अमेरिका की अगुआई वाले भारत-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के चार क्षेत्रों में से एक ‘व्यापार’ में शामिल होने के बारे में सरकार शीघ्र ही अंतिम फैसला करेगी। इस मामले में वाणिज्य मंत्रालय ने अंतिम फैसला लेने से पहले संबंधित साझेदारों, मंत्रालयों और सरकारी विभागों से विस्तृत चर्चा शुरू कर दी है। यह जानकारी मामले से जुड़े लोगों ने दी।
बाली में बीते सप्ताह आईपीईएफ की परिचर्चा के दौर के बाद यूएस व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ने इस संगठन के 13 साझेदार देशों से व्यापार (क्षेत्र 1) पर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया था। इसमें श्रम, पर्यावरण, डिजिटल व्यापार और तकनीकी सहायता पर जानकारी साझा की गई थी। इस घटनाक्रम के बाद भारत में ‘व्यापार’ को लेकर गतिविधियां शुरू हुई हैं।
दिसंबर में पहले दौर की बैठक से पहले यूएसटीआर ने व्यापार के तहत विभिन्न चैप्टरों जैसे व्यापार सुविधा, कृषि, घरेलू नियामक सेवाओं और पारदर्शी व बेहतर नियामकीय प्रैक्टिस पर जानकारियां साझा की गई थीं।
इस मामले के एक जानकार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘भारत आधार व्यापार के प्रभावों को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन कर रहा है। इस संबंध में संबंधित सरकारी विभागों से परामर्श किया जाएगा। इसमें करीब छह – आठ सप्ताह का समय लगेगा।’ इस व्यक्ति ने कहा कि सलाह-मशविरा के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। भारत बीते साल आईपीईएफ की शुरुआती बैठक में व्यापार से संबंधित वार्ता से अलग हो गया था। भारत ने कहा था कि भारत सहित सदस्य देशों को होने वाला फायदा स्पष्ट नहीं था।
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि श्रम, पर्यावरण, डिजिटल व्यापार और सरकारी खरीद पर व्यापक समहति नहीं बन पाई थी। लिहाजा भारत ने अंतिम रूपरेखा तय होने तक इंतजार करने का फैसला किया था। वर्तमान समय में व्यापार क्षेत्र के मामले में भारत के पास ‘पर्यवेक्षक’ का दर्जा है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत ने इस मामले में सावधानी वाला रवैया अपनाया है। यह मामला नए दौर के व्यापार के मुद्दों श्रम, पर्यावरण सहित अन्य से जुड़ा हुआ है। सरकार इस मामले पर प्रतिबद्धता करने से पहले घरेलू स्तर पर आने वाली संभावित चुनौतियों व जटिलताओं को पहले देखना चाहती है। वाणिज्य मंत्रालय अन्य सदस्य देशों से द्विपक्षीय बातचीत भी करेगा। वाणिज्य मंत्रालय संबंधित देशों के नजरिये की जानकारी प्राप्त करेगा। वर्तमान समय में भारत को छोड़कर अन्य सभी 13 देश क्षेत्र व्यापार में शामिल होने के लिए तैयार हो चुके हैं।
आईपीईएफ के चार क्षेत्र व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, कर व भ्रष्टाचार विरोधी और स्वच्छ ऊर्जा हैं। भारत ने व्यापार को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में शामिल होने की अपनी स्वीकृति दे दी है। इसे दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के राष्ट्रों में चीन के प्रभाव से निपटने की आर्थिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। आईपीईएफ में 14 अन्य सदस्य भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम हैं।