भारत सरकार की तरफ चीन की तरफ से हो रहे निवेश की जांच और देश में चीन विरोधी धारणा में इजाफे के बावजूद चीन की एसआईएसी मोटर की भारतीय इकाई ने कहा है कि क्षमता निर्माण में वह अगले एक साल में 1,000 करोड़ रुपये और निवेश करेगी। साथ ही कंपनी की योजना अपने उत्पादों के लिए स्थानीयकरण में इजाफा करने का है, जिसका मतलब यह है कि भारत में और कारें बनेंगी और उसका इरादा बैटरी का स्थानीयकरण करने व देश में बैटरी की असेंबलिंग करने का है।
एमजी मोटर इंडिया के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक राजीव छाबा ने कहा, आज तक हमने 3,000 करोड़ रुपये निवेश किया है। हलोल संयंत्र में हम अगले 12 महीने में 1,000 करोड़ रुपये और निवेश करने जा रहे हैं, जो मूल रूप से नई पेशकश, अतिरिक्त स्थानीयकरण और क्षमता निर्माण में लगाया जाएगा। ऐसे में कुल मिलाकर हलोल संयंत्र मेंं ही 1,000 करोड़ रुपये निवेश होगा।
कंपनी ने गुजरात का हलोल संयंत्र जनरल मोटर्स से खरीदा था, जिसन् साल 2017 में भारत में अपना कामकाज बंद कर दिया। भारत और चीन लद्दाख में एक दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं और इस देश में चीन के ब्रांड को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सरकार की तरफ से नियामकीय बाधा भी पैदा हुई है।
छाबा ने हालांकि अलग नजरिया पेश किया। उन्होंने कहा कि अल्पावधि में भूराजनैतिक तनाव के कारण अवरोध होंगे, लेकिन लंबी अवधि में वैश्विक निर्भरता इसकी जगह लेगी और व्यापार, तकनीक और विचारों का आदान-प्रदान जारी रहेगा।
अल्पावधि में आपको अवरोध देखने को मिलता है और आप उसमें कोई मदद नहींं कर सकते। हमेशा ही ऐसे ग्राहक होते हैं जो किसी खास देश के उत्पाद नहीं खरीदना चाहते, लेकिन वैश्विक वाहन उद्योग में ग्राहकों का फैसला विभिन्न मानकों पर आधारित होता है। लंबी अवधि में वे किसी खास कारण पर बहुत ज्यादा ध्यान नहींं देते। यह कई चीजों पर निर्भर करता है। देश के 137 शहरों में कंपनी के 220 डीलरशिप हैं और उसकी योजना साल 2021 के आखिर तक डीलरशिप की संख्या 100 और बढ़ाने की है।
