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आवास ऋण टॉप-अप पर RBI की पैनी नजर

आरबीआई को डर है कि वित्तीय संस्थानों के इस उत्साह को देखने के बाद ग्राहक ऋण तो ले लेंगे मगर उनमें कई बाद में इसे चुकाने की हालत में नहीं होगे।

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- April 22, 2024 | 12:14 AM IST

अधिकांश बैंक एवं आवास वित्त कंपनियां अक्सर ग्राहकों को आवास ऋण पर टॉप-अप लोन की पेशकश करते हैं। टॉप-अप लोन एक प्रकार का अतिरिक्त ऋण होता है। अगर आपने किसी बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से आवास ऋण लिया है तो टॉप-अप लोन के लिए आवेदन कम से कम दस्तावेज के साथ आसानी से कर सकते हैं। टॉप-अप लोन का चलन पिछले दो दशकों से है।

मगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसे लेकर पहले चिंतित नहीं था मगर अब वह टॉप-अप लोन को लेकर सहज नहीं दिख रहा है। आरबीआई ने आवास वित्त पर जुलाई 2015 में एक मास्टर सर्कुलर जारी किया था मगर इसमें आवास ऋण पर टॉप-अप लोन का कहीं जिक्र नहीं था। अब बैंकिंग नियामक ऐसे ऋण पर पैनी नजर रख रहा है।

आरबीआई हरेक कर्जदाताओं के साथ टॉप-अप लोन पर अलग से बातचीत कर रहा है। यह ऋण मूलतः व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) है मगर इसे आवास ऋण की आड़ में दिया जा रहा है।

आखिर, आरबीआई इसे लेकर चिंतित क्यों है? आरबीआई सार्वजनिक रूप से यह कह चुका है कि खुदरा ऋण, खासकर असुरक्षित पर्सनल लोन, बांटने को लेकर कर्जदाताओं के अनावश्यक उत्साह से वह खुश नहीं है।

आरबीआई को डर है कि वित्तीय संस्थानों के इस उत्साह को देखने के बाद ग्राहक ऋण तो ले लेंगे मगर उनमें कई बाद में इसे चुकाने की हालत में नहीं होगे। आरबीआई के अनुसार इससे पूरे वित्तीय तंत्र के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। इसे देखते हुए आरबीआई ने नवंबर 2024 में पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और एनबीएफसी को आवंटित ऋण पर जोखिम भारांश (रिस्क वेटेज) बढ़ा दिया था।

आवास ऋण टॉप-अप किस तरह काम करता है? यह एक प्रकार के सुरक्षित पर्सनल लोन होते हैं। इस ऋण की पेशकश उन ग्राहकों को की जाती है जो अपने ऋण की मासिक किस्तों का भुगतान समय से कर रहे हैं। आम तौर पर आवास ऋण लोन-टू-वैल्यू या एलटीवी की गणना करने के बाद दी जाती है।

एलटीवी किसी जायदाद के मूल्य का वह हिस्सा (प्रतिशत) होता है जो कोई बैंक जायदाद खरीदने वाले को उधार देता है। यह जायदाद की कीमतों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने से पहले ग्राहक पहले अपनी तरफ से कुछ रकम का अग्रिम भुगतान करते हैं।

ग्राहक जायदाद की कीमत का 10 से 30 प्रतिशत हिस्सा भुगतान करते हैं। ऋण के नियमित भुगतान से वित्तीय संस्थान का मूलधन कम होता जाता है और एलटीवी अनुपात कम होने लगता है। इसके बाद वित्तीय संस्थान अपने अच्छे ग्राहकों को टॉप-अप लोन की पेशकश करते हैं। ग्राहक इस ऋण का इस्तेमाल विवाह, छुट्टियां मनाने, शिक्षा, स्वास्थ्य खर्च या कारोबार विस्तार आदि प्रयोजनों पर कर सकते हैं।

पर्सनल लोन की तुलना में टॉप-अप लोन की अवधि 10-15 वर्षों या बकाया ऋण की शेष बची अवधि के अनुसार हो सकती है। वित्तीय संस्थान टॉप-अप लोन देने से पहले आवास ऋण की रकम, ऋण भुगतान में निरंतरता और कर्जदाताओं की भुगतान क्षमता पर विचार करते हैं और इनसे आश्वस्त होने के बाद ही आवंटन करते हैं। ऐसे ऋण पर ब्याज दर व्यक्तिगत ऋण की तुलना में काफी कम होता है मगर आवास ऋण से अधिक होता है।

आखिर, टॉप-अप लोन अब आरबीआई को क्यों खटकने लगा है? इस ऋण से जुड़े कई ऐसे पहलू हैं जिन पर आरबीआई ध्यान खींचना चाहता है। आवास ऋण पर टॉप-अप लोन का मुख्य मकसद घर की सजावट या इसमें सुधार होना चाहिए। अगर ग्राहक इस ऋण का इस्तेमाल छुट्टियां मनाने के लिए करता है तो इसका मतलब है है कि रकम का इस्तेमाल मूल उद्देश्य के लिए नहीं हो रहा है।

ऐसे ऋण के मामले में कागजात में अक्सर ये बातें स्पष्ट होती हैं कि रकम का इस्तेमाल कयास आधारित गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता है। मगर कोई ग्राहक टॉप-अप लोन लेकर शेयर बाजार में इसे लगाता है तो क्या इस पर नजर रखी जा सकती है? या फिर ग्राहक दूसरे ऋण चुकाने के लिए टॉप-अप लोन का इस्तेमाल करता है तो क्या बैंक इसका पता लगा सकते हैं?

आरबीआई की मुख्य चिंता यह है कि टॉप-अप होम लोन की आड़ में व्यक्तिगत ऋण का अंबार लगता जा रहा है। वित्तीय संस्थानों को इससे रोकने के लिए आरबीआई ने व्यक्तिगत ऋण के लिए पूंजी की आवश्यकता बढ़ा दी है। पूंजी की आवश्यकता बढ़ने से कर्जदाता संस्थानों के लिए ऋण देना और ग्राहकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाता है। ऐसा लगता है कि ऊंची पूंजी की आवश्यकता से बचने के विए वित्तीय संस्थान टॉप-अप होम लोन के जरिये पर्सनल लोन की पेशकश कर रहे हैं।

मार्च 2024 तक भारतीय वित्तीय प्रणाली में आवास ऋण का हिस्सा लगभग 35 लाख करोड़ रुपये था। इनमें बैंकों की हिस्सेदारी लगभग 28 लाख करोड़ रुपये थी। इनमें आवास ऋण टॉप-अप लोन कितना है? हम इस बारे में नहीं जानते हैं। अलग-अलग ऋणदाता टॉप-अप लोन को अलग-अलग रूप से परिभाषित करते हैं।

कुछ वित्तीय संस्थानों के लिए टॉप-अप लोन आवास ऋण से अलग नहीं है और वे दोनों को एक दूसरे के साथ जोड़ देते हैं। कुछ वित्तीय संस्थान टॉप-अप लोन को जायदाद के एवज में दिए ऋण और भविष्य में किराये से होने वाली कमाई के एवज में दिए गए ऋण (मॉर्गेज के तौर पर) के साथ जोड़ देते हैं। मॉर्गेज के लिए पूंजी की आवश्यकता 75 प्रतिशत है जो आवास ऋण के लिए पूंजी की आवश्यकता का लगभग दोगुना है। हालांकि, यह पर्सनल लोन के लिए 125 प्रतिशत पूंजी की आवश्यकता से कम है।

आवास ऋण टॉप-अप लोन पर आरबीआई की पैनी नजर वाजिब है। टॉप-अप लोन पर पाबंदी लगाने के बजाय आरबीआई को उन लोगों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना चाहिए जो इस सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं और वित्तीय प्रणाली को जोखिम में डाल रहे हैं।

First Published : April 22, 2024 | 12:14 AM IST