भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि सुस्त अर्थव्यवस्था की वजह से बैंकांे की परिसंपत्तियांे की गुणवत्ता हाल के समय मंे प्रभावित हुई है, लेकिन बैंकांे के पास इस स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त पूंजी है।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा ने आज यहां इकनॉमिक टाइम्स के एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, हां, निश्चित रूप से परिसंपत्ति की गुणवत्ता पर दबाव है, लेकिन हमारे पास इससे निपटने के लिए पर्याप्त पूंजी है।
उन्हांेने कहा कि बैंकिंग प्रणाली मंे दबाव से निपटने के लिए बेहतर प्रबंधन जरूरी है। सिन्हा ने बैंकांे से कहा कि वे नियंत्रणकारी कारकों से दूर रहें।
रिण पुनर्गठन का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा कुछ मामलांे के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि बैंकांे ने फायदा उठाने वाली कंपनियांे को काफी अधिक कर्ज दिया हुआ है। केंद्रीय बैंक की चेतावनी के बावजूद कुछ कंपनियांे के फॉरेक्स बाजार मंे सौदे फंसे हुए हैं। इसके साथ रिण का इस्तेमाल उस कार्य के लिए नहीं हो रहा है, जिसके लिए कर्ज लिया गया था।
सिन्हा ने कहा कि रिण पुनर्गठन, दबाव से निपटने का एक बेहद वैध तरीका है। लेकिन इसके साथ ही उन्हांेने बैंकांे को आगाह किया कि वे सतर्कता बरतें और यह काम तभी करें जब इसकी जरूरत हो।
उन्हांेने बताया कि कारपोरेट रिण पुनर्गठन बढ़ रहा है। रिण प्रशासन मंे सुधार की जरूरत है, जिससे चीजांे को नियंत्रित किया जा सके।
बैंकिंग प्रणाली की शुद्ध निष्पादित आस्तियां :एनपीए: बीते वित्त वर्ष के अंत तक 2.3 प्रतिशत बढ़ी हैं। वहीं जून तिमाही के अंत तक बैंकांे के कुल रिण मंे से 5.7 फीसद सीडीआर मंे तब्दील हो चुका है।
सिन्हा ने बैंकांे को यह भी सलाह दी कि वे उच्च लागत तथा लघु अवधि के बड़े रिण से दूर रहें।