ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म की तरफ से पेश डायरेक्ट प्लान म्युचुअल फंड योजनाओं के पास अब 30 अग्रणी शहरों के मुकाबले छोटे शहरों और गांवों के ज्यादा निवेश खाते हैं। अग्रणी 30 शहरों से अलग खुदरा खातों की संख्या वित्त वर्ष 2024 में 52 फीसदी बढ़ी जबकि 30 अग्रणी शहरों में इन खातों में 39 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई।
मार्च के आखिर में डायरेक्ट प्लान में 30 अग्रणी शहरों से इतर खुदरा फोलियो की संख्या 2.81 करोड़ रही जबकि अग्रणी शहरों के वैयक्तिक निवेशकों के खाते 2.6 करोड़ रहे।
डायरेक्ट एमएफ इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म कॉइन बाइ जीरोधा का मानना है कि 30 अग्रणी शहरों से इतर जगहों वाले काफी निवेशकों ने डीमैट खाते के जरिये निवेश शुरू किया था। इनके अब शायद म्युचुअल फंडों का रुख करने की संभावना है।
कॉइन बाइ जीरोधा के प्रॉडक्ट हेड व सहायक उपाध्यक्ष नीलेश वर्मा ने कहा कि कोविड के बाद देश भर में डीमैट खातों की संख्या में खासा इजाफा हुआ था। ये निवेशक अब संभवतया म्युचुअल फंडों का रुख कर रहे हैं और ये मोटे तौर पर डायरेक्ट प्लान के जरिये हो रहा है। इसके अलावा म्युचुअल फंड उद्योग के जागरूकता अभियान और निवेशक शिक्षा कार्यक्रम से भी फंडों की पैठ बढ़ रही है।
हालांकि खुदरा डायरेक्ट प्लान परिसंपत्तियों में अग्रणी शहरों की हिस्सेदारी के मुकाबले छोटे शहरों के निवेशकों की हिस्सेदारी उसका एक हिस्सा भर है। छोटे शहरों के 2.81 करोड़ खातों में निवेश 1.45 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि अग्रणी 30 शहरों के मामले में यह 5.8 लाख करोड़ रुपये रहा। यह छोटे शहरों में औसत निवेश प्रति खाता 51,600 रुपये बैठता है जबकि अग्रणी शहरों के मामले में प्रति खाता 2.23 लाख रुपये है।
म्युचुअल फंडों के अधिकारियों के मुताबिक उद्योग ने वित्त वर्ष 2024 में इक्विटी बाजारों की तेजी के दम पर विभिन्न मानकों में मजबूत वृद्धि देखी। बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी 50 और सेंसेक्स में वित्त वर्ष 2024 में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
क्वांटम म्युचुअल फंड के सीईओ जिमी पटेल ने कहा कि छोटे शहरों में ज्यादा वृद्धि नजर आ रही है क्योंकि अग्रणी शहरों के बाजार सैचुरेशन के एक निश्चित स्तर पर पहुंच चुके हैं। वृद्धि की ज्यादा संभावना के कारण म्युचुअल फंड अब छोटे शहरों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
वित्त वर्ष 24 में बाजारों की मजबूती ने भी निवेशकों और खातों के जुड़ाव में बढ़ोतरी में योगदान किया। छोटे शहरों में प्रसार में बढ़ोतरी के लिए वे ज्यादा प्रतिफल वाले निवेश गंतव्य की बढ़ती दरकार को भी जवाबदेह बता रहे हैं और निवेश योजनाओं को लेकर सूचनाओं तक पहुंच का भी इसमें योगदान रहा है।
जब रेग्युलर प्लान की बात आती है तो छोटे शहर अभी भी अग्रणी शहरों से काफी बड़े अंतर से पीछे हैं। उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2024 के आखिर में खुदरा रेग्युलर प्लान फंड खातों की संख्या छोटे शहरों में 5.23 करोड़ थी जबकि अग्रणी शहरों में 7.04 करोड़ खाते थे।
वित्त वर्ष 24 में तेजी और रिटर्न के मामले में ज्यादातर इक्विटी फंड योजनाओं के बेहतर प्रदर्शन से 68 लाख नए निवेशक आकर्षित हुए जो इससे पिछले साल के मुकाबले 70 फीसदी ज्यादा है।