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ऑर्गन ट्रांसप्लांट का प्रमुख केंद्र बन रहा है चेन्नई, राज्य सरकार ने भी बढ़ाई जागरूकता

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यर्पण संगठन के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2022 में 16,041 अंग प्रत्यर्पण हुए थे। इनमें से 11 फीसदी तमिलनाडु में हुए।

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शाइन जेकब   
सोहिनी दास   
Last Updated- October 02, 2023 | 10:12 PM IST

चेन्नई स्थित राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में 30 अगस्त को अजब नजारा था। डॉक्टरों, नर्सों और अन्यकर्मियों के सिर सम्मान में झुके हुए थे। सभी अस्पताल के रास्ते (पार्किंग वे) के दोनों ओर कतार लगाकर खड़े थे। वेलूर की 36 वर्षीय महिला के पार्थिव शरीर के ऑपरेशन थियेटर से शव गृह ले जाया जा रहा था और कुछ ने पार्थिव शरीर को सलूट किया, कुछ ने प्रार्थना की और कुछ शांत खड़े रहे।

अस्पताल आया एक व्यक्ति नजारा देखकर हतप्रभ था। उसने उत्सुकतावश जानना चाहा कि किसकी मौत हुई। अस्पताल के कर्मी ने कहा ‘महिला’। फिर कहा, ‘वह एक ऑर्गन डोनर (Organ Doner) है।’ संबंधित परिवार पार्थिव शरीर के पांच अंगों (Organ Donation) को दान देने के लिए तैयार हो गया था। इससे जरूरतमंद लोगों में आस जगी है और अंगदान करने वाले परिवार को इन जरूरतमंद लोगों के बारे में कभी जानकारी नहीं मिलेगी। यही इस दिवंगत आत्मा का पूरा परिचय और जानकारी थी। इससे अधिक कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही किसी ने कुछ पूछा।

तमिलनाडु सरकार ने शरीर के अंगों को दान करने के लिए जागरूकता बढ़ाई है। परिवारों ने भी सम्मान व जिम्मेदारी के भाव के साथ पार्थिव शरीर का अंग दान करना शुरू किया है। तमिलनाडु ही देश का पहला राज्य है जो मुख्यमंत्री समग्र स्वास्थ्य योजना से अंग प्रत्यारोपण के लिए 22 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराता है। यह सहायता केवल सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ही नहीं है बल्कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध है।

कोई संशय नहीं, अंग प्रत्यर्पण का प्रमुख स्थान चेन्नई बन गया है। दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा अंग प्रत्यर्पण चेन्नई में हो रहे हैं। लिहाजा देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा अंग प्रत्यर्पण चेन्नई में हो रहे हैं। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यर्पण संगठन (नोट्टो) के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2022 में 16,041 अंग प्रत्यर्पण हुए थे। इनमें से 11 फीसदी तमिलनाडु में हुए और करीब करीब सभी इस राज्य की राजधानी चेन्नई में हुए थे।

मरे हुए व्यक्तियों के अंग प्रत्यारोपण या मृत व्यक्तियों के अंग दान ज्यादातर चेन्नई में हुए। चेन्नई में ऐसे 21 फीसदी अंगदान हुए। भारत में हृदय और फेफड़े के प्रत्यर्पण के मामले में चेन्नई पहले स्थान पर है।

इस मामले में रोचक तथ्य राज्य सरकार का तर्क है। राज्य सरकार के अनुसार राज्य में अंग प्रत्यर्पण की वास्तविक संख्या ‘नोट्टो’ के आंकड़ों से कहीं अधिक है। तमिलनाडु सरकार के अंग प्रत्यर्पण प्राधिकरण का संक्षेप में नाम ट्रांसटेन है।

इसके सचिव सदस्य एन. गोपालकृष्णन ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि जीवित व्यक्तियों (जीवित परिजनों के अंग प्रत्यर्पण) के अंग प्रत्यर्पण के मामले में नोट्टो के आंकड़े वास्तविक हैं। यदि 25 से अधिक अंग प्रत्यर्पण होते हैं तो अस्पताल स्वयं प्राधिकरण समिति का गठन कर सकता है। लिहाजा कुछ मामलों के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।’ राज्य अपने सभी 13 सरकारी अस्पतालों और अंग प्रत्यर्पण के लिए पंजीकृत सभी 124 निजी अस्पतालों से अंग प्रत्यर्पण के आंकड़े एकत्रित कर कहीं अधिक सटीक डेटा बेस बनाने की कोशिश कर रहा है।

स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले नामचीन अपोलो के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट व समूह के स्वास्थ्य निदेशक अनुपम सिब्बल भी इस तर्क से सहमत हैं कि वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है। उन्हें यह भी लगता है कि देश के एक तिहाई से अधिक अंग प्रत्यर्पण शायद चेन्नई में हो रहे हों।

सिब्बल ने कहा, ‘तमिलनाडु की जनसंख्या का एक बटा छहवीं आबादी चेन्नई में है। चेन्नई देश में कुल अंग प्रत्यर्पण का 35 फीसदी कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘यह कई कारणों से हब बन गया है। इन कारणों में आधारभूत संरचना, विशेषज्ञों की उपलब्धता और मल्टीडिस्पेलनरी टीमें हैं।’

अपोलो के अंग प्रत्यर्पण कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से अपोलो जुलाई तक 23,000 अंग प्रत्यर्पण पूरे कर चुका है। इसने केवल 2022 में ही 1,641 अंग प्रत्यर्पण किए थे। चेन्नई के अंग प्रत्यर्पण केंद्र के रूप में उभरने का सबसे बड़ा कारण संभवत अंग दान करने वालों की बढ़ती संख्या है। चेन्नई में जीवित व्यक्ति और मृत दोनों के अंग दान करने के मामलों में इजाफा हुआ है।

चेन्नई में फोर्टिस हेल्थ केयर के मेडिकल स्ट्रैटजी और ऑपरेशंस के ग्रुप हेड विष्णु पाणिग्रही ने कहा कि चेन्नई में अंग प्रत्यर्पण के मामले बढ़ रहे हैं। इसके लिए अंग दान को सहजता से अपनाने के लिए शुक्रगुजार हैं।

उन्होंने कहा, ‘ज्यादा जागरूकता और अंग दान के प्रति अस्वीकृति कम होने के कारण ज्यादा लोग पार्थिव शरीर के अंग दान कर रहे हैं। इसके लिए राज्य भी अच्छे ढंग से काम कर रहा है। हम फोर्टिस के नेटवर्क में 180 से 200 जीवित लोगों के अंग प्रत्यर्पण कर रहे हैं और यह किडनी (गुर्दे) या लिवर (यकृत) में होते हैं। इस मामले में शीर्ष पर दिल्ली है लेकिन इसका चेन्नई बड़ा केंद्र है।’

चेन्नई स्थित मलार अस्पताल के फेफड़ों के प्रत्यर्पण का कार्यक्रम तेजी से बढ़ा था लेकिन वरिष्ठ डॉक्टरों के छोड़ जाने के कारण गति मंद पड़ गई। फोर्टिस हेल्थकेयर ने इस साल जून में चेन्नई का अस्पताल कावेरी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स को बेच दिया था।

इंडियन सोसायटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांट के सचिव विवेक कुटे ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पार्थिव शरीर के अंग दान के मामले में तेलंगाना शीर्ष पर है। इसके बाद तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र हैं। जीवित व्यक्तियों के अंग दान देने के मामले में शीर्ष पर दिल्ली है और इसके बाद सूची में दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है।

एक अनुमान के मुताबिक अंग प्रत्यर्पण के इंतजार में रोजाना 20 व्यक्तियों की मौत हो रही है। कुटे के मुताबिक इसमें 1,75,000 लोग किडनी प्रत्यर्पण के लिए इंतजार कर रहे हैं लेकिन इसमें से सात फीसदी लोगों को ही मिल पाती है। हालांकि देशभर से इलाज के लिए चेन्नई आने के दौरान एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है।

जयपुर में रह रहे तकनीक क्षेत्र के विशेषज्ञ आशीष को अंग प्रत्यर्पण की जरूरत थी। इस 36 वर्षीय व्यक्ति के परिजनों ने पहले जयपुर में अंग प्रत्यर्पण करने की कोशिश की थी। इस शहर में पंजीकृत अंग प्रत्यर्पण अस्पताल भी हैं लेकिन परिजनों को इस जटिल मामले से निपटने के लिए अस्पतालों के विशेषज्ञता पर भरोसा नहीं था। इसके अलावा अंग दान करने वाले मृत शरीर का न केवल जयपुर बल्कि दिल्ली में भी मिलना मुश्किल था। हालांकि नोट्टो के आंकड़ों के अनुसार अंग प्रत्यर्पण के मामले में दिल्ली पहले स्थान पर है लेकिन पार्थिव शरीरों के अंग प्रत्यर्पण के मामले में दिल्ली पहले पांच में शामिल नहीं है।

लिहाजा शर्मा का परिवार दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) के एक डॉक्टर की सलाह पर अंतत: चेन्नई अपोलो जाने के लिए तैयार हो गया था। शर्मा की पत्नी ने कहा, ‘मुझे चेन्नई के डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ सबसे योग्य लगा। उनकी विशेषज्ञता की बदौलत मेरे पति का जीवन बच पाया।’ शर्मा की पत्नी अपने नाम का खुलासा नहीं करना चाहती थीं। शर्मा ने बीते महीने से अपना कामकाज शुरू कर दिया और अभी भी नियमित चेकअप के लिए चेन्नई जाते हैं।

पश्चिम बंगाल के हावड़ा के रहने वाले 49 वर्षीय संजय पाल ने चेन्नई में लिवर प्रत्यर्पण कराने का एक कारण का खुलासा किया। पाल ने बताया, ‘मेरी बहन ने अंग दान दिया था। मुझे कई लोगों ने चेन्नई के अस्पतालों को सर्वश्रेष्ठ बताया था। इसके अलावा एक कारण यह था कि कोलकाता के अस्पताल 27 लाख रुपये खर्चा बता रहे थे जबकि चेन्नई के अस्पताल ने पूरा इलाज 22 लाख रुपये में कर दिया था।’

ट्रांसटेन के गोपालकृष्णन ने कहा, ‘कोई भी अन्य राज्य अंग प्रत्यर्पण के ऐसे बेहतरीन ईकोसिस्टम के बारे में गर्व से नहीं कह सकता है, यहां सार्वजनिक के साथ-साथ निजी क्षेत्र इस मामले में मजबूत है। सरकारी बीमा के कारण गरीब लोग भी निजी अस्पतालों में अपनी सर्जरी करा सकते हैं।’

राज्य में सामान्य केंद्रों के अलावा 26 ऑर्गन रिट्रिवल मेडिकल कालेज हैं। जहां डॉक्टर ब्रेन डेड व्यक्तियों के परिजनों को अंग प्रत्यर्पण कराने के बारे में समझाते हैं। सिब्बल को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में देश में अंग प्रत्यर्पण में सालाना कम से कम 20 फीसदी इजाफा होने की उम्मीद है और इसमें चेन्नई अग्रणी रहेगा। जैसे ही ऐसा होगा, लोग निश्चित रूप से सिर झुकाकर मरे हुए व्यक्ति के सम्मान में कतार में खड़े होकर सम्मान व्यक्त करेंगे।

First Published : October 2, 2023 | 10:12 PM IST