आज का अखबार

स्वरोजगार बढ़ने से भारत के श्रम बाजार में बदलाव

रिपोर्ट के अनुसार भारत का श्रम बाजार बुनियादी ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सभी क्षेत्रों में स्वउद्यमिता और उच्च शिक्षा प्राप्ति प्रमुख समर्थक के रूप में उभर रहा है।

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- November 14, 2023 | 11:06 PM IST

बढ़ते औपचारिक कर्ज, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जीवन की आवश्यकताएं पूरी होने और श्रम बल की उद्यमशीलता के कारण स्वरोजगार में बढ़ोतरी हुई है। यह जानकारी एसबीआई की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में दी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत का श्रम बाजार बुनियादी ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सभी क्षेत्रों में स्वउद्यमिता और उच्च शिक्षा प्राप्ति प्रमुख समर्थक के रूप में उभर रहा है।

लिहाजा श्रम बल के आंकड़ों का उल्लेख करने में पुरानी शैली में बदलाव की जरूरत है। सरकार ने भी उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए ऋण मुहैया कराने के कार्यक्रम जैसे मुद्रा योजना और पीएमएसवीए निधि शुरू किए हैं। इससे भारत के श्रम बाजार में ढांचागत बदलाव आ रहा है।

इससे पारिवारिक कारोबार को औपचारिक रूप से ऋण मुहैया होने से उसका आकार बड़ा हुआ। यह इससे भी प्रदर्शित हो रहा है कि घर में रोजमर्रा के काम करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘सरकार ने लोगों की प्राथमिक जरूरतों जैसे भोजन, आश्रय, चिकित्सा संबंधी जरूरतों को पूरा किया है। सरकार ने 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन मुहैया करवाया है। राज्यों की योजनाओं के अतिरिक्त आवास योजना और आयुष्मान भारत ने लोगों की प्राथमिक जरूरतों को पूरा किया है। लोग कमाई और परिवार के कारोबार में सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं।’

बीते महीने जारी नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के मुताबिक स्वरोजगार में इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 18 में स्वरोजगार 52.2 प्रतिशत था और यह वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 57.3 प्रतिशत हो गया। इस अवधि में घर के काम में हाथ बंटाने वाले लोगों की संख्या 13.6 फीसदी से बढ़कर 18.3 प्रतिशत हो गई।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘श्रम अर्थशास्त्रियों और अन्य ने यह गलत व्याख्या की है कि रोजगार के अवसर घट रहे हैं। भारत के श्रम बल में स्वरोजगार का रुझान 50 फीसदी से अधिक रहा है और यह एनएसएसओ के 1980 और 1990 से 2000 के दशक के रोजगार व बेरोजगार के सर्वेक्षण में भी उजागर हुआ।’

पीएलएफएस के सर्वेक्षण में उच्च युवा (15-29 आयु वर्ग) में बेरोजगारी को गलत ढंग से दिखाया गया है और इसे रोजगार के घटते अवसर के रूप में दिखाया गया है। हालांकि यह असलियत में रोजगार और शिक्षा के बदलाव के तरीके को प्रदर्शित करता है। पुरुष/महिला 23-24 साल तक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जबकि यह पहले 17 साल की उम्र तक शिक्षा हासिल करते थे।

First Published : November 14, 2023 | 11:03 PM IST