सरकार विभिन्न सार्वजनिक वितरण प्रणालियों में गेहूं और चावल की मात्रा के भीतर लाभार्थियों को विभिन्न श्रीअन्न देने के विकल्प पर भी विचार कर सकती है। इसके अलावा केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) व अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत चावल व गेहूं के अलावा श्रीअन्न के वितरण की सभावनाएं तलाशने की जरूरत है।
खाद्य उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर बनी संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है। यह रिपोर्ट आज लोकसभा में पेश की गई।
बहरहाल इसी रिपोर्ट के एक आंकड़े से पता चलता है कि 2018-19 और 2022-23 के बीच श्रीअन्न का उत्पादन 137.1 लाख टन से 16 प्रतिशत बढ़कर 159 लाख टन हो गया है। वहीं गैर श्रीअन्न का उत्पादन, जिसमें ज्यादा मात्रा मक्के और जौ की है, 2018-19 के 293.4 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 368.1 लाख टन हो गया है, जिसमें 254.6 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोटे अनाज, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी और मक्का (श्रीअन्न व नॉन-श्रीअन्न दोनों) की खरीद 2016-17 से 2022-23 के बीच 9 गुना बढ़ी है।
2017-18 में सरकार ने सिर्फ करीब 70,462 टन मोटे अनाज की खरीद की
वहीं इस दौरान मोटे अनाज का सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवंटन, जो पहले दो राज्यों हरियाणा व महाराष्ट्र में होता था, बढ़कर 8 राज्यों तक पहुंच गया, जिनमें गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड और तमिलनाडु शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में सरकार ने सिर्फ करीब 70,462 टन मोटे अनाज की खरीद की थी, जो 2022-23 में 9 गुना बढ़कर 6.3 लाख टन हो गया है।
जहां तक मोटे अनाज के आवंटन और वितरण का सवाल है, समिति ने पाया कि टीपीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत विभिन्न राज्यों को किया गया कुल आवंटन 2014-15 में 73,000 टन था, जो 2022-23 मं बढ़कर 5.8 लाख टन हो गया। इसमें 9 साल में आठगुना बढ़ोतरी हुई है।
समिति ने पाया कि यह आवंटन 2023-24 तक बढ़कर 9.2 लाख टन हो सकता है।
मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर समिति ने पाया है कि 5 मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, रागी, मक्के व जौ की कीमत पिछले 10 साल में क्रमशः 108 प्रतिशत, 100 प्रतिशत, 148 प्रतिशत, 59 प्रतिशत और 50 प्रतिशत बढ़ी है। श्रीअन्न के इस्तेमाल के स्वास्थ्य लाभ और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार इसे बढ़ावा दे रही है और विभिन्न राज्यों में इसके लिए प्रोत्साहन योजना चल रही है।