कई दशक की सुस्ती के बाद देश की सबसे पुरानी पेंट कंपनी शालीमार पेंट्स (Shalimar Paints) अपनी चमक-दमक फिर से हासिल करने का सफर शुरू कर रही है। संयंत्र का बुनियादी ढांचा विकसित करना, अनुसंधान एवं विकास क्षमता में विस्तार करना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना वे प्रमुख लक्ष्य क्षेत्र हैं, जिनसे सजावटी और औद्योगिक खंडों में उत्पाद सुधार की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने की भी योजना बनाई जा रही है।
तकरीबन दो दशकों तक शालीमार शिथिल रही, लेकिन शालीमार पेंट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अशोक गुप्ता कहते हैं कि अब चीजें बदल रही हैं। हमने संयंत्रों को पूरी तरह से आधुनिक बनाने का लक्ष्य बनाया है।
पहले चरण में 200 करोड़ रुपये का निवेश
योजना के पहले चरण में 200 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जो वित्त वर्ष 2025 तक पूरा किया जाएगा। गुप्ता ने कहा कि आधुनिकीकरण और स्वचालन से क्षमता भी बढ़ेगी। क्षमता प्रति माह 6,000 केएल (किलो लीटर) से बढ़कर 26,000 केएल हो जाएगी।
इसके विनिर्माण संयंत्र सिकंदराबाद (उत्तर प्रदेश), चेन्नई (तमिलनाडु), नासिक (महाराष्ट्र) में हैं। लेकिन शालीमार का सफर वर्ष 1902 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा से शुरू हुआ था, जब ब्रिटेन के एएन टर्नर और एएन राइट ने बड़े स्तर पर विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया था। हालांकि यह संयंत्र वर्ष 2014 में आग में जलकर खाक हो गया था।
वर्ष 1990 के आसपास रतन जिंदल ने कंपनी का अधिग्रहण कर लिया, जिनके पास 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। हॉन्ग कॉन्ग के कारोबारी गिरीश झुनझुनवाला 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ कंपनी के अन्य प्रवर्तक हैं।
पिछले साल की शुरुआत में रणनीतिक निवेशक हेला इन्फ्रा मार्केट, जो इन्फ्रा डॉट मार्केट की मूल कंपनी है, ने इक्विटी और डिबेंचर के संयोजन के जरिये 270 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी।