टेक-ऑटो

भारत में 2030 तक कार बिक्री बढ़ेगी 3.5% वार्षिक दर से, बनेगा एशिया का सबसे बड़ा बाजार

देश की कार विनिर्माता कंपनियां भी लीथियम-आयन सेल, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और बैटरी विनिर्माण पर बड़ा दांव लगा रही हैं।

Published by
शाइन जेकब   
Last Updated- May 27, 2025 | 11:33 PM IST

भारत में कारों की बिक्री साल 2030 तक 3.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ सकती है। यह एशिया में सबसे अधिक होगी और बढ़कर प्रति वर्ष लगभग 51 लाख तक पहुंच जाएगी। मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को यह जानकारी दी। देश की कार विनिर्माता कंपनियां भी लीथियम-आयन सेल, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और बैटरी विनिर्माण पर बड़ा दांव लगा रही हैं और संयुक्त रूप से 10 अरब डॉलर का निवेश कर रही हैं। हालांकि ईवी की पैठ अभी केवल 2 प्रतिशत के कम स्तर पर ही है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा अनुमान है कि अगर दोपहिया वाहनों के 9 से 10 प्रतिशत मालिक शुरुआती स्तर वाली कारों में अपग्रेड करते हैं तो दशक के अंत तक शुरुआती स्तर वाली कम से कम 16 से 18 लाख कारों की प्रतिस्थापन मांग पैदा होगी। पिछले 10 वर्षों के दौरान कारों की बिक्री औसतन करीब 31 लाख रही है और प्रतिस्थापन मांग भी साल 2030 तक बिक्री में वृद्धि को बढ़ावा देगी।’ इसमें कहा गया है, ‘अकेले ये अनुमान ही हमारे इस नजरिये का समर्थन करते हैं कि दशक के अंत तक भारत बढ़कर 50 लाख कारों का बाजार बन जाएगा।’ यह साल 2024 की 42 लाख कारों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वर्तमान में जापान, कोरिया और चीन की कंपनियों की, जो संयुक्त उद्यमों और सहायक कंपनियों के जरिये भारत में काम करती हैं, सामूहिक रूप से बाजार में 70 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। अलबत्ता प्रमुख देसी कंपनियां भी तेजी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं।

चीनी कार विनिर्माताओं की भारत में खासी मौजूदगी नहीं है। साल 2024 में उनकी बाजार हिस्सेदारी करीब एक प्रतिशत थी। इस बीच जापानी वाहन विनिर्माताओं ने वर्षों तक बाजार पर दबदबा बनाए रखने के बाद भारत में अपनी हिस्सेदारी गंवा दी है।

First Published : May 27, 2025 | 10:58 PM IST