प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि देश ने कुछ ही वर्षों में प्रौद्योगिकी के जरिये वह सब हासिल कर लिया है, जिसे प्राप्त करने में बाकी देशों को पूरी पीढ़ी लग गई।
प्रधानमंत्री ने एआई पर वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023 के लिए निमंत्रण देने के बीच यह बात कही। यह सम्मेलन दिल्ली में 12 से 14 दिसंबर तक आयोजित होगा। जीपीएआई का सह-संस्थापक भारत इस शिखर सम्मेलन का प्रमुख अध्यक्ष है।
लोगों को एआई पर होने वाले इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित करते हुए मोदी ने ‘लिंक्डइन’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारत अपने लोगों के कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी, विशेषकर एआई के पूरी तरह दोहन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिभाशाली कार्यबल वाले सबसे युवा देशों में से एक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ऐसे समाधान मुहैया कराता है, जो वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने योग्य, सुरक्षित, किफायती, टिकाऊ और अनुकरणीय हैं। मोदी ने कहा कि भारत की ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ पहल ऐसे ही अग्रणी प्रयासों का एक प्रमुख उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि पिछले नौ से 10 सालों में भारत और उसके नागरिकों ने प्रौद्योगिकी की मदद से लंबी छलांग लगाई है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत ने कुछ ही वर्षों में वह हासिल कर लिया, जिसे पाने में अन्य देशों को पूरी पीढ़ी लग गई।
मोदी ने कहा कि यह सब इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ मोबाइल तक तेजी से बढ़ी पहुंच और डिजिटल समावेशन के लिए अपनाए जा सकने वाले मॉडल के जरिये संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, एआई के क्षेत्र में भारत अपने नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए बड़ी छलांग लगाना चाहता है, चाहे वह नागरिकों को उनकी भाषा में सेवा उपलब्ध कराना हो या शिक्षा को आसान एवं व्यक्तिगत बनाने का लक्ष्य हो।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ बनाने एवं कृषि के क्षेत्र में अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लक्ष्यों पर बात करते हुए कहा कि भारत विभिन्न सार्थक उद्देश्यों के लिए एआई का उपयोग कर रहा है।
मोदी ने कहा कि एआई के क्षेत्र में भी भारत का दृष्टिकोण इसी भावना के साथ एक सार्वभौमिक समझ एवं एक अनुकूल वातावरण को सक्षम बनाने और मानवता की भलाई के लिए एआई के उपयोग को आगे बढ़ाने का रहा है।
उन्होंने कहा कि यह क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी यानी एआई अब तीक्ष्ण बुद्धि वाली नयी पीढ़ी के हाथों में है, जो इसकी व्यापक क्षमता को तेजी से समृद्ध कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई के क्षेत्र में वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) जैसे मंच महत्त्वपूर्ण हैं। भारत इसका सह संस्थापक है। जीपीएआई का लक्ष्य एआई का जिम्मेदारी से विकास और उपयोग सुनिश्चित करना है। दुनिया के 28 देश और यूरोपीय संघ इसके सदस्य हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जून 2020 में जीपीएआई की स्थापना के बाद से भारत ने इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसे नियामक ढांचे के लिए रास्ता बनाने को लेकर समर्पित है, जो सुरक्षित और विश्वसनीय एआई सुनिश्चित करता हो। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में ‘एआई प्रदर्शनी’ सहित कई दिलचस्प सत्र होंगे, जिसमें 150 स्टार्टअप अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।