवहन सहित विभिन्न लॉजिस्टिक मिशन में किया जाएगा। इसकी रेंज 100 मील (साथ में एनर्जी रिजर्व) और अधिकतम गति 200 मील प्रति घंटे है। कंपनी की योजना 2025 में वाणिज्यिक यात्री सेवा शुरू करने की है। वियतनाम अब भारत का शीर्ष सोलर पैनल सप्लायर है।

खरीदार मुक्त व्यापार समझौते का फायदा उठा रहे हैं जिसके तहत दक्षिण पूर्व एशिया से आने वाली खेपों को आयात कर से छूट है। इस बीच, चीन के सोलर गियरों पर अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों ने भारत के लिए बिक्री के अवसर मुहैया करा दिए हैं। वारी एनर्जीज और अदाणी की मुंद्रा सोलर अमेरिका को पैनल भेजने वाली दो सबसे बड़ी निर्यातक हैं।

रीन्यू एनर्जी अपना स्थानीय सोलर विनिर्माण, मुख्य रूप से निजी इस्तेमाल के लिए, बढ़ा रही है। सिन्हा कहते हैं, ‘उत्पादन प्रमुख तौर पर हमारे अपने उपयोग के लिए है।

मॉड्यूल्स पर 40 फीसदी आयात शुल्क लगता है और भारत में मॉड्यूल्स बनाने की पर्याप्त क्षमता नहीं है। बोली लगाने और भविष्य में नीलामी हासिल करने के लिए आपके पास अपनी आपूर्ति की व्यवस्था होना बहुत महत्त्वपूर्ण बात है।’

(लेखिका न्यू यॉर्क स्थित ग्लोबल पालिसी फॉर ब्लूमबर्गएनईएफ में सीनियर एडिटर हैं)

First Published : October 20, 2023 | 11:09 PM IST