मांग में वृद्धि, कच्चे माल की बेहतर आपूर्ति और बड़े वाहनों की बिक्री की मदद से भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग का कारोबार वित्त वर्ष 2023 में 44 प्रतिशत बढ़कर 5.59 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। भारतीय वाहन कलपुर्जा निर्माता संगठन (एक्मा) ने सोमवार को कहा कि इस उद्योग को स्पोर्ट यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) जैसे बड़े वाहनों की बिक्री से भी मदद मिली।
जहां वाहन कलपुर्जा निर्यात 5 प्रतिशत तक बढ़कर 20.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया, वहीं कलपुर्जा आयात 11 प्रतिशत तक बढ़कर 20.3 अरब डॉलर रहा। करीब 30 प्रतिशत वाहन कलपुर्जा आयात चीन से किया गया।
वित्त वर्ष 2024 में दो अंक की वृद्धि दर्ज करेगा भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग
एक्मा के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा कि भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग वित्त वर्ष 2024 में दो अंक की वृद्धि दर्ज करेगा। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों को बताया, ‘हम यूरोप में टकराव देख रहे हैं। फिर भी यूरोप के लिए हमारा निर्यात तीन प्रतिशत तक बढ़ा है। अमेरिका के लिए निर्यात आठ प्रतिशत तक बढ़ा है, भले ही लोग वहां मंदी की बात कर रहे हैं। भारतीय कलपुर्जा उद्योग नई प्रौद्योगिकी में बड़ा निवेश कर रहा है। इसलिए दुनिया के लिए आपूर्ति करने का अवसर है।’
कई पश्चिमी देशों के साथ चीन के संबंध पिछले कुछ वर्षों के दौरान कमजोर हुए हैं और इसलिए इन देशों में मौजूद कंपनियां चीन के अलावा अतिरिक्त आपूर्ति आधार तलाशने की कोशिश कर रही हैं। इसे ‘चाइना+’ स्ट्रैटजी नाम दिया गया है। कपूर ने कहा कि उन्हें वित्त वर्ष 2024 में भारतीय कलपुर्जा उद्योग की वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक नजर नहीं आ रहे हैं।
वित्त वर्ष 2023 में भारतीय वाहन कलपुर्जा निर्माताओं ने अपना करीब 2.7 प्रतिशत राजस्व इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माताओं से कमाया। यह भागीदारी वित्त वर्ष 2022 में महज एक प्रतिशत थी।
टेस्ला मौजूदा समय में भारत में संयंत्र लगाने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि ईलॉन मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी अपने चीनी कलपुर्जा निर्माताओं को भारत लाना भी चाहती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक्मा टेस्ला से जुड़े चीनी आपूर्तिकर्ताओं का स्वागत करेगा? इस बारे में कपूर का कहना है, ‘मैं नहीं मानता कि यह एक खतरा है। जब कोई ओईएम कंपनी भारत में आती है तो मैं नहीं मानता कि चीनी आपूर्तिकर्ताओं को इस वजह से ज्यादा खतरा रहता है कि हम भी प्रौद्योगिकी में निवेश करते हैं। किसी ओईएम के लिए भारत आने का कारण स्थानीय खरीदारी आधार का लाभ उठाना होता है।’
कपूर का मानना है कि भारतीय कलपुर्जा निर्माता आयात घटाने पर जोर दे रहे हैं।