भले ही कार्यस्थल पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से पांव पसार रहा है मगर जब फैसले लेने की घड़ी आती है तो इंसानों के फैसलों को ही तवज्जो दी जाती है। सबसे बड़े पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन के एक हालिया शोध में कहा गया है कि करीब 83 फीसदी भारतीय पेशेवरों का मानना है कि फैसले लेते वक्त अंतर्ज्ञान और भरोसेमंद सहकर्मियों की राय अब भी एआई पर भारी है।
यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब सर्वेक्षण में शामिल 76 फीसदी लोगों ने कहा कि कार्यस्थल पर निर्णय लेने की रफ्तार बढ़ गई है और 72 फीसदी लोगों को ऐसा लगता है कि उनके करियर के अगले पड़ाव के लिए एआई में महारत हासिल करना जरूरी है।
भारतीय पेशेवर रोजमर्रा के कामकाज पूरा करने के लिए एआई अपना रहे हैं। वे फैसले लेने के लिए प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं। लिंक्डइन के शोध से पता चलता है कि 75 फीसदी लोग उचित फैसले लेने के बजाय एआई को लिखने और ड्राफ्ट करने के लिए उपयोगी मानते हैं। 76 फीसदी लोगों का कहना है कि जब चीजें मुश्किल हो जाती हैं तो फिर साथ काम करने वाले और प्रबंधक ही पूरे आत्मविश्वास के साथ फैसले लेने में मदद करते हैं और 83 फीसदी अधिकारी भी इससे इत्तेफाक रखते हैं कि अच्छे कारोबारी निर्णय अब भी इंसानों के फैसले पर ही निर्भर करते हैं।
लिंक्डइन करियर विशेषज्ञ और भारत की वरिष्ठ प्रबंध संपादक निराजिता बनर्जी कहती हैं, ‘एआई एक शानदार सहयोगी है मगर यह कोई बैसाखी नहीं है। यह तेजी से विकल्पों का मसौदा तैयार कर सकता है, उन्हें छांट सकता है और सामने ला सकता है, लेकिन याद रखें कि करियर आपके फैसलों, आपके रिश्तों और आपकी कहानी के दम पर ही आगे बढ़ता है। जरूरत पड़ने पर लोग किसी उपकरण को नहीं, बल्कि उन्हें बुलाते हैं जिन पर उन्हें भरोसा होता है। इसलिए, सार्थक संबंध बनाएं और एआई का उपयोग करके उन मानवीय कार्यों के लिए समय निकालें जो केवल आप ही कर सकते हैं।और जब आप यह सब नहीं कर सकते, तो अपने भरोसेमंद लोगों पर भरोसा करें।’