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बैंकिंग साख: बैंक वेतन समझौते से जुड़ी कुछ अहम बातें

Bank salary agreement: समझौते में कहा गया है कि अदालती मामलों के पूर्वग्रह से परे सभी पेंशन धारकों को प्रति माह एक्स ग्रेशिया भुगतान किया जाएगा।

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- April 25, 2024 | 11:35 PM IST

देश में बैंकरों की शीर्ष संस्था भारतीय बैंक महासंघ (IBA), ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ बैंक्स तथा वर्कमेन एंप्लॉयीज यूनियनों ने वेतन संशोधन में 17 फीसदी इजाफे को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित 12 सरकारी बैंकों को 12,589 करोड़ रुपये का आवंटन करना होगा। अधिकारियों और वर्कमेन यानी कर्मचारियों के वेतन में क्रमश: 8,424 और 4,165 करोड़ रुपये जाएंगे।

बारह सरकारी बैंकों के अलावा 10 निजी बैंकों और तीन विदेशी बैंक भी इस वेतन समझौते का हिस्सा हैं। इसके लिए नवंबर 2022 से पांच वर्ष की अवधि तय की गई है। इसमें 10 निजी बैंकों के सभी अधिकारी शामिल नहीं हैं। अलग-अलग बैंक में अलग-अलग स्तर के अधिकारियों को इसमें शामिल किया गया है।

भत्ते किसी भी बैंक के वेतन का हिस्सा होते हैं। इस बार भी ऐसा ही है और इसमें शहर क्षतिपूर्ति भत्ता (CCA) से लेकर लोकेशन अलाउंस (उन स्थानों पर पदस्थापना के लिए जो सीसीए में सूचीबद्ध नहीं है), शिक्षण भत्ता, विशेष क्षेत्र भत्ता और ईंधन तथा पहाड़ी क्षेत्र भत्ता आदि शामिल हैं। अलग-अलग ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए भत्ते की दर अलग-अलग है। ऊंची जगहों पर अधिक भत्ता दिया जाता है।

नए समझौते में उन वरिष्ठ अधिकारियों को उदारतापूर्वक ‘स्थिर’ वेतनवृद्धि देने की बात कही गई है जो वेतनमान के उच्चतम स्तर पर हैं और सेवानिवृत्ति में काफी समय होने के बाद भी उन्हें कुछ विशेष नहीं मिलना है। उदाहरण के लिए नवंबर 2022 तक स्केल 5 के अधिकारियों (सहायक महा प्रबंधक) आदि केवल एक वेतनवृद्धि के हकदार थे। अब उन्हें चार मिलेंगी।

इसी प्रकार स्केल छह और सात के अधिकारियों (उप महाप्रबंधक और महाप्रबंधक) को ऐसी तीन वेतनवृद्धि मिलेंगी जो हर एक वर्ष के अंतराल पर मिलेंगी। इसी प्रकार सर्टिफाइड एसोसिएट ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर (सीएआईआईबी) और जूनियर एसोसिएट ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर (जेएआईआईबी) पाठ्यक्रम पूरा करने वाले अधिकारियों को ऐसे हर पाठ्यक्रम पर एक वेतनवृद्धि मिलती रही है। अब सीएआईआईबी पूरा करने वाले अधिकारियों को एक और वेतनवृद्धि मिलेगी।

कर्मचारियों को मिलने वाली स्थिर वेतनवृद्धि की संख्या नौ से बढ़कर 11 हो गई है। ऐसी वेतनवृद्धि बैंक अधिकारियों को बहुत रास आती है। परंतु सेवानिवृत्त बैंक खुश नहीं होंगे क्योंकि पेंशन में इजाफे की उनकी मांग स्वीकार नहीं की गई। यह मामला विभिन्न अदालतों के समक्ष लंबित है जिनमें सर्वोच्च न्यायालय भी शामिल है।

समझौते में कहा गया है कि अदालती मामलों के पूर्वग्रह से परे सभी पेंशन धारकों को प्रति माह एक्स ग्रेशिया भुगतान किया जाएगा। यह उनकी सामान्य पेंशन या परिवार पेंशन के अलावा होगा और उन सभी को मिलेगा जो 31 अक्टूबर, 2022 के पहले सेवानिवृत्त हुए हों।

बैंकरों के लिए पांच कार्य दिवस का प्रावधान अभी प्रतीक्षा बना रहेगा। दिसंबर 2023 में आईबीए और बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन इस सहमति पर पहुंचे थे कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स ऐक्ट के तहत बैंकों में सभी शनिवारों को अवकाश माना जाएगा। आईबीए ने सरकार से ऐसी अनुशंसा की जो सरकारी बैंकों में बहुलांश हिस्सेदार है।

बहरहाल, अभी केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से इसे मंजूरी मिलनी है। डिजिटल बैंकिंग के दौर में पांच कार्य दिवस की व्यवस्था अपनाने में हर्ज नहीं क्योंकि ग्राहकों को भी दिक्कत नहीं होगी।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि अवकाश को लेकर कई बदलाव शामिल किए गए हैं। इनमें से कुछ तो चर्चा का विषय भी बन सकते हैं। मिसाल के तौर पर छुट्टियां मंजूर करने वाले अधिकारियों को अब अवकाश देने से मना करने या उसे टालने पर उसकी वजह देनी होगी।

अब एकल पुरुष उस स्थिति में चिकित्सा अवकाश ले सकता है जबकि उसका बच्चा आठ वर्ष या उससे कम आयु का हो। यदि किसी बैंकर का 15 वर्ष की आयु तक का दिव्यांग बच्चा है तो वे 10 दिन का चिकित्सा अवकाश ले सकते हैं। उन्हें इसके लिए चिकित्सक का प्रमाण पत्र पेश करना होगा।

नेत्रहीनता, कम दृष्टि, बधिरता या एसिड के हमले से पीड़ित कर्मचारियों के साथ जाने वाले व्यक्ति को अवकाश किराये में रियायत प्रदान की जाएगी। महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन का बीमारी संबंधी अवकाश दिया जाएगा और उन्हें इसके लिए कोई चिकित्सकीय प्रमाणपत्र नहीं देना होगा।

अगर कोई कर्मचारी 58 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है और अगर उसका जीवनसाथी कार्यस्थल से दूर किसी जगह पर अस्पताल में दाखिल हो तो वह 30 दिन का चिकित्सा अवकाश ले सकता है।

अगर कोई महिला बैंकर एक साथ तीन या अधिक बच्चों को जन्म देती है तो उसे एक वर्ष का मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। एक वर्ष से कम आयु का बच्चा गोद लेने वाली महिला बैंकरों को अधिकतम नौ महीने का मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा। आईवीएफ उपचार के लिए भी मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा, बशर्ते कि इसके लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र पेश किया जाएग। इसके लिए 12 माह की समय सीमा होगी।

बैंकिंग उद्योग ने आधे दिन के आकस्मिक अवकाश की भी व्यवस्था की है। कोई कर्मचारी चार दिन आधे दिन का अवकाश ले सकता है यानी कुल दो दिन। वह दिन के पूर्वाद्ध या उत्तरार्द्ध में यह अवकाश ले सकता है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक ‘अवकाश बैंक’ की व्यवस्था की जा रही है। यह योजना आईबीए द्वारा बनाई जा रही है और इसे जून तक पेश कर दिया जाएगा। बैंकर अपने अतिरिक्त अवकाश को लीव बैंक में एकत्रित कर सकेंगे। जिनके पास पर्याप्त अवकाश नहीं हों लेकिन उन्हें छुट्‌टी की जरूरत हो तो वे इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

आमतौर पर कैंसर, सेरेब्रल स्ट्रोक, लकवा, किडनी खराब होना, लिवर की बीमारी आदि होने पर कर्मचारियों को बिना वेतन के लंबे समय तक कार्यालय से दूर रहना होता है। ऐसे कर्मचारी लीव बैंक बनने के बाद अपनी पात्रता से अधिक अवकाश ले सकेंगे। किसी परिजन का निधन होने पर बैंकरों को शोक अवकाश दिया जाएगा। इसकी अवधि बैंक निर्धारित करेंगे।

आखिर में सभी बैंक कर्मचारियों के मामलों में चिकित्सा व्यय की वापसी और अवकाश किराए में माता-पिता और सास-ससुर में से किन्हीं दो को कवर किया जाएगा। बैंकर साल में एक बार इनका चयन कर सकेंगे।
ये सभी प्रगतिशील मानवीय कदम हैं।

यहां केवल एक प्रश्न है: आईबीए और श्रम संगठन अधिकारियों को छोड़ सभी बैंक कर्मचारियों को वर्कमेन क्यों कहते हैं? करीब 40 फीसदी बैंक कर्मी महिला हैं। क्या बेहतर नहीं होगा कि इन सभी को बैंकर कहकर पुकारा जाए?

First Published : April 25, 2024 | 10:54 PM IST