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मौजूदा तेजी में मिडकैप और SmallCap पीछे

Stock Index 2023: फंड प्रबंधकों और विश्लेषकों के अनुसार, सक्रिय फंडों का प्रदर्शन लार्जकैप सेगमेंट में तुलनात्मक छोटी तेजी की वजह से प्रभावित हुआ है।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- September 15, 2023 | 10:51 PM IST

सामान्य तौर पर अपने बेंचमार्कों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने वाली सक्रिय मिडकैप और स्मॉलकैप म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाएं मौजूदा तेजी के बीच उनसे पीछे दिख रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे उनके लार्जकैप आवंटन का कमजोर प्रदर्शन और बाजार के उन कुछ सेगमेंट में भारी तेजी आना, जिनमें सक्रिय फंड प्रबंधकों का सीमित निवेश है।

पिछले 6 महीनों में, निफ्टी मिडकैप-50 और निफ्टी मिडकैप-100 सूचकांकों के प्रदर्शन पर नजर रखने वाले पैसिव फंडों ने सभी मिडकैप पेशकशें में अच्छा प्रदर्शन किया और करीब 32 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। स्मॉलकैप सेगमेंट में, निफ्टी स्मॉलकैप-50 सूचकांक के फंड 36 प्रतिशत प्रतिफल के साथ इस दौड़ में आगे हैं।

फंड प्रबंधकों और विश्लेषकों के अनुसार, सक्रिय फंडों का प्रदर्शन लार्जकैप सेगमेंट में तुलनात्मक छोटी तेजी की वजह से प्रभावित हुआ है। बाजार पूंजीकरण-केंद्रित योजनाएं अपने पोर्टफोलियो में नवीनता लाने के लिए बाजार पूंजीकरण सेगमेंट में बड़ा आवंटन बरकरार रखती हैं। उदाहरण के लिए, स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाएं अपनी कुल पूंजी का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा लार्जकैप शेयरों में निवेश करती हैं।

निफ्टी-50 टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई) पिछले 6 महीनों में करीब 16 प्रतिशत चढ़ा, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप-50 टीआरआई में 36 प्रतिशत की तेजी आई। व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के सह-प्रमुख (प्रोडक्ट ऐंड स्ट्रैटजी) मनुज जैन ने कहा, ‘लार्जकैप सेगमेंट ने स्मॉलकैप और मिडकैप के मुकाबले इस अवधि में 15-19 प्रतिशत तक कमजोर प्रदर्शन किया है।’ विश्लेषकों का मानना है कि अन्य कारण यह था कि कई फंड प्रबंधकों के पास बेंचमार्क की मुख्य योजनाओं में बेहद कम आवंटन था।

मोतीलाल ओसवाल एमएफ के फंड प्रबंधक निकेत शाह ने कहा, ‘यदि आप बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप प्रदर्शन को देखें तो पता चलता है कि अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया हैऔर विद्युत, पूंजीगत वस्तु, रेलवे और रक्षा क्षेत्र इसके कुछ उदहारण बन गए हैं। इसके अलावा, कुछ कम गुणवत्ता वाले शेयर भी सूचकांकों के दमदार प्रदर्शन में शामिल रहे।’

कई फंड प्रबंधक विभिन्न वजहों से पीएसयू को लेकर अंडरवेट बने हुए हैं, जिनमें कमजोर प्रबंधन और धीमी वृद्धि मुख्य रूप से शामिल हैं।
हाल के महीनों में, पीएसयू शेयरों ने कई बाजार सेगमेंटों में बढ़त बनाई है। बीएसई का पीएसयू सूचकांक पिछले 6 महीनों में 29 प्रतिशत तक चढ़ा है और उसे मुख्य तौर पर चुनाव से पूर्व सरकार के बुनियादी ढांचा और पूंजीगत खर्च संबंधित प्रयासों से मदद मिली है।

कुछ दमदार प्रदर्शन वाले गैर-पीएसयू शेयरों का चाल भी प्रभावित हुई है। नुवामा वेल्थ के अध्यक्ष एवं प्रमुख राहुल जैन ने कहा, ‘कुछ ऐसे शेयर हैं जो कॉरपोरेट प्रशासनिक समस्याओं की वजह से फंड प्रबंधकों को पसंद नहीं आए हैं।’

हालांकि फंड प्रबंधक और सलाहकार इस कमजोरी को अल्पावधि घटनाक्रम के तौर पर देख रहे हैं। उनका मानना है कि जब बाजार में बुलबुले जैसे हालात थम जाएंगे तो सक्रिय फंड फिर से अपनी चमक बढ़ाने में कामयाब होंगे।

शाह ने कहा, ‘जैसे ही बाजार में बदलाव आएगा और बुलबुले जैसी स्थिति दूर होगी, सक्रिय फंडों का प्रदर्शन उनके बेंचमार्कों के मुकाबले सुधरेगा।’

First Published : September 15, 2023 | 10:51 PM IST