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आसान हुआ निवेशक की मौत पर शेयर, म्युचुअल फंड का दावा

अगर निवेशक की मृत्यु के बारे में जानकारी गलत साबित होती है तो संबंधित निवेशक को उसके बारे में सूचित किया जाएगा।

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बिंदिशा सारंग   
Last Updated- October 29, 2023 | 11:19 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने किसी निवेशक की मृत्यु की सूचना एवं सत्यापन के लिए एक केंद्रीकृत प्रकिया शुरू की है। इससे निवेशक की प्रतिभूतियां उनके कानूनी उत्तराधिकार को सौंपना आसान हो जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय के वकील एवं पूर्व न्यायाधीश भारत चुघ ने कहा, ‘मौजूदा दावा प्रक्रिया के तहत हरेक वित्तीय संस्थान के साथ अलग-अलग कागजी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है।’ फंड कंपनियां अलग-अलग हों तो प्रक्रिया बहुत जटिल हो जाती है।

चुघ ने कहा, ‘भारतीय वित्तीय परिसंपत्तियों में हजारों करोड़ रुपये की रकम बिना दावे के पड़ी है। ऐसे में सेबी का केंद्रीकृत ढांचा निवेशक की मृत्यु के बाद की प्रक्रियाओं को अधिक कुशलता से निपटाने का वादा करता है।’

नई व्यवस्था में निवेशक की मृत्यु होने पर संयुक्त खाताधारक, नामांकित व्यक्ति, कानूनी प्रतिनिधि अथवा परिवार के सदस्य द्वारा संबंधित इंटरमीडिएरी को सूचित किया जाना जरूरी है।

सूचना मिलने पर इंटरमीडिएरी निवेशक के मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन करता है। टीएएस लॉ की वरिष्ठ सहायक मानिनी रॉय ने कहा, ‘मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद अगले कार्य दिवस में सत्यापन अवश्य किया जाना चाहिए।’

प्रमाण पत्र का सत्यापन ओएसवी (ओरिजनल सीन ऐंड वेरिफाइड) प्रक्रिया के जरिये ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन किया जा सकता है। मृत्यु प्रमाण पत्र सत्यापित नहीं किया गया तो इंटरमीडिएरी निवेशक के केवाईसी स्टेटस को ‘ऑन होल्ड’ करते हुए संबंधित पक्षों से मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग दोबारा करेगा।

उसके बाद केवाईसी रिकॉर्ड अपडेट किया जाता है। कॉरपोरेट प्रफेशनल्स के एसोसिएट पार्टनर रवि प्रकाश ने कहा, ‘मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन करने के बाद इंटरमीडिएरी केवाईसी में बदलाव के लिए केवाईसी पंजीकरण एजेंसी (केआरए) से आग्रह करेगा। उसी दौरान मृतक के खाते से सभी डेट लेनदेन बंद हो जाएंगे।’

इंडियन लॉ एलएलपी के पार्टनर शिजू पीवी ने कहा, ‘ब्लॉक्ड परमानेंटली नोटिफिकेशन मिलने के बाद इंटरमीडिएरी सभी लेनदेन रोक देता है। पांच दिनों के भीतर नामांकित व्यक्ति को इसकी जानकारी दी जाती है और इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों के बारे में भी सूचित किया जाता है।’

आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा ने कहा, ‘मृतक के खातों को ब्लॉक करने से धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोका जा सकेगा। नामांकित व्यक्ति या परिवार के सदस्य द्वारा संबंधित दस्तावेज इंटरमीडिएरी के पास जमा कराए जाने के बाद खाते दोबारा चालू हो जाएंगे।’

अगर निवेशक की मृत्यु के बारे में जानकारी गलत साबित होती है तो संबंधित निवेशक को उसके बारे में सूचित किया जाएगा। धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकने के लिए इंटरमीडिएरी को वीडियो कॉल या व्यक्तिगत सत्यापन सहित उचित प्रक्रिया पूरी करनी होगी। पीवी ने कहा, ‘सत्यापन में पता चला कि निवेशक की मृत्यु की जानकारी झूठी है तो इंटरमीडिएरी उसी दिन केवाईसी में संशोधन का अनुरोध भेजेगा ताकि निवेशक को कोई असुविधा न होने पाए।’

फायदे और नुकसान

सेबी की इस पहल से मृत निवेशक के परिवारों पर बोझ कम होने की उम्मीद है। एसकेवी लॉ ऑफिस के एसोसिएट अश्विन सिंह ने कहा, ‘सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब किसी निवेशक की मृत्यु नई व्यवस्था के जरिये सत्यापित हो जाती है तो वह जानकारी सभी फंड हाउसों में स्वत: अपडेट हो जाएगी।’ इससे हरेक इंटरमीडिएरी को व्यक्तिगत तौर पर सूचित करने की जरूरत नहीं होगी।

नई प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी भी है। अलघ ऐंड कपूर लॉ ऑफिस की पार्टनर सोनल अलघ ने कहा, ‘सेबी द्वारा खाते को स्थायी रूप से ब्लॉक करने के बाद (उत्तराधिकारियों के बीच) विवाद से बचने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया है।’

संयुक्त खातों का परिचालन निर्धारित मानदंडों के तहत जारी रहेगा। सिंघानिया ऐंड कंपनी के पार्टनर दिव्य चड्ढा ने कहा, ‘आम तौर पर संयुक्त खाते का परिचालन निर्धारित मानदंडों के तहत जारी रहता है। इस प्रक्रिया के शुरू होने से खातों के संचालन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’

जहां तक होल्ड पर रखे गए फोलियो का सवाल है तो इंटरमीडिएरी को अतिरिक्त जांच-परख (वीडियो कॉल या व्यक्तिगत सत्यापन) के बाद लेनदेन करने की अनुमति मिल सकती है जो यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक जीवित है।

सभी परिसंपत्तियों के लिए नामांकन को अपडेट रखना महत्त्वपूर्ण है। चुघ ने कहा, ‘सुनिश्चित करें कि होल्डिंग को ब्लॉक किए जाने (संयुक्त धारकों में से एक के निधन के बाद) के कारण होने वाली किसी भी असुविधा से बचने के लिए संयुक्त होल्डिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया हो।’

निवेशक की मृत्यु के बाद खातों को ब्लॉक करने की यह व्यवस्था केवल सेबी द्वारा विनियमित संस्थाओं पर लागू होती है। सुराणा ने कहा, ‘बैंक खातों, बीमा पॉलिसियों और अन्य परिसंपत्तियों पर अब भी अलग से नजर रखने की आवश्यकता होगी।’ अलघ ने कहा कि संभावित विवादों से बचने के नोटिफायर और इंटरमीडिएरी दोनों को आदान-प्रदान किए गए सभी दस्तावेज एवं जानकारियों का उचित रिकॉर्ड बनाना चाहिए। नई प्रक्रिया 1 जनवरी, 2024 को शुरू होगी।

First Published : October 29, 2023 | 11:19 PM IST