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मीडिया मंत्र: भारतीय सिनेमा का बढ़ता बाजार

पठान, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी, ओएमजी2, और गदर2 के बाद जवान की कामयाबी यह संकेत देती है कि हिंदी सिनेमा वापसी कर रहा है।

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वनिता कोहली-खांडेकर   
Last Updated- September 21, 2023 | 9:20 PM IST

एटली की फिल्म जवान एक ऐसे सतर्क जेलर के बारे में है जो राजनीतिक और सामाजिक बुराइयों को दूर करना चाहता है। शाहरुख खान ने जेलर आजाद और उसके पिता विक्रम राठौर की दोहरी भूमिका बहुत जोशीले ढंग से निभाई है। सात सितंबर को रिलीज हुई फिल्म हमें अमिताभ बच्चन की दीवार और हम जैसी फिल्मों की याद दिलाती है जो व्यवस्था के खिलाफ थीं। अपनी सिनेमाई श्रेष्ठता के अलावा जवान दो और बातों को सामने लाती है जिनकी बदौलत भारतीय फिल्मों के दर्शक बढ़ रहे हैं। वे बातें हैं- फिल्म की देश भर में या वैश्विक लोकप्रियता और एकल स्क्रीन की वापसी।

रिलीज के 12 दिनों के भीतर जवान ने दुनिया भर के बॉक्स ऑफिस में 860 करोड़ रुपये कमाए। इस वर्ष जनवरी में रिलीज हुई खान की फिल्म पठान की तरह जवान भी आराम से दुनिया भर में 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या यह दंगल (2016) के रिकॉर्ड 2,200 करोड़ रुपये के कारोबार को पीछे छोड़ सकती है या नहीं।

यह बात ध्यान देने लायक है कि बॉक्स ऑफिस संग्रह टिकट की बिक्री का आंकड़ा है, न कि फिल्म का कुल राजस्व। थिएटर, मल्टीप्लेक्स, वितरक आदि की हिस्सेदारी और करों में कटौती करने के बाद कुल संग्रह का बमुश्किल एक तिहाई हिस्सा निर्माता को मिलता है।

पठान, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी, ओएमजी2, और गदर2 के बाद जवान की कामयाबी यह संकेत देती है कि हिंदी सिनेमा वापसी कर रहा है। फिल्म कारोबार ने 2019 में 19,100 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया और इसमें हिंदी की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक थी। कुल राजस्व वह होता है जो फिल्म टेलीविजन, स्ट्रीमिंग, संगीत और टिकट की बिक्री से मिलकर कमाती है।

महामारी के कारण 2020 में यह राजस्व सिमटकर 7,200 करोड़ रुपये रह गया था। तेलुगू की पुष्पा और तमिल की फिल्म मास्टर ने 2021 में राजस्व को वापस 9,300 करोड़ तक लाने में मदद की थी। परंतु लॉकडाउन और नए वेरिएंट के आगमन से कई फिल्में अटक गईं। जबकि इनको पहले ही बनने में डेढ़ से तीन साल का समय लगता है।

कई मायनों में देखा जाए तो 2023 पहला सामान्य वर्ष है जब फिल्म निर्माण पूरी गति से शुरू हुआ। माना जा रहा है कि साल के अंत तक यह कारोबार 20,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लेगा या फिर शायद वह इसे पार ही कर जाए।

आरआरआर, पुष्पा, जवान, केजीएफ चैप्टर 2 और पठान जैसी फिल्में पूरे देश में देखी गईं

कई लोग हालिया हिट फिल्मों को शंका की दृष्टि से देख रहे हैं। अगर जवान या आरआरआर या दृश्यम 2 की कमाई अस्वाभाविक रूप से अधिक लग रही है तो इसकी वजह हिंदी, तेलुगू या तमिल नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा की मांग में इजाफा है। भारत में आरआरआर के 900 करोड़ रुपये के टिकट बिके जिसमें हिंदी क्षेत्र की हिस्सेदारी 340 करोड़ रुपये की रही।

आरआरआर, पुष्पा, जवान, केजीएफ चैप्टर 2 और पठान जैसी फिल्में पूरे देश में देखी गईं। उनके कलाकार और निर्माण से जुड़े लोग अलग-अलग भाषाओं के सिनेमा से ताल्लुक रखते थे। इन फिल्मों को या तो दो भाषाओं में बनाया गया या फिर उन्हें हिंदी, तेलुगू, तमिल अथवा कन्नड़ भाषाओं में देखा जा सकता था। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।

घरेलू स्तर पर यह बदलाव दशकों से प्रक्रियाधीन था। वर्षों से हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मकार ऐसी फिल्में बनाने की कोशिश में थे जो पूरे देश में देखी जा सकें लेकिन किस्सागो और दर्शक दोनों तैयार नहीं थे। अंधा कानून (1983, रजनीकांत और अमिताभ बच्चन) या सदमा (1983 कमल हासन और श्रीदेवी) जरूर अपवाद थीं।

सहस्राब्दी में बदलाव के साथ ही हिंदी के आम मनोरंजन चैनलों ने तमिल और तेलुगू फिल्मों की डबिंग दिखानी शुरू कर दी। बड़ी तादाद में हिंदी क्षेत्र के दर्शक इससे जुड़े। जब 2016 में स्ट्रीमिंग शुरू हुई तो हिंदी, तमिल, बांग्ला, तेलुगू, मराठी आदि हर प्रकार की भारतीय फिल्मों को अपने मूल बाजार के बाहर भी दर्शक मिलने लगे। आश्चर्य नहीं कि एमेजॉन प्राइम वीडियो पर भारतीय भाषा की फिल्मों के आधे से अधिक दर्शक दूसरे भाषाई क्षेत्रों से आते हैं।

इस बुनियाद ने एक ऐसा बाजार तैयार किया जहां दर्शक पुष्पा को एक तेलुगू फिल्म या जवान को केवल हिंदी फिल्म नहीं मानते। इसका अर्थ यह हुआ कि बड़ी तादाद में टिकट बिके और ज्यादा राजस्व मिला। वर्ष 2022 में 9.94 करोड़ टिकट बिके जो 2019 में बिके 1.46 अरब टिकट का दोतिहाई थे। इस वर्ष यह आंकड़ा सहजता से पार हो जाएगा क्योंकि सिंगल स्क्रीन पर भी फिल्मों का प्रदर्शन बेहतर है।

भारत में फिल्म स्क्रीन लगातार कम हुई हैं। एक दशक पहले की 10,000 स्क्रीन की तुलना में अब 8,700 स्क्रीन ही शेष हैं। इनमें से 5,000 सिंगल स्क्रीन हैं। महामारी के दौरान 500 सिनेमाघर बंद हुए। परंतु पठान जैसी फिल्मों की लोकप्रियता से कम से कम 25 सिंगल स्क्रीन सिनेमा दोबारा खुले। गदर2, ओएमजी2, जवान से यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

भारतीय फिल्में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। जवान ने अब तक बॉक्स ऑफिस पर जो कमाई की है उसका आधा हिस्सा अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन तथा मध्य एशिया समेत अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आया है। सिद्धार्थ आनंद की पठान और करन जौहर की रॉकी और रानी की प्रेम कहानी पर भी यही बात लागू होती है।

विदेशी बाजार जो लगभग गायब हो गया था, वह भी वापसी कर रहा है और इस बार यह केवल प्रवासी भारतीयों तक सीमित नहीं है। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने भारतीय शो तथा फिल्मों के लिए व्यापक वैश्विक संदर्भ तैयार किए हैं।

थिएटर में सफल प्रदर्शन के बाद आरआरआर 18 सप्ताह तक नेटफ्लिक्स पर वैश्विक शीर्ष 10 फिल्मों की सूची में रही। अब लगभग हर बड़ी भारतीय फिल्म की वैराइटी से लेकर हॉलीवुड रिपोर्टर और द गार्जियन तथा द न्यूयॉर्क टाइम्स तक समीक्षा देखने को मिल रही है। वैश्विक सफलता उन लोगों की दशकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।

First Published : September 21, 2023 | 9:20 PM IST