इस समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक रेल मंत्रालय 200 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल निजी कंपनियों और फ्रेट ऑपरेटरों को देने पर विचार कर रहा है।
इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल रेलवे की जमीन तथा अन्य परिसंपत्तियों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित होगा बल्कि लॉजिस्टिक क्षेत्र की क्षमता में भी सुधार होगा।
सरकार के अनुमानों के मुताबिक 200 नए टर्मिनल बनाने में करीब 12,000 से 14,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। यह कदम सितंबर 2022 में घोषित नीति को और आगे ले जाएगा। उस समय केंद्र सरकार ने रेलवे की जमीन को कॉर्गो प्रबंधन तथा सार्वजनिक उपयोग जैसी गतिविधियों के लिए पट्टे पर देने के लिए एक नीति को मंजूरी प्रदान की थी। इस नीति में अगले पांच वर्षों में तीन गति शक्ति टर्मिनल बनाने की योजना शामिल थी।
यह नीति व्यापक तौर पर रेलवे की जमीन को दीर्घकालिक रूप से पट्टे पर देने से संबंधित है ताकि उस जमीन का इस्तेमाल 35 सालों तक कार्गो संबंधी सुविधाओं के लिए किया जाए। इसके लिए जमीन के वाणिज्यिक मूल्य का सालाना 1.5 फीसदी शुल्क तय किया गया है। यह आवंटन प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से किया जाता है और कार्गो टर्मिनल के विकास से अनुमानत: 1.2 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।
रेलवे की योजना है कि 100 टर्मिनल के पूरा होने के बाद 200 कार्गो टर्मिनल की बोली प्रक्रिया यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए। फिलहाल ऐस 77 कार्गो टर्मिनल शुरू हो चुके हैं और इस पर करीब 5,400 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। ऐसी सुविधाओं का संचालन करने वाले कुछ बड़े नामों में कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, अदाणी ग्रुप, जेएसडब्ल्यू ग्रुप, इंडियन ऑयल और नायरा एनर्जी शामिल हैं।
समय के साथ 300 कार्गो टर्मिनल बनाने की नीति से रेलवे तथा समूची अर्थव्यवस्था को कई फायदे होंगे। रेलवे को इस क्षेत्र में अतिरिक्त व्यय नहीं करना होगा। सफल बोली लगाने वाले उसके निर्माण की लागत वहन करेंगे और कारोबारी जोखिम भी उन्हीं का होगा जबकि स्वामित्व रेलवे के पास रहेगा।
बेहतर लॉजिस्टिक से अतिरिक्त कार्गो ट्रैफिक मिलेगा और रेलवे का राजस्व बढ़ेगा। अनुमान के मुताबिक हर नया कार्गो टर्मिनल सालाना 10 लाख टन की क्षमता वृद्धि संभावना से लैस होगा। यानी करीब 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जुटाई जा सकेगी।
अक्सर यह दलील दी जाती है कि भारतीय रेल के पास बहुत अधिक जमीन है और उसका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। कार्गो सुविधाओं का निर्माण करने से रेल परिसंपत्तियों का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। इन स्थानों पर बेहतर कार्गो सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं जिनमें कई मूल्यवर्द्धित सेवाएं शामिल हैं। इससे देश में आंतरिक व्यापार को भी गति मिलनी चाहिए। इससे क्षमता सुधरेगी और कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा।
लॉजिस्टिक की ऊंची लागत अक्सर कारोबारी सुगमता की राह में बड़ी बाधा होती है। हालांकि बीते कुछ सालों में सड़क अधोसंरचना में भी काफी सुधार हुआ है लेकिन रेलवे के माध्यम से माल ढुलाई अधिक किफायती है क्योंकि इसका प्रबंधन अच्छे से होता है और सुदूर संपर्क की भी कोई समस्या नहीं है।
300 कार्गो टर्मिनल का विकास और गति शक्ति प्लेटफॉर्म का डिजाइन अधोसंरचना विकास दर्शाता है और इससे लंबे समय से चली आ रही कुछ बाधाएं दूर हो रही हैं। भारतीय रेल के कार्गो कारोबार का काफी हिस्सा सड़क क्षेत्रों के पास चला गया है। ऐसा मोटे तौर पर उसके गैर किफायती होने तथा सड़क ढांचे में महत्त्वपूर्ण सुधार की वजह से हुआ है।
बहरहाल, कार्गो टर्मिनल का विकास तथा महत्त्वपूर्ण सरकारी पूंजी व्यय के साथ रेलवे की समग्र क्षमता में सुधार से उसे माल ढुलाई में खोई हुई हिस्सेदारी वापस पाने में मदद मिलनी चाहिए। इससे देश के कार्बन उत्सर्जन में भी कमी लाने में मदद मिलेगी।