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बीमा क्षेत्र को 50,000 करोड़ की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत

देश में बीमा की पहुंच दोगुनी करने के लिए मौजूदा बीमा कंपनियों की ओर से हर साल 50,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त पूंजी लगाने की जरूरत है।

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सुब्रत पांडा
Last Updated- January 21, 2023 | 9:46 AM IST

देश में बीमा की पहुंच दोगुनी करने के लिए मौजूदा बीमा कंपनियों की ओर से हर साल 50,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त पूंजी लगाने की जरूरत है। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन देवाशिष पांडा ने शुक्रवार को कहा कि यह मुनाफे के इस्तेमाल व नए निवेश दोनों तरीकों से हो सकता है।

बीमा से जुड़े सीआईआई के एक कार्यक्रम में पांडा ने कहा, ‘मार्च के बाद मैं सभी बीमा कंपनियों के चेयरपर्सन से मुलाकात करूंगा, जिससे वे इस दिशा में काम कर सकें और ज्यादा पूंजी लगाने की योजना बना सकें। मुझे खुशी है कि कुछ कंपनियों ने पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।’

पांडा ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), महंगाई दर और इस अवधि के दौरान विश्व की जीडीपी में वृद्धि के अनुमान के मुताबिक आया है। उन्होंने कहा, ‘हम बीमा की पहुंच दोगुना करना चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि इस सेक्टर में पूंजी आए। हमने अनुमान लगाया है कि जीडीपी कितनी बढ़ेगी और इस दौरान महंगाई दर की क्या स्थिति रहेगी और वैश्विक जीडीपी की क्या स्थिति रहेगी। इसके आधार पर कुछ मॉडल बनाए गए हैं और मोटे तौर पर इस तथ्य पर पहुंचे हैं कि अगर इस सेक्टर में साल में 50,000 करोड़ रुपये निवेश होता है तो हम 5-7 साल में बीमा की पहुंच दोगुनी करने में सफल होंगे।’

भारत में बीमा की पहुंच 2021-22 में भी 2020-21 के स्तर 4.2 प्रतिशत पर बनी रही। जीवन बीमाकर्ताओं की पहुंच 3.2 प्रतिशत और गैर जीवन की 1 प्रतिशत रही है। लेकिन बीमा घनत्व 2020-21 के 78 डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 91 डॉलर पर पहुंच गया है। बीमा की पहुंच का मापन जीडीपी के प्रतिशत में बीमा प्रीमियम के हिसाब से मापा जाता है, जबकि बीमा के घनत्व की गणना जनसंख्या और प्रीमियम के अनुपात (प्रति व्यक्ति प्रीमियम) में की जाती है। पांडा ने बीमा के क्षेत्र में देश के समूह और व्यक्तिगत निवेशकों के निवेश की भी वकालत की। उन्होंने कहा, ‘मैं देश में मौजूद कंपनियों के समूह तक पहुंचना चाहता हूं और साथ ही उन व्यक्तिगत निवेशकों तक पहुंचना चाहता हूं, जो अपने धन के निवेश को इच्छुक हैं।’

अगर आप बीमाकर्ताओं के इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) देखें तो शीर्ष 5 बीमाकर्ताओं का आरओई करीब 20 प्रतिशत है। गैर जीवन और जीवन बीमा क्षेत्र का आरओई क्रमशः 16 प्रतिशत और 14 प्रतिशत है। पांडा ने कहा कि इस वक्त में मौजूद फंड को बीमा क्षेत्र में जोड़ने की जरूरत है।

First Published : January 21, 2023 | 9:46 AM IST